/sootr/media/media_files/2024/12/12/roI3JXoJLICF21oUWL2V.jpg)
जबलपुर में चल रहे गरीबों के आश्रय स्थल रैन बसेरा अब गरीबों से लूट का अड्डा भी बन गए हैं। इससे पहले इसे अय्याशी का ठिकाना बनाए जाने के आरोप लगे थे। अब गरीबों से अवैध वसूली का मामला सामने आया है। नगर निगम जबलपुर द्वारा संचालित इंदिरा मार्केट के गोकुलदास धर्मशाला रैन बसेरा में रात बिताने के लिए रुकने वाले बेघर और जरूरतमंद लोगों से अवैध वसूली की गई है। रेन बसेरा अब अवैध वसूली का अड्डा बन गया है। इस मामले में नगर निगम द्वारा नियुक्त संस्था सेफ एप्रोच के सुपरवाइजर जितेंद्र विश्वकर्मा और केयरटेकर राम बहादुर पटेल के खिलाफ सिविल लाइंस थाने में धोखाधड़ी का मामला दर्ज किया गया है। आपको बता दें यह वही रैन बसेरा है जिसका बीते दिनों एक वीडियो वायरल हुआ था, जिसमें रैन बसेरा के सुपरवाइजर मटन पार्टी करते हुए नजर आए थे।
तहसीलदार को लगातार मिल रही थी शिकायतें
रांझी तहसीलदार राजीव मिश्रा ने 10 दिसंबर 2024 को एक लिखित शिकायत सौंपी थी। शिकायत में उन्होंने लिखा था कि नगर निगम जबलपुर के अंतर्गत संचालित रैन बसेरों में अवैध रूप से पैसे वसूले जाने की शिकायतें उन्हें लगातार मिल रही थीं। शिकायतों के आधार पर उन्होंने एक प्रारंभिक जांच करवाई। जांच में पता चला कि गोकुलदास धर्मशाला रैन बसेरा में रुकने वाले लोगों से 50 रुपए तक की अवैध वसूली की जा रही थी। जांच रिपोर्ट 6 दिसंबर 2024 को पेश की गई, जिसमें इस बात की पुष्टि हुई कि सुपरवाइजर जितेंद्र विश्वकर्मा ने केयरटेकर राम बहादुर पटेल को अवैध वसूली करने के लिए कहा था।
9 लोगों ने की अवैध वसूली की पुष्टि
जांच के दौरान रैन बसेरा में रुकने वालों के नाम दर्ज रजिस्टर की गहन छानबीन की गई। रजिस्टर में दर्ज नंबरों से जब फोन कॉल कर पूछताछ की गई तो 9 लोगों ने उनसे पैसे लिए जाने की पुष्टि की। इसके अलावा केयरटेकर द्वारा सुपरवाइजर को नियमित रूप से ऑनलाइन भुगतान किए जाने के स्क्रीनशॉट भी मिले। इससे यह साबित हुआ कि सुपरवाइजर इतने व्यवस्थित तरीके अवैध वसूली कर रहा था की केयरटेकर तक को कभी उस पर शक नहीं हुआ।
ऑडियो रिकॉर्डिंग और पेमेंट के सबूतों से खुलासा
जांच के दौरान मिले डिजिटल साक्ष्यों और ऑडियो रिकॉर्डिंग ने मामले को और मजबूत कर दिया। सामने आई ऑडियो रिकॉर्डिंग में सुपरवाइजर जितेंद्र विश्वकर्मा और केयरटेकर राम बहादुर पटेल के बीच बातचीत दर्ज थी, जिसमें वसूली की रकम का हिसाब-किताब नियमित रूप से लिया जा रहा था। फोन पे ऐप से हुए ट्रांजैक्शनों के स्क्रीनशॉट ने ये भी साफ कर दिया कि वसूली की गई रकम को ऑनलाइन पेमेंट के जरिए सुपरवाइजर तक पहुंचाया जा रहा था। वीडियो फुटेज और अन्य दस्तावेजी साक्ष्यों से भी पुष्टि हुई कि रैन बसेरा में आने वाले लोगों को शरण देने के लिए उनसे 50 रुपये प्रति रात की मांग की जाती थी। यह अवैध वसूली गरीब और बेघर लोगों की मदद के लिए बनाई गई योजना के मूल उद्देश्य के खिलाफ थी।
सुपरवाइजर के कहने पर अवैध वसूली
नगर निगम जबलपुर के तहत सेफ एप्रोच संस्था को रैन बसेरों का संचालन और प्रबंधन सौंपा गया था। जांच से पता चला कि संस्था के तत्कालीन सुपरवाइजर जितेंद्र विश्वकर्मा ने जानबूझकर केयरटेकर को अवैध वसूली करने के निर्देश दिए। इस घटना ने नगर निगम की सामाजिक कल्याण योजनाओं के प्रबंधन में पारदर्शिता और निगरानी की भी पोल खोल कर रख दी है।
मटन पार्टी के बाद अवैध वसूली का मामला
यह भी पाया गया कि रैन बसेरा में रुकने वाले गरीब और बेघर लोगों से लिए गए पैसों का कोई हिसाब नगर निगम या अन्य संबंधित विभागों को नहीं दिया जा रहा था। हाल ही में इसी रैन बसेरा में मटन पार्टी का भी मामला सामने आया था। लेकिन उसके बाद भी इस तरह की अवैध वसूली का खुलासा होना यह जाहिर कर रहा है कि निगम की ओर से इन रैन बसेरों की निगरानी में गंभीर खामियां हैं।
सुपरवाइजर के खिलाफ केस दर्ज
सिविल लाइंस थाना प्रभारी नेहरू सिंह खंडाते ने मामले की जानकारी देते हुए बताया कि तहसीलदार राजीव मिश्रा द्वारा प्रस्तुत जांच रिपोर्ट और डिजिटल साक्ष्यों के आधार पर सुपरवाइजर जितेंद्र विश्वकर्मा के खिलाफ धोखाधड़ी का मामला दर्ज किया गया है। पुलिस ने जांच को अपने हाथ में लेते हुए मामले में अन्य दोषियों की भूमिका की भी जांच शुरू कर दी है।थाना प्रभारी ने यह भी कहा कि इस मामले में जिन व्यक्तियों से अवैध रूप से पैसे लिए गए थे, उनकी शिकायतों को भी शामिल करते हुए विस्तृत जांच की जाएगी। अब जिम्मेदारों से उम्मीद है कि यह सुनिश्चित किया जाएगा कि दोषियों को कानून के तहत सख्त से सख्त सजा दी जाए।
प्रशासन की नाकामी उजागर
गोकुलदास धर्मशाला रैन बसेरा को जरूरतमंद और बेघर लोगों को ठहरने की सुविधा देने के उद्देश्य से शुरू किया गया था। लेकिन वह जरूरतमंद जो सक्षम नहीं है और सरकार की इस तरह की योजनाओं का लाभ लेने के लिए ऐसे रैन बसेरे में आते हैं उनको ही लूटने की घटना और इस प्रकार की अवैध वसूली न केवल प्रशासन की नाकामी को उजागर करती है, बल्कि गरीबों और बेसहारा लोगों के अधिकारों के छीने जाने की सच्चाई भी सामने लाती है। यह तरह की घटनाओं से यह सामने आता है कि कैसे सामाजिक कल्याण योजनाओं का दुरुपयोग किया जा सकता है।
रैन बसेरों में हो रही इस अवैध वसूली ने इन आश्रय स्थलों की साख पर सवाल खड़े कर दिए हैं। जब तक इन योजनाओं पर निगरानी और जवाबदेही सुनिश्चित नहीं की जाती, तब तक ऐसे घोटाले होते रहेंगे। यह घटना न केवल जिम्मेदारों की लापरवाही को उजागर करती है, बल्कि यह भी सवाल खड़ा करती है कि सामाजिक कल्याण योजनाओं का लाभ असल जरूरतमंदों तक पहुंच पा रहा है या नहीं।
thesootr links
- मध्य प्रदेश की खबरें पढ़ने यहां क्लिक करें
- छत्तीसगढ़ की खबरें पढ़ने यहां क्लिक करें
- रोचक वेब स्टोरीज देखने के लिए करें क्लिक