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स्वच्छ सर्वेक्षण-2024 में इंदौर एक बार फिर देशभर में स्वच्छता के क्षेत्र में सबसे आगे निकला है। सुपर स्वच्छ लीग में इंदौर को देशभर में पहला स्थान हासिल किया। यह अवॉर्ड 10 लाख से अधिक जनसंख्या वाले शहरों की कैटेगरी में दिया गया। नगरीय प्रशासन मंत्री कैलाश विजयवर्गीय और महापौर पुष्यमित्र भार्गव ने राष्ट्रपति से अवार्ड लिया। इस बार स्वच्छता अवॉर्ड अलग अलग कैटेगरी में दिए गए। आपको बता दें की द सूत्र ने सबसे पहले अंकों के आधार पर खबर में बताया था की इंदौर नंबर वन और सूरत दूसरे स्थान पर रहेगा।
सुपर स्वच्छ लीग में इंदौर को बड़ा सम्मान
इंदौर को लगातार स्वच्छता में उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए देश की सबसे स्वच्छ नगरी के तौर पर स्वीकार किया गया। महापौर और नगरीय प्रशासन मंत्री ने यह सम्मान प्राप्त किया और इसे इंदौरवासियों को समर्पित किया।
गौरतलब है कि इस बार केंद्र सरकार ने सुपर स्वच्छ लीग के लिए कोई आधिकारिक रैंकिंग जारी नहीं की है। न ही अब तक अंकों का खुलासा किया गया है। हालांकि जिन शहरों ने श्रेष्ठ प्रदर्शन किया, उन्हें मंच पर बुलाकर सम्मानित किया गया।
भोपाल को मिली दूसरी रैंक
सामान्य स्वच्छता रैंकिंग में 10 लाख से अधिक आाबादी कैटेगरी में नंबर वन शहर अहमदाबाद दूसरे नंबर पर भोपाल और तीसरे नंबर पर लखनऊ रहा। यह सम्मान उन शहरों को मिला है जिन्होंने अपने स्तर पर सस्टेनेबल क्लीन सिटी मॉडल को अपनाया और बेहतर सफाई व्यवस्था को लागू किया। भोपाल की 6 साल बाद टॉप 3 में वापसी हुई है।
3 से 10 की आबादी वाली कैटेगरी में उज्जैन चौथे स्थान पर
3 से 10 लाख की आबादी वाले शहरों की सुपर स्वच्छ लीग में उज्जैन ने देशभर में चौथा स्थान हासिल किया। इस श्रेणी में नोएडा को पहला, चंडीगढ़ को दूसरा और मैसूर को तीसरा स्थान मिला।
20 हजार से कम आबादी वाली कैटेगरी में बुधनी को टॉप 5 में
20 हजार से कम आबादी वाली श्रेणी की सुपर स्वच्छ लीग में बुधनी ने देशभर में पांचवां स्थान पाया। इस कैटेगरी में महाराष्ट्र का पंचगनी पहले, पाटन दूसरे, बनहला तीसरे और विश्रामपुर चौथे स्थान पर रहे।
एमपी के किस शहर को कौनसी कैटगरी में मिला अवार्ड
मध्यप्रदेश ने स्वच्छता की अलग-अलग श्रेणियों में बेहतरीन प्रदर्शन किया है। 10 लाख से अधिक आबादी वाले शहरों की सुपर स्वच्छ लीग में इंदौर एक बार फिर नंबर वन बना है। वहीं, 3 से 10 लाख की आबादी वाले शहरों की लीग में उज्जैन को चौथा स्थान मिला। इसी तरह, 20 हजार से कम आबादी की कैटेगरी में बुधनी ने पांचवां स्थान हासिल किया।
अगर सामान्य स्वच्छता रैंकिंग की बात करें तो 10 लाख से ज्यादा आबादी वाले शहरों में अहमदाबाद पहले और भोपाल दूसरे स्थान पर रहा। 50 हजार से 3 लाख आबादी वाले शहरों में देवास ने देशभर में टॉप रैंक पाई, जबकि 20 हजार से कम आबादी की श्रेणी में मध्यप्रदेश का ही शाहगंज तीसरे पायदान पर रहा।
स्वच्छ शहर सफाई में पिछड़े शहरों को लेंगे गोद
केंद्रीय मंत्री मनोहर खट्टर ने कहा कि जो पहले तीन नंबर पर शहर रहेंगे उन्हें अगले साल सुपर स्वच्छ लीग में शामिल किया जाएगा। लीग में अंतिम पायदान पर रहे शहर लीग से बाहर हो जाएंगे। यह भी घोषणा की कि जो सफाई में आगे हैं वह अपने राज्य के औसत प्रदशर्न करने वाले शहरों को एडॉप्ट करेंगे और उन्हें आगे ले आएंगे।
स्वच्छता अवार्ड में इस बार नया क्या
2023 में मध्यप्रदेश को कुल 18 अवॉर्ड मिले थे। इस बार राज्य को 20 पुरस्कार तक मिलने की संभावना जताई जा रही है। स्वच्छता सर्वेक्षण के तहत स्टार रेटिंग, ओडीएफ++ और वॉटर प्लस के नतीजे भी आज जारी होंगे।
भोपाल, इंदौर और उज्जैन के मेयर, मंत्री और अधिकारी दिल्ली में मौजूद रहेंगे।
MP कैसे बना स्वच्छता का गढ़?
लगातार प्रयासों से शहरों की सफाई व्यवस्था में बड़ा सुधार हुआ है। सभी शहरों ने कचरा प्रबंधन, वेस्ट प्रोसेसिंग और नागरिक सहभागिता पर काम किया। इंदौर जैसे शहरों ने डिजिटल ट्रैकिंग, स्वच्छता वॉलंटियर्स और जागरूकता अभियानों पर जोर दिया। हर स्तर पर स्थानीय प्रशासन की सक्रिय भूमिका रही है।
क्या होता है स्वच्छता सर्वे, कैसे मिलती है रैंकिंग?
स्वच्छता सर्वेक्षण भारत सरकार की एक राष्ट्रीय स्तर की पहल है, जिसे केंद्रीय आवास और शहरी मामलों का मंत्रालय (MoHUA) हर साल आयोजित करता है। इसका उद्देश्य देश के सभी शहरों और नगरपालिकाओं को स्वच्छता के मानकों पर परखना और उन्हें रैंकिंग देना है, जिससे शहरों में स्वच्छता को लेकर प्रतिस्पर्धा बढ़े और आम नागरिकों में जागरूकता आए।
कब से शुरू हुआ स्वच्छता सर्वे
इस सर्वे की शुरुआत 2016 में हुई थी और यह स्वच्छ भारत मिशन (शहरी) के अंतर्गत आता है। सर्वेक्षण में मुख्य रूप से कचरा प्रबंधन, सफाई व्यवस्था, नागरिकों की भागीदारी, और शौचालयों की स्थिति जैसी बातों का मूल्यांकन किया जाता है। इसके तहत कई मापदंडों पर शहरों की जांच की जाती है जैसे:
- डोर-टू-डोर कचरा संग्रहण
- गीले और सूखे कचरे का अलग-अलग संग्रहण और प्रोसेसिंग
- खुले में शौच से मुक्ति (ODF) स्थिति
- सार्वजनिक स्थानों की स्वच्छता
- नागरिकों की फीडबैक और संतुष्टि
- शहरों को तीन प्रमुख भागों में मिले स्कोर के आधार पर रैंक दी जाती है:
- सर्वेक्षण टीम द्वारा फील्ड में मूल्यांकन (Field Assessment)
- शहर द्वारा प्रस्तुत दस्तावेज़ और डेटा (Service Level Progress)
- नागरिकों से ऑनलाइन या कॉल के माध्यम से लिया गया फीडबैक (Citizen Feedback)
हर साल लाखों लोग इस सर्वेक्षण में भाग लेते हैं और यह एक तरह से शहरों की स्वच्छता रिपोर्ट कार्ड बन गई है। इससे न केवल स्वच्छता में सुधार होता है, बल्कि प्रतिस्पर्धात्मक भावना के कारण नगर निगमों और स्थानीय निकायों में जवाबदेही भी बढ़ती है।
स्वच्छता सर्वेक्षण की रैंकिंग मिलने के बाद शहरों को विभिन्न श्रेणियों में पुरस्कार भी दिए जाते हैं, जैसे भारत का सबसे स्वच्छ शहर सबसे तेजी से सुधार करने वाला शहर आदि। इस बार सुपर स्वच्छ लीग भी अलग कैटेगरी बनाई गई है, जिसमें इंदौर सूरत पुणे का नाम शामिल है।
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