जबलपुर में स्कूलों के द्वारा की जा रही अवैध फीस वसूली पर कार्रवाई केवल मध्य प्रदेश ही नहीं पूरे देश में मिसाल बनकर सामने आई है। लेकिन शिक्षा माफिया ने जैसे ठान लिया है कि वह अपने शिक्षा के इस व्यापार को ध्वस्त नहीं होने देंगे चाहे इसके लिए उन्हें कोई भी हथकंडा क्यों न अपनाना पड़े। जबलपुर में शिक्षा अधिकारी कार्यालय से जारी किए गए आदेश को मानने से निजी स्कूल साफ इनकार करते हुए नजर आ रहे हैं। इसके विरोध में अब अभिभावक भी लाम बंद हो चुके हैं।
सोमवार ( 15 जुलाई ) को सुबह हजारों की संख्या में अभिभावक सेंट ग्रेबियल स्कूल रांझी पहुंचे और विरोध करते हुए स्कूल में तालाबंदी की। प्रदर्शन के बाद भी स्कूल के पीआरओ विवेक सिंह ने यह साफ कहा कि हमने कोई भी अवैध वसूली नहीं की है और अगर हमारी बढ़ाई फीस अवैध वसूली में आती है तो मैं जेल जाने को भी तैयार हूं। अभिभावकों की दी गई शिकायत पर जवाब देने पर उन्होंने बताया कि स्कूल के प्रिंसिपल मीटिंग में बाहर गए हुए हैं और उनके आने के बाद ही इसका जवाब दिया जाएगा। जिससे यह तो साफ हो गया है कि कोई भी निजी स्कूल अपनी गलती को मानने को तैयार नहीं है और सभी इस जांच पर ही सवाल खड़े कर रहे हैं।
मीडिया को दिखाए तेवर
सेंट ग्रेबियल स्कूल के PRO विवेक सिंह चौहान से जब यह पूछा गया कि अभिभावकों को क्या आश्वासन दिया गया है तो उन्होंने कहा कि कोई आश्वासन नहीं दिया गया। PRO ने अहम दिखाते हुए यह कहा कि अभी चाहूं तो 1 घंटे में इसका जवाब बना दूं। लेकिन जब प्रिंसिपल लौटेंगे तब जवाब देंगे। इस दौरान मीडिया के सामने स्कूल के स्टाफ का व्यवहार इस तरह का नजर आया कि वह स्वयं जबलपुर के जिला कलेक्टर या कोई मंत्री हों। अब जब मीडिया के कैमरे के सामने स्कूल का स्टाफ इस तरह व्यवहार करता है तो अभिभावकों से उनका व्यवहार कैसा रहता होगा इसका अंदाजा लगाया जा सकता है।
विभाग के आदेश को नहीं मान रहे स्कूल
अभिभावकों से अवैध वसूली गई फीस को वापस करने के लिए जिला शिक्षा का कार्यालय से आदेश जारी किए जा चुके हैं। स्कूलों के द्वारा ली जाने वाली फीस भी निर्धारित की गई है। लेकिन कुछ स्कूल आदेश अब तक उनके पास ना आने का बहाना बना रहे हैं तो कुछ स्कूलों ने तो साफ कह दिया है कि हमें आदेश के खिलाफ कोर्ट जाएंगे। स्कूल प्रबंधन के द्वारा अभिभावकों को मैसेज भेजकर यह बताया गया है कि यदि उन्होंने फीस जमा नहीं की तो उनके बच्चे को एग्जाम में बैठने नहीं दिया जाएगा। बात बच्चे की भविष्य पर आने के कारण कुछ अभिभावक मजबूरी में फीस जमा भी कर रहे हैं।
कोर्ट जाना है अधिकार पर मानना होगा आदेश
इस मामले में जब द सूत्र ने कानून विशेषज्ञों से बात की तो यह सामने आया कि स्कूल आदेश के खिलाफ कोर्ट जाने के लिए तो स्वतंत्र हैं पर जब तक कोर्ट से उन्हें इस आदेश के खिलाफ स्थगन ( Stay ) नहीं मिलता तब तक वॉइस आदेश को मानने से मन नहीं कर सकते क्योंकि यह क्षेत्र के न्यायिक दंडाधिकारी के द्वारा की गई जांच के बाद जारी किया गया आदेश है जिसे मानने के लिए स्कूल बाध्य है।
16 जुलाई को बाकी स्कूलों की सुनवाई
द सूत्र ने आपको अपनी खबर के जरिए बताया था कि जबलपुर शहर में एक ऐसा भी स्कूल है जो 2 साल पहले ही अवैध फीस वसूली का दोषी पाया गया था और उसपर अब तक कार्यवाही नहीं हुई है। जबलपुर जिला कलेक्टर के द्वारा की जा रही अगली खुली सुनवाई में इस जॉय सीनियर सेकेंडरी स्कूल का नाम भी शामिल है। कलेक्टर दीपक सक्सेना ने 16 जुलाई मंगलवार को उन स्कूलों की सुनवाई रखी है जिनके विरुद्ध उन्हें शिकायतें मिली है।
ऐतिहासिक होगी सुनवाई
पैरंट्स असोसिएशन ऑफ़ मध्य प्रदेश के सदस्य अभिभावक इस सुनवाई में हजारों की संख्या में शिकायतें लेकर पहुंचने वाले हैं। संगठन के अध्यक्ष सचिन गुप्ता ने बताया कि उन्होंने स्कूलों के खिलाफ पुख्ता सबूत भी एकत्र किए हैं जो अभिभावक अपनी शिकायत की फाइलों के साथ जिला कलेक्टर को सौंपेंगे। सचिन गुप्ता ने बताया कि यह खुली सुनवाई ऐतिहासिक होने वाली है । क्योंकि इतनी बड़ी संख्या में स्कूलों के खिलाफ शिकायतें आज तक जिला कलेक्टर के पास नहीं पहुंची होगी।
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