भारत में एक देश एक चुनाव संविधान और आरपी एक्ट में संशोधन से ही संभव : ओपी रावत, पूर्व मुख्य निर्वाचन आयुक्त

'एक राष्ट्र एक चुनाव' सामयिक विषय पर विमर्श आयोजित किया गया। इसमें पूर्व मुख्य निर्वाचन आयुक्त रावत ने कहा कि भारत में एक देश एक चुनाव संविधान में आवश्यक संशोधन के साथ आरपी एक्ट में संशोधन करने के बाद ही संभव है...

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Jitendra Shrivastava
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BHOPAL. भारत में एक देश एक चुनाव संविधान में आवश्यक संशोधन साथ ही लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम आरपी एक्ट में संशोधन करने के बाद ही संभव है। यह बात पूर्व मुख्य निर्वाचन आयुक्त और मध्यप्रदेश के सीनियर आईएएस ऑफिसर ओपी रावत ने कही। आईआईपीए भारतीय लोक प्रशासन संस्थान की मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ क्षेत्रीय शाखा ने मध्यप्रदेश प्रशासन अकादमी भोपाल में भारत के जनमानस और मतदाता के केंद्र बिंदु "एक राष्ट्र एक चुनाव " सामयिक और ताजा विषय पर विमर्श का आयोजन किया था।  

निर्वाचन आयोग एक राष्ट्र, एक चुनाव कराने में सक्षम

पूर्व मुख्य निर्वाचन आयुक्त ओपी रावत ने 'वन नेशन वन इलेक्शन' यानी 'एक राष्ट्र एक चुनाव' से संबंधित कई पहलुओं की जानकारी देते हुए कहा की निर्वाचन आयोग एक राष्ट्र, एक चुनाव कराने के लिए सक्षम है। आयोग के पास अभी जो इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन-ईवीएम और वीवीपैट-वोटर वेरिफिएबल पेपर ऑडिट ट्रेल हैं इससे भी अधिक की जरूरत पड़ेगी। ओपी रावत ने बताया की साल 2015 में वे निर्वाचन आयोग में ही थे। उसी दौरान केंद्र सरकार ने चुनाव आयोग से पूछा था कि क्या लोकसभा और विधानसभाओं के चुनाव एक साथ कराना व्यवहारिक है और इसके लिए क्या कदम उठाए जाने जरूरी हैं?

सदन में अविश्वास प्रस्ताव लाने के नियमों को बदलना होगा

निर्वाचन आयोग ने केंद्र सरकार को बताया था कि दोनों चुनाव साथ कराना संभव है। इसके लिए सरकार को चार काम करना होगा। इसके लिए सबसे पहले संविधान के 5 अनुच्छेदों में संशोधन जरूरी होगा। इसमें विधानसभाओं के कार्यकाल और राष्ट्रपति शासन लगाने के प्रावधानों को बदलना होगा। इसके अलावा निर्वाचन आयोग ने बताया था कि जन प्रतिनिधित्व कानून और सदन में अविश्वास प्रस्ताव को लाने के नियमों को बदलना होगा। इसके लिए ‘अविश्वास प्रस्ताव’ की जगह ‘रचनात्मक विश्वास प्रस्ताव’ की व्यवस्था करनी होगी। यानी अविश्वास प्रस्ताव के साथ यह भी बताना होगा कि किसी सरकार को हटाकर कौन सी नई सरकार बनाई जाए, जिसमें सदन को विश्वास हो। ताकि पुरानी सराकर गिरने के बाद भी नई सरकार के साथ विधानसभा या लोकसभा का कार्यकाल पांच साल तक चल सके। 

47 में से 32 पार्टियां 'वन नेशन वन इलेक्शन' के समर्थन में थे

वरिष्ठ पत्रकार और राजनैतिक विश्लेषक सरमन नगेले ने बताया की 191 दिनों में तैयार इस 18,626 पन्नों की रिपोर्ट में कहा गया है कि 47 राजनीतिक दलों ने अपने विचार समिति के साथ साझा किए थे। इनमें से 32 राजनीतिक दल 'वन नेशन वन इलेक्शन' के समर्थन में थे, जबकि 15 राजनीतिक दलों ने अपनी राय रखते हुए समर्थन से इंकार किया है यानी वे इसके विरोध में हैं। नगेले ने कहा कि एक देश एक चुनाव पर लगभग 21558 रेस्पॉन्स आए, लेकिन वे अंग्रेजी में थे हिंदी और अन्य क्षेत्रीय भाषाओं के नहीं। इसकी अनदेखी हुई है। सरकार और भारत निर्वाचन आयोग को फेक न्यूज, हेट न्यूड और पेड न्यूज पर अंकुश लगाने पर विशेष फोकस करना चाहिए। 

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