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Nema Hospital Huge fire
MP NEWS: मध्य प्रदेश के जबलपुर के प्रशासनिक तंत्र की लापरवाही एक बार फिर लोगों के सामने आग बनकर फूट पड़ी। मंगलवार की देर शाम विजयनगर थाना क्षेत्र स्थित नेमा हार्ट केयर अस्पताल में भयानक आग लग गई। इस घटना ने शहर को एक बार फिर उसी भयावह हादसे की याद दिला दी, जो वर्ष 2022 में लाइफ मेडिसिटी अस्पताल में हुआ था, और जिसमें आठ लोगों की जान चली गई थी। नेमा अस्पताल में आग के कारण भले ही किसी की मृत्यु नहीं हुई, लेकिन यह सवाल जरूर खड़ा हो गया है कि आखिर कब तक प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग लापरवाही का यह खतरनाक खेल जारी रखेंगे।
निजी अस्पताल कर रहे मरीजों की जान से खिलवाड़
यह कोई पहला मौका नहीं है जब जबलपुर के निजी अस्पताल में इतनी गंभीर अग्नि दुर्घटना हुई हो। इससे पहले 2022 में भी दमोहनाका स्थित लाइफ मेडिसिटी अस्पताल में भीषण आग लगी थी, जिसमें आठ लोगों की मौत और कई गंभीर रूप से झुलस गए थे। अब एक बार फिर उसी क्षेत्र में नेमा हार्ट केयर में आग लगना न सिर्फ चिंताजनक है, बल्कि यह स्पष्ट संकेत भी देता है कि शहर में अग्नि सुरक्षा मानकों की गंभीर अनदेखी की जा रही है। सवाल यह भी उठता है कि आखिर जिम्मेदार विभागों ने 2022 की त्रासदी से कोई सबक क्यों नहीं लिया।
कड़ी मशक्कत कर पाया आग पर काबू
जैसे ही अस्पताल में आग की सूचना मिली, फायर ब्रिगेड की 6 से 7 गाड़ियां मौके पर पहुंचीं। आग की भयावहता को देखते हुए आसपास के दमकल केंद्रों से भी मदद मंगाई गई। घंटों की कड़ी मशक्कत और लगातार पानी की बौछारों के बाद ही आग पर नियंत्रण पाया जा सका। अस्पताल की इमारत में धुंआ भरने से दृश्यता कम हो गई थी, जिससे राहत कार्यों में भी दिक्कतें आईं। बावजूद इसके दमकल कर्मियों ने बहादुरी से काम किया और आग को और फैलने से रोका। अगर थोड़ी भी देर होती, तो यह हादसा एक बड़ी जनहानि में बदल सकता था।
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फायर सेफ्टी सर्टिफिकेट था रद्द
फायर डिपार्टमेंट के अधीक्षक कुशाग्र ठाकुर के अनुसार नेमा अस्पताल का फायर सेफ्टी सर्टिफिकेट पहले ही रद्द किया जा चुका था, क्योंकि वह फायर विभाग के निर्धारित सुरक्षा मानकों का पालन नहीं कर रहा था। इसके बावजूद अस्पताल धड़ल्ले से चालू था और मरीजों का इलाज हो रहा था। यह न केवल स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही को उजागर करता है, बल्कि यह भी सिद्ध करता है कि नियमों को ताक पर रखकर आम जनता की जान के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है। अफसोसजनक यह है कि इस सबकी जानकारी होने के बावजूद, न स्वास्थ्य विभाग ने कार्रवाई की, न नगर निगम ने संज्ञान लिया, और न ही फायर विभाग ने समय रहते चेतावनी दी।
2022 के बाद भी नहीं सुधरे हालात
लाइफ मेडिसिटी अग्निकांड के बाद जबलपुर हाईकोर्ट ने सख्त टिप्पणी करते हुए कहा था कि जिन अस्पतालों में सुरक्षा मानकों का पालन नहीं हो रहा है, उन पर तत्काल कार्रवाई की जाए। कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया था कि ऐसी लापरवाही पर आपराधिक प्रकरण दर्ज होना चाहिए। इसके बावजूद नेमा अस्पताल जैसी संस्थाएं निर्भीक होकर कार्य कर रही हैं। यह सीधे-सीधे अदालत के निर्देशों की अवहेलना और कानून का मखौल है। अफसोस यह है कि न जिम्मेदार अधिकारी चेत रहे हैं, न कोई ठोस कार्रवाई की जा रही है।
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फायर एनओसी को लेकर झूठ बोलता नजर आया अस्पताल प्रबंधन
अग्निशमन विभाग की अधीक्षक से मिली जानकारी के अनुसार, नेमा अस्पताल की फायर एनओसी (No Objection Certificate) पहले ही एक्सपायर हो चुकी थी, और इसकी सूचना जबलपुर के मुख्य चिकित्सा अधिकारी को भी दी गई थी जिसके बाद इस अस्पताल के संचालक पर रोक लगाई गई थी लेकिन उसके बाद भी अस्पताल बिना वैध फायर सेफ्टी अनुमतियों के संचालित हो रहा था। दूसरी ओर अस्पताल प्रबंधन ने मीडिया के सामने यह दावा किया है कि उनके पास फायर डिपार्टमेंट की वैध एनओसी उपलब्ध है, जो 16 मई 2025 तक प्रभावी है। प्रबंधन का कहना है कि उनके अस्पताल में सभी सुरक्षा उपाय मौजूद थे और इन्हीं के कारण आग को अस्पताल की सीमाओं में ही नियंत्रित किया जा सका। हालांकि अगली अग्निशमन विभाग के अधीक्षक कुशाग्र ठाकुर के बयान से यह साबित हो गया कि अस्पताल प्रशासन कैमरो के सामने सफेद झूठ कह रहा है। जिसकी पुष्टि थोड़ी ही देर बाद जबलपुर के सीएमएचओ संजय मिश्रा ने भी कर दी की 15 अप्रैल को ही अस्पताल का फायर सेफ्टी सर्टिफिकेट रद्द कर दिया गया था जिसके बाद यह अस्पताल अवैध रूप से संचालित हो रहा था। अस्पताल प्रबंधन ने आग के लिए बाजू से गुजर रही एक बारात को जिम्मेदार ठहराया है। प्रबंधकों का कहना है कि बारात में चलाए गए पटाखों की चिंगारी अस्पताल की छत पर गिरी, जिससे आग भड़की।
प्रशासन की मुस्तैदी से टली बड़ी जनहानि - थाना प्रभारी
विजयनगर थाना प्रभारी ने बताया कि सूचना मिलते ही पुलिस टीम मौके पर पहुंची और अस्पताल में मौजूद दो मरीजों को सुरक्षित बाहर निकाल लिया गया। थाना प्रभारी ने दमकल विभाग की तत्परता और पुलिस प्रशासन की मुस्तैदी को बड़ी जनहानि टलने का कारण बताया। साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि फायर एनओसी को लेकर जो आरोप और दावे सामने आए हैं, उनकी गंभीरता से जांच की जाएगी, और यदि किसी प्रकार की अनियमितता पाई जाती है, तो नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी।
आग तो बुझ गई, लेकिन व्यवस्था में धधकती लापरवाही
नेमा हार्ट केयर अस्पताल में लगी आग बुझा दी गई, लेकिन यह हादसा कई बड़े सवाल छोड़ गया है, क्या अगली बार भी हम सिर्फ 'गनीमत रही' जैसे शब्दों में राहत ढूंढेंगे? क्या शासन-प्रशासन की ज़िम्मेदारी केवल फाइलें संभालने तक सीमित रह गई है? अब वक्त आ गया है कि इस तरह की लापरवाहियों पर सख्त कार्रवाई की जाए, ताकि यह सिलसिला यहीं थमे। क्योंकि हर बार किस्मत अच्छा साथ नहीं देती, कभी न कभी कोई अपनों को खो देगा, और तब शायद देर हो चुकी होगी।