इंदौर में रहवासी संघ में हो रहे विवाद अब एसडीएम कोर्ट पहुंचने लगे हैं। ऐसे ही एक मामले में महालक्ष्मी नगर के एलीट एपेक्स रहवासी संघ में 50 पैसे मेंटनेंस चार्ज बढ़ाने का मामला पहुंचा। यहां रहवासियों की बात सुनने के बाद कोर्ट ने इस बढ़ोतरी फैसले को रद्द कर दिया। साथ ही रहवासियों को सभी लेखे दिखाने के आदेश भी दिए हैं।
यह है मामला
महालक्ष्मी नगर स्थित एलीट एपेक्स मल्टी में मार्च 2022 में मध्य प्रदेश प्रकोष्ठ अधिनियम 2000 व म.प्र. प्रकोष्ठ स्वामित्व नियम 2019 के तहत प्रबंधन बोर्ड यानी रहवासी संघ का गठन किया गया। इसमें विविध चुनाव के बाद नया बोर्ड बना। बोर्ड ने 17 मार्च 2024 को फैसला लिया कि अब मेंटेनेंस चार्ज 1 रुपए प्रति वर्गफीट की जगह फ्लैट वालों से 1.50 रुपए लेंगे।
अब जब रहवासियों ने कहा कि दो साल से एक रुपए जो लिया जा रहा है उसका पहले हिसाब बताओ, लेखे दिखाओ तो मना कर दिया गया। बार-बार इसकी मांग की गई और कुछ रहवासियों ने लीगल नोटिस भी दिया तब भी इसकी जानकारी नहीं दी गई। इसके बाद रहवासियों ने एसडीएम घनश्याम धनगर की कोर्ट में केस दायर कर दिया।
इन्होंने लगाया केस, यह रहे पक्षकार
रहवासी संजय वाघमारे, पंकज श्रोत्रिय, पंकज सिंह भाटिया, सुरेश भार्गव व अन्य ने यह केस लगाया। इसमें प्रबंधन बोर्ड को पक्षकार बनाया गया। जिसमें अभी अध्यक्ष सुमित गुप्ता, सचिव अभय गुप्ता, कोषाध्यक्ष प्रमोद कुमार नीखरा, उपाध्यक्ष जितेंद्र अरोरा, संयुक्त सचिव रजनी मंगलावत, संयुक्त कोषाध्यक्ष कीर्ति सिंह जादौन, सदस्य संदीप महाजन, प्रितेश श्रीवास्तव, प्रदीप रतन श्रीवास्तव और मनीष तिवारी है।
एसडीएम ने यह दिया अहम फैसला
एसडीएम ने इस मामले में सभी पक्षों को सुनने के बाद अहम आदेश देते हुए सबसे पहले तो 17 मार्च को मेंटनेंस शुल्क बढ़ोतरी का फैसले को रद्द कर दिया। साथ ही कहा कि म.प्र. प्रकोष्ठ स्वामित्व नियम 2019 के अंतर्गत उपविधि 49 के अनुसार ऑडिटर की नियुक्ति होना चाहिए। प्रबंधन बोर्ड द्वारा वित्तीय वर्ष 2022-23 वित्तीय वर्ष 2023-24 में ऑडिट के लिए नियमानुसार किसी भी ऑडिटर की नियुक्ति के लिए ए.जी.एम में ना तो कोई प्रस्ताव रखा गया और ना ही इस हेतु सदस्यों का अनुमोदन लिया गया।
इसलिए एलीट एपेक्स अपार्टमेंट रहवासी संघ को निर्देशित किया जाता है कि वह सभी सदस्यों को सूचना पत्र जारी कर वार्षिक साधारण सभा का आयोजन कर समस्त लेखे साधारण सभा (ए.जी.एम) मे रखे और ऑडिटर का अनुमोदन कर नियुक्ति करते हुए ऑडिट रिपोर्ट मय लेखा दस्तावेजो के 6 सप्ताह में इस कार्यालय में जमा करवाएं।
फैसले से अन्य मल्टी में खुली राह
इंदौर में अधिकांश मल्टी में यही हाल है, कहीं पर सही तरह से बोर्ड का गठन नहीं है तो कहीं पर बोर्ड के चुनाव, अन्य संचालन नियमानुसार नहीं हो रहे हैं। जो बोर्ड बन जाता है वह फिर रहवासियों को हिसाब भी नहीं देता है कि कहां पर कितना खर्च हो रहा है। इस फैसले से अब अन्य मल्टी में भी रहवासियों को आधार मिलेगा कि वह एसडीएम कोर्ट में जाकर केस दायर कर सकता है।
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