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Gwalior. ग्वालियर में 120 साल पुरानी देश की सबसे पतली नैरोगेज ट्रेन जल्द ट्रैक पर दौड़ सकती है। इसे हेरिटेज टूरिस्ट ट्रेन के रूप में चलाने की योजना है। ट्रेन घोसिपुरा नैरोगेज स्टेशन से बानमोर गांव स्टेशन तक चलेगी। यह ट्रेन 20 किलोमीटर के ट्रैक पर चलेगी। रेलवे बोर्ड और प्रशासन के सुझाव पर यह कदम उठाया गया है।
केंद्रीय मंत्री सिंधिया ने की थी मांग
ग्वालियर के महाराज और केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने 2021 में रेल मंत्री को पत्र लिखा था। उन्होंने नैरोगेज ट्रेन को नीलाम करने की बजाय हेरिटेज टूरिस्ट ट्रेन बनाने की मांग की थी। इसके बाद रेलवे ने इस दिशा में काम तेज किया। केंद्रीय मंत्री सिंधिया ने रेलवे बोर्ड के प्रस्ताव पर खुशी जाहिर की है। उन्होंने कहा कि यह कदम पर्यटन के लिए सकारात्मक रहेगा।
कोरोना काल से बंद है ट्रेन
नैरोगेज ट्रेन हर दिन दो फेरे लगाकर 200 किलोमीटर का सफर करती थी। यह ग्वालियर से श्योपुर तक चलती थी। मार्च 2020 में कोरोना काल के दौरान ट्रेन ने आखिरी सफर किया। इसके बाद यह कभी ट्रैक पर नहीं लौटी। अब एक बार फिर से इस ट्रेन के पटरी पर लौटने की उम्मीद जताई जा रही है।
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जल्द कर सकेंगे इतिहास की सैर
स्थानीय जनप्रतिनिधियों ने भी रेलवे से नैरोगेज ट्रेन के संचालन की मांग की है। समाजसेवी सुधीर गुप्ता ने कहा, रेलवे बोर्ड की एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर आसीमा मेहरोत्रा और डीडी राजेश कुमार ने ग्वालियर में सर्वे किया है। इसके बाद यह संभावना बनी कि नैरोगेज ट्रेन घोसीपुरा से बानमोर गांव के बीच चलेगी। यह ट्रेन जल्द इतिहास की सैर कराएगी।
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हेरिटेज टूरिस्ट ट्रेन के रूप में चलाने का प्रस्ताव
दो कोच वाली इस ट्रेन को हेरिटेज टूरिस्ट ट्रेन के रूप में चलाने का प्रस्ताव है। इसके साथ ही सिंधिया स्टेट टाइम के नैरोगेज म्यूजियम का विस्तार नागपुर के म्यूजियम की तर्ज पर किया जाएगा। इसमें पुराने रॉयल कोच इंजन को डिस्प्ले किया जाएगा। इससे यह एक आकर्षक पर्यटक स्थल बन सकेगा।
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हेरिटेज ट्रेन पर्यटन को देगी बढ़ावा
रेलवे के पास अभी नैरोगेज के 38 कोच हैं। इनमें से 27 कोच काम के हैं। 7 इंजन में से 4 चलने लायक हैं। यह पहल ऐतिहासिक ट्रैक को पर्यटन और सांस्कृतिक संरक्षण का जरिया बनाएगी। यह ग्वालियर की ऐतिहासिक विरासत को अगली पीढ़ी तक पहुंचाएगी। हेरिटेज ट्रेन पर्यटन और स्थानीय अर्थव्यवस्था को नया जीवन देगी। साथ ही लोग इतिहास के साथ सफर कर पाएंगे।
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