मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने उम्र कैद की सजा काट रहे युवक की पत्नी को तलाक दे दिया है। 2019 में युवक को पिता की हत्या के आरोप में दोषी ठहराया गया था। कोर्ट ने उसे उम्र कैद सुनाई थी।
पति को हत्या के मामले में आजीवन कारावास की सजा मिलने पर पत्नी ने ग्वालियर की फैमिली कोर्ट में तलाक की अर्जी दाखिल की थी। अब मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने महिला को तलाक की मंजूरी दे दी है।
जस्टिस विवेक रूसिया और जस्टिस राजेंद्र कुमार वाणी ने ये फैसला सुनाया है। उनका कहना है कि पत्नी या पति को सजा होने के बाद तलाक देने का कोई प्रावधान नहीं है, लेकिन ऐसे मामलों में मानसिक क्रूरता के कारण राहत दी जा सकती है।
गलत तरीके से पेश आता था पति
जानकारी के मुताबिक युवक और महिला की शादी 2011 में हुई थी। दोनों की एक बेटी भी है। कुछ साल पहले परिवार में संपत्ति विवाद की वजह से महिला के पति ने गुस्से में आकर अपनी ही पिता को मौत के घाट उतार दिया था। इसके बाद उसे उम्र कैद की सजा हो गई थी।
पति को सजा मिलने के बाद महिला ने फैमिली कोर्ट में तलाक की याचिका डाली थी। महिला ने आरोप लगाया था कि पति उसके साथ भी काफी गलत तरीके से पेश आता था। फैमिली कोर्ट ने उस समय महिला की याचिका खारिज कर दी थी।
कोर्ट ने कहा था कि आपराधिक मामले में दोषसिद्धि क्रूरता नहीं है। इस बात का कोई सबूत नहीं है कि याचिकाकर्ता का पति उस पर क्रूरता करता था या नहीं।
महिला ने खटखटाया हाई कोर्ट का दरवाजा
परेशान होकर महिला ने हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। हाई कोर्ट ने मामले की सुनवाई करते हुए बताया कि महिला के पति के खिलाफ दो आपराधिक केस दर्ज किए गए थे।
कोर्ट ने क्यों कहा मानसिक क्रूरता
कोर्ट ने कहा कि सजा को निलंबित करके उसे जमानत पर रिहा करने का प्रावधान है, लेकिन एक पत्नी के लिए ऐसे व्यक्ति के साथ रहना बहुत मुश्किल होगा, जो आईपीसी की धारा 307 के तहत मुकदमे का सामना कर रहा हो और जिसे आईपीसी की धारा 302 के तहत दोषी ठहराया गया हो। यह निश्चित रूप से अपनी पत्नी के साथ मानसिक क्रूरता करता होगा।
तलाक की अर्जी मंजूर
कोर्ट ने फैमिली कोर्ट के फैसले को खारिज करते हुए और पत्नी के तलाक को मंजूर करते हुए कहा कि पति के आपराधिक इतिहास के कारण पत्नी के मन में अपनी और अपनी बेटी की सुरक्षा को लेकर लगातार डर बना रहेगा।
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