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आयकर विभाग की छापामार कार्रवाई। Photograph: (the sootr)
BHOPAL. आयकर विभाग के छापे इन दिनों पूरे प्रदेश में खलबली मचाए हुए हैं। भोपाल सहित प्रदेश के कई शहरों में परिवहन आरक्षक सौरभ शर्मा, बिल्डर राजेश शर्मा पर आइटी की रेड के बाद दो दिन आयकर विभाग की टीम सागर में डेरा जमाए रही। इस दौरान पूर्व बीजेपी विधायक हरवंश सिंह राठौर और उनके भाई के निवास -फर्म के अलावा पूर्व पार्षद और प्रॉपर्टी कारोबारी राजेश केशरवानी के घर और दफ्तरों को खंगाला गया। राजेश केशरवानी सागर नगर निगम में भाजपा पार्षद भी रह चुके हैं। इन छापेमारी में पूर्व विधायक हरवंश सिंह की बीड़ी फर्म और निवास से 14 किलो सोना, 3 करोड़ 80 लाख रुपए से ज्यादा की नकदी भी जब्त की है। इसके अलावा राठौर से जुड़े प्रॉपर्टी कारोबारी राजेश केशरवानी की फर्म से भी नकदी और अहम दस्तावेज जब्त किए गए हैं।
आईटी रेड में कई खुलासे हैरान करने वाले
सागर में हुई ये छापेमारी कई खुलासे करने वाली है। पूर्व बीजेपी विधायक के भाई और प्रॉपर्टी कारोबारी के ठिकानों से सोना, करोड़ों की नकदी के अलावा बेनामी कारें भी जब्त की गई हैं। बताया जाता है कि आइटी रेड के दौरान प्रॉपर्टी, लेनदेन के धंधे से जुड़े कारोबारी और पूर्व पार्षद के घर के कई हिस्सों में फर्श-दीवारों को खोदा गया है। वहीं आंगन में बने भूमिगत कुएं की सर्चिंग भी कराई गई है। जिसमें लेनदेन की कच्ची पर्चियां मिली हैं। इन पर्चियों को जब्त कर उनके जरिए हुए लेनदेन की तस्दीक जारी है। ऐसी पर्चियों के जरिए हवाला लेनदेन की शंका देखते हुए आईटी टीम पड़ताल कर रही है।
मगरमच्छों को देखकर सन्न रह गए अधिकारी
इनकम टैक्स अफसरों की टीम राठौर बंगला पहुंची तो एक हिस्से में बने कुंड में तैरते मगरमच्छों को देखकर सन्न रह गए। कुंड के उत्तरी हिस्से में बने जालीदार शेड में कुछ देशी-विदेशी पक्षी और अलग-अलग नस्लों के कुत्ते भी बंधे हुए थे। आयकर अधिकारियों को पूर्व विधायक हरवंश सिंह और उनके भाई कुलदीप राठौर के घर से करीब 3.80 करोड़ रुपए की नकदी मिली है। वहीं करीब 14 किलो सोना, जेवर और बेनामी वाहन भी पाए गए हैं।
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सोना कैश के साथ रेड में मिले वन्यजीव
सागर में आयकर विभाग की छापेमारी में जो सामने आया है वह काफी चौंकाने वाला है। दूसरी जगह आइटी रेड में सोने के जेवर, हीरे और करोड़ों की नकदी बरामद होती है वहीं सागर में पूर्व विधायक हरवंश सिंह के राठौर बंगला परिसर से संरक्षित वन्यजीव भी मिले हैं। हालांकि इस परिसर में पूर्व विधायक के अलावा उनके चाचा, भाई सहित परिवार के दूसरे सदस्य भी रहते हैं। यह बंगला उनकी और अन्य परिजनों की पैतृक संपत्ति है।
बताया जाता है तीन दिन पहले आयकर विभाग की टीम ने एक साथ रेड की थी। एक टीम सागर के परकोटा क्षेत्र स्थित प्रॉपर्टी, बीड़ी कारोबारी राजेश केशरवानी के घर और फर्म के दफ्तरों को खंगालती रही। वहीं दो अन्य टीमों ने पूर्व विधायक हरवंश सिंह, उनके भाई की सदर स्थित बीड़ी फर्मों और राठौर बंगला परिसर में बने आवासों की छानबीन की।
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वन्यजीव पालने के मामले में हो सकती है उलझन
यह पहला मौका होगा जब आईटी रेड में नकदी-जेवर और कीमती सामान के साथ मगरमच्छ और देशी-विदेशी पक्षी मिले हों। राठौर बंगला में मगरमच्छ और संरक्षित पशु-पक्षी बंधक होने की बात नई नहीं है। हालांकि इसके पीछे अलग-अलग कहानियां इस क्षेत्र में सुनने में आती हैं। आईटी टीम को भी इन जीवों को बंगले में रखने की अनुमति या लाइसेंस नहीं दिखाया गया है। फिलहाल मगरमच्छ और दूसरे जीवों को बंधक रखने को लेकर राठौर पर सवाल उठाए जा रहे हैं। यदि वे इन प्राणियों को बंगले में रखने की अनुमति पेश नहीं कर पाते तो कानूनी पेंच में उलझ सकते हैं। क्योंकि मगरमच्छ या अन्य संरक्षित जीवों को अनाधिकृत रूप से बंधक बनाने पर वन्यजीव संरक्षण एक्ट 1972 के तहत 25 हजार रुपए तक जुर्माने के साथ ही तीन से सात साल तक की सजा भी हो सकती है। कुछ मामलों में जुर्माना भरने के बावजूद जेल जाना पड़ सकता है। हालांकि आयकर विभाग की सूचना के बावजूद वन विभाग से कोई अफसर पड़ताल करने राठौर बंगला नहीं पहुंचा है।
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अफसरों ने वन विभाग को दी खबर
राठौर बंगला परिसर में जो वन्य जीव पाए गए हैं उसके कारण इनकम टैक्स की यह रेड न केवल एमपी बल्कि देशभर में चर्चा में बनी हुई है। लोग इन जानवरों को पालने के संबंध में भी सवाल कर रहे हैं। तो पूर्व विधायक के पैतृक आवासीय परिसर में ये जानवर कब से हैं हम इसके बारे में आपको बताते हैं। बुंदेलखंड के रसूखदार बीजेपी नेता और उमाभारती सरकार में जेल मंत्री रहे हरनाम सिंह राठौर के परिजनों ने अंग्रेजी शासनकाल में शौकिया तौर पर कई वन्यजीवों को अपने बंगले के एक हिस्से में पाला था। तब यहां मगरमच्छों के अलावा हिरण, सांभर, चीते जैसे कई वन्यजीव और देशी-विदेशी प्रजाति के पक्षी भी थे।
आजादी के बाद राठौर परिवार ने इसे चिड़ियाघर में बदल दिया था और लोग इन वन्यजीवों को देखने भी यहां पहुंचते रहे। इन वन्यजीवों को रखने के लिए तब वन विभाग से लाइसेंस के रूप में अनुमति भी ली गई थी। बताया जाता है साल 2014 से 2018 के बीच राठौर परिवार ने वन विभाग को चिट्ठी भेजकर वन्यजीवों की देखरेख में असमर्थता जताई थी। हालांकि उसके बाद क्या हुआ, क्या वन विभाग ने वन जीवों को अपने संरक्षण में लेने में दिलचस्पी दिखाई या नहीं, क्या पूर्व विधायक ने दोबारा इसके लिए अधिकारियों से संपर्क किया इसके बारे में कोई जानकारी नहीं है।
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केशरवानी के हवाला कारोबारियों से कनेक्शनों की पड़ताल
फिलहाल खबर है आइटी रेड में जो कैश और सोना मिला है वो पूर्व विधायक हरवंश सिंह का नहीं उनके भाई कुलदीप सिंह के आवास और बीड़ी फर्म से मिला है। उनके द्वारा इस सोने के बिल भी आइटी अफसरों को दिखाए हैं। हालांकि कई बिल अमान्य कर 14 किलो सोना और 3.80 करोड़ की नकदी जब्त कर आइटी टीम रवाना हो गई है। उधर, राठौर के नजदीकी बीड़ी और प्रॉपर्टी कारोबारी राजेश केशरवानी के घर और दफ्तरों से नकदी जब्त की गई है।
अघोषित लेनदेन की पर्चियां भी बरामद
केशरवानी के घर के अलग-अलग हिस्सों से अघोषित लेनदेन की कई कच्ची पर्चियां भी बरामद हुई हैं। जिसके चलते केशरवानी का कनेक्शन हवाला कारोबार से जुड़ा होने का अंदेशा जताया गया है। यह भी चर्चा है कि कुछ साल पहले प्रॉपर्टी के कारोबार में केशरवानी और राठौर एक साथ थे। ऐसे में केशरवानी के लेनदेन के अघोषित कारोबार में राठौर परिवार का धन लगा होने का अंदेशा भी आइटी अफसरों को है।
बेनामी कार, हवाला पर्ची कर रहीं किस ओर इशारा
बीते पखवाड़े पूरे प्रदेश भर में खलबली मचाने वाली आईटी रेड अब भी परिवहन आरक्षक सौरभ शर्मा और उसके साथी राजेश शर्मा के कनेक्शन खंगाल रही है। उसकी बेनामी चल-अचल संपत्तियों की पड़ताल अभी पूरी नहीं हुई है। इस बीच तीन दिन चली आईटी रेड में बीड़ी कारोबारी के घर में बने कुएं, दीवार और फर्श की खुदाई के बाद जब्त लेनदेन की पर्चियां जब्त की गई हैं। आईटी अफसरों को इन पर्चियों का उपयोग हवाला के लिए करने का अंदेशा है। वहीं राठौर और केशरवानी के पास मिली बेनामी कारों के मालिकों को भी तलाशा जा रहा है। केशरवानी के प्रॉपर्टी कारोबार में निवेश और हवाला कारोबार में शामिल रहने की सूचनाओं के बाद आइटी टीम परिवहन आरक्षक सौरभ शर्मा से उनके कनेक्शन खंगाल रही है।