BJP के विधि प्रकोष्ठ प्रदेश संयोजक और पूर्व अतिरिक्त महाधिवक्ता मनोज द्विवेदी ने जांच में नहीं किया सहयोग, जांच कमेटी ने तोड़ा ताला

इंदौर अभिभाषक संघ के 2023-24 चुनाव में अनियमितता के आरोप लगे हैं, जिसमें कुछ अयोग्य सदस्यों ने वोट डाले। जांच कमेटी ने मनोज द्विवेदी से दस्तावेज मांगने पर ताला तोड़कर दस्तावेज जब्त किए। अध्यक्ष सुरेंद्र वर्मा और उनके गुट ने अनियमितता से इनकार किया है।

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Sanjay gupta
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पूर्व अतिरिक्त महाधिवक्ता मनोज द्विवेदी
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इंदौर अभिभाषक संघ के 2023-24 के चुनाव को लेकर तनातनी बढ़ गई है। इस चुनाव में अनियमितता के आरोप लगने के बाद इसकी जांच के लिए कमेटी बन गई है। इस कमेटी के आरोप है कि मुख्य चुनाव अधिकार रहे मनोज द्विवेदी इसमें सहयोग नहीं कर रहे हैं। इसके बाद कमेटी ने अलमारी में रखे चुनाव संबंधी दस्तावेज लेने के लिए ताला तोड़ा और दस्तावेज लिए।

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क्या है आरोप

संघ के चुनाव को लेकर आरोप है कि जो सदस्य नहीं थे और पात्र नहीं थे, उन्होंने भी वोट डाले। इसमें खासकर जो प्रोवीजनल मतदाता थे, जिन्हें वोट डालने का अधिकार नहीं है उन्होंने वोट डाल दिए। जिनकी वोटिंग राइट्स क्लियर नहीं थी (हाईकोर्ट में डालेंगे या जिला कोर्ट में) उन्होंने भी वोट डाले। इसके कारण पूरा चुनाव ही अशुद्ध हुआ है। इसमें दिनेश हार्डिया, सचिव कपिल बिरथरे गुट अनियमितता का मुद्दा उठा रहा है। वहीं अध्यक्ष सुरेंद्र वर्मा व उनका गुट कोई अनियमितता नहीं होने की बात कह रहा है। 

मनोज द्विवेदी

कौन हैं मनोज द्विवेदी

द्विवेदी बीजेपी विधि प्रकोष्ठ के प्रदेश संयोजक है। साथ ही वह प्रदेश में अतिरिक्त महाधिवक्ता भी रह चुके हैं। एक मार्च 2024 को हुए चुनाव के दौरान वह मुख्य चुनाव अधिकारी थे। चुनाव के बाद से ही अधिवक्ता दिनेश हार्डिया गुट आरोप लगाता रहा है कि यह चुनाव में गलत वोटिंग हुई है। 

दो गुटों में विवाद के बीच बनी कमेटी

चुनाव में सुरेंद्र वर्मा अध्यक्ष चुने गए, लेकिन चुनाव में धांधली की शिकायत जारी रही। इसी दौरान इंदौर अभिभाषक संघ की 23 अगस्त को एजीएम बुलाई गई। इसमें इस चुनाव की धांधली की जांच के लिए चार सदस्यीय कमेटी गठित की गई। इसमें राकेश हार्डिया संयोजक बने और साथ ही कमेटी में विमल मिश्रा, प्रकाश गुप्ता व महेश को रखा गया। हालाकिं अध्यक्ष वर्मा गुट ने कहा कि ऐसा फैसला नहीं हुआ, लेकिन हार्डिया और संघ के सचिव कपिल बिरथरे गुट ने कहा कि कमेटी बहुमत से बनाई गई है। हार्डिया को संयोजक बनाए जाने को लेकर पत्र भी जारी हो गया। 

द्विवेदी को लिखा गया था पत्र

कमेटी बनने के बाद सचिव कपिल बिरथरे को कमेटी ने दो सितंबर को पत्र भेजकर चुनाव के सभी दस्तावेज देने के लिए कहा। सचिव बिरथरे के साथ सह सचिव रत्नेश पाल, कोषाध्यक्ष पुरूषोत्त्म सोमानी व तीन अन्य सदस्यों ने द्विवेदी को पत्र लिखा कि वह चुनाव अधिकारी थे, तो कमेटी को सभी दस्तावेज चौंपे जाएं और अलमारी की चाबी दी जाए, लेकिन द्विवेदी ने इंकार कर दिया। इसके बाद कमेटी मंगलवार को चुनाव दफ्तर में पहुंची और वहां पर अलमारी को तोड़कर सभी दस्तावेज जब्त किए गए। हालांकि अभी भी कमेटी को पूरे दस्तावेज और खासकर वह रजिस्टर नहीं मिला है, जिसमें चुनाव के समय वकीलों ने हस्ताक्षर किए थे। 

चुनाव में यह चुने गए थे

अध्यक्ष सुरेंद्र वर्मा, उपाध्यक्ष श्रीराम भदौरिया, सह सचिव रत्नेश पाल, कोषाध्यक्ष पुरोतत्म सोमानी, सदस्य निमेष सोलंकी, विकास चौबे, सुनीता योगी, मनीषा पण्डया, नीरज सिरसिया व नमन दुबे।

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