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इंदौर में अवैध रूप से रह रहे बांग्लादेशियों और रोहिंग्याओं पर निगरानी के बीच एक बड़ी कार्रवाई सामने आई है। इंदौर जेल में चार साल की सजा काट रहे बांग्लादेशी दंपत्ति को बुधवार को रिहा होते ही हीरानगर पुलिस ने हिरासत में ले लिया।
दोनों को अब डिपोर्ट किया जाएगा। फिलहाल उन्हें सेफ हाउस में रखा गया है। वहीं, दूसरी तरफ इंदौर में बांग्लादेशी नागरिकों और रोहिंग्याओं की मौजूदगी को लेकर विशेष जांच दल (SIT) ने बड़ा खुलासा किया है।
जेल से बाहर आते ही दबोचा
हीरानगर टीआई पीएल शर्मा ने बताया कि रोहिणी शेख और उसकी पत्नी रिया को बुधवार को जैसे ही जेल से छोड़ा गया, पुलिस ने गेट पर ही पकड़ लिया। उनकी रिहाई की पहले से सूचना मिलने के कारण यह कार्रवाई की गई। दोनों को भारत की नागरिकता नहीं होने के कारण अब बांग्लादेश भेजने की तैयारी की जा रही है।
अपहरण केस में हुई थी गिरफ्तारी
एडिशनल डीसीपी राजेश दंडोतिया ने बताया कि 2020 में रोहिणी शेख और उसकी पत्नी रिया को महाराष्ट्र के किशोर खंडारे और उसकी पत्नी नीता के साथ एक अपहरण कांड में गिरफ्तार किया गया था। उस समय उनकी गिरफ्तारी पश्चिम बंगाल से हुई थी। कोर्ट ने उन्हें चार साल की सजा सुनाई थी, जो अब पूरी हो चुकी है।
SIT की भूमिका
राज्य स्तर पर गठित विशेष जांच दल (SIT) को दोनों की रिहाई की जानकारी पहले ही मिल गई थी। SIT ने इंदौर पुलिस को अलर्ट किया था, जिसके बाद हीरानगर पुलिस ने दोनों को हिरासत में लिया।
इंदौर में सक्रिय बांग्लादेशी और रोहिंग्या
बांग्लादेशी और रोहिंग्या मुसलमानों की पहचान और सत्यापन को लेकर भारत सरकार ने विशेष अभियान चलाया था। इंदौर में भी पुलिस ने सराफा, सांवेर रोड और औद्योगिक क्षेत्रों में काम करने वालों का डाटा इकट्ठा किया है। इंटेलिजेंस एजेंसियां इस मामले में लगातार अलर्ट पर हैं।
रेलवे पटरी के पास मिला बांग्लादेशी
इस बीच पुलिस को हीरानगर रेलवे पटरी के पास झुग्गी में रह रहे एक अन्य बांग्लादेशी सौरभ के बारे में भी जानकारी मिली है। सौरभ ने न केवल इंदौर में लंबे समय से डेरा जमा रखा है बल्कि आधार कार्ड और अन्य दस्तावेज भी बनवा लिए हैं। फिलहाल उसकी निगरानी की जा रही है और सूचना SIT भोपाल को भेज दी गई है।
SIT की रिपोर्ट से खलबली
मध्य प्रदेश के इंदौर में बांग्लादेशी नागरिकों और रोहिंग्याओं की मौजूदगी को लेकर विशेष जांच दल (SIT) ने बड़ा खुलासा किया है। जांच में न केवल अवैध तरीके से रह रहे कई बांग्लादेशी पकड़े गए, बल्कि चौंकाने वाली जानकारी यह भी सामने आई कि इनमें से एक महिला का रिश्तेदार भारतीय सेना में भर्ती हो चुका है। SIT की रिपोर्ट के बाद इंटेलिजेंस ब्यूरो (IB) और अन्य राष्ट्रीय एजेंसियों ने भी जांच शुरू कर दी है।
कई बांग्लादेशी रह रहे इंदौर में, एक महिला डिपोर्ट
जांच में पता चला कि इंदौर में कई बांग्लादेशी नागरिक फर्जी पहचान पत्र (आधार, पैन कार्ड आदि) बनवाकर वर्षों से रह रहे हैं। कार्रवाई के दौरान पुलिस ने एक महिला को डिपोर्ट कर बांग्लादेश भेज दिया है, जबकि दो अन्य महिलाओं को हिरासत में लिया गया है। दोनों महिलाओं का आपराधिक रिकॉर्ड है और वे गैर-कानूनी गतिविधियों में शामिल पाई गई हैं।
SIT की पड़ताल, बंगाल कनेक्शन और सेना तक पहुंच
रिपोर्ट के मुताबिक, काकद्वीप (कोलकाता) का सौरभ दास और उसका परिवार भी अवैध तरीके से भारत में रह रहा है। वर्षों पहले घुसपैठ कर आए सौरभ के दादा आज भी दक्षिण 24 परगना (प. बंगाल) में रेलवे ट्रैक किनारे रहते हैं। सौरभ ने इंदौर में घर बना लिया और बांग्लादेशी युवती से शादी कर ली थी। पुलिस ने युवती को शाजापुर से गिरफ्तार कर डिपोर्ट कर दिया, लेकिन सौरभ फरार हो गया। जांच के दौरान यह भी सामने आया कि सौरभ की बहन प्रभा का एक बेटा भारतीय सेना में भर्ती हो चुका है। यह खुलासा सुरक्षा एजेंसियों के लिए गंभीर चिंता का विषय बन गया है।
बंगाल पुलिस ने रोकी SIT की जांच
पिछले माह ACP जगदीश पाटिल और ACP पराग सैनी की अगुवाई में सात सदस्यीय SIT टीम पश्चिम बंगाल पहुंची थी। यहां साउथ 24 परगना और नॉर्थ 24 परगना में जब जांच शुरू हुई तो स्थानीय रहवासियों ने विरोध कर दिया। स्थिति इतनी बिगड़ी कि बंगाल पुलिस ने SIT टीम को पकड़ लिया और पूरे दिन थाने में बैठाए रखा। पुलिस ने साफ कहा कि इस तरह की जांच की अनुमति नहीं है। बाद में डीसीपी डॉ. हंसराज के दखल और वरिष्ठ अफसरों से बातचीत के बाद SIT टीम को छोड़ा गया।
जांच से खलबली, एजेंसियां सतर्क
इस गोपनीय रिपोर्ट के सामने आने के बाद IB सहित कई राष्ट्रीय जांच एजेंसियां सक्रिय हो गई हैं। अब मामले की गहन जांच की जा रही है कि कैसे फर्जी दस्तावेजों के जरिए बांग्लादेशी नागरिक न केवल इंदौर में रह रहे हैं, बल्कि उनके रिश्तेदार संवेदनशील संस्थानों तक पहुंच बनाने में सफल हो गए।
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