संजय जैसवानी पर FIR कराने वाले अहलावत मास्को लौटे बोले सुरक्षा को खतरा

भाजपा मंत्री के करीबी संजय जैसवानी के खिलाफ धोखाधड़ी, लूट, डकैती समेत गंभीर धाराओं में मुकदमा दर्ज किया गया है। अभी तक किसी की गिरफ्तारी नहीं हुई है। पीड़ित गौरव अहलावत रूस लौट गए हैं।

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Sanjay Gupta
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Indore : बीजेपी सरकार में मंत्री तुलसीराम सिलावट के करीबी कन्फेक्शनरी कारोबारी संजय जैसवानी के खिलाफ तीन महीने की लड़ाई के बाद कोर्ट के आदेश पर गंभीर धाराओं में पुलिस केस दर्ज कर चुकी है। लेकिन इसके बाद भी जैसवानी व अन्य आरोपियों की गिरफ्तारी को लेकर पुलिस ने कोई कदम नहीं उठाया है। इसके बाद सुरक्षा को लेकर चिंतित पीड़ित रशियन नागरिक गौरव अहलावत मास्को (रूस) लौट गए हैं।

रूस से जारी किया वीडियो लिया

रश्यिन नागरिक गौरव अहलावत ने मास्को में पहुंचने के बाद द सूत्र संवाददाता को वीडियो भेजा और इसमें कहा गया है वह मास्को में आते ही सबसे पहले इंडियन एंबेसी में मिले। यहां उन्होंने उनके साथ इंदौर में हुई धोखाधड़ी, पुलिस द्वारा किए गए व्यवहार की पूरी जानकारी दी है। अहलावत ने कहा कि अभी तक पुलिस ने आरोपियों की गिरफ्तारी नहीं की है और वहां मेरी सुरक्षा को खतरा है। जब तक उनकी गिरफ्तारी नहीं हो जाती मेरी सुरक्षा को खतरा रहेगा, इसलिए मैं अभी मास्को आ गया हूं और एंबेंसी को सारी घटना की जानकारी दे दी है।

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लूट, डकैती, धोखाधड़ी जैसी दर्जन भर धाराएं लगी है

लसूडिया थाना पुलिस में संजय जैसवानी के साथ ही उनके भाई विजय जैसवानी, संजय कलवानी, दिनेश मनवानी, नितिन जीवनानी, कंचन जीवनानी सहित  अन्य पर किया है। यह केस पहले बीएनएस की धोखाधड़ी धारा318(4), 338, 336(3), 340(2) और 61(2) के तहत ही दर्ज हुआ था लेकिन बाद में कोर्ट ने पुलिस को फटकार लगाई और इसके बाद लूट, मारपीट, डकैती जैसी धाराएं भी लगी। लेकिन इसके बाद भी पुलिस ने अभी गिरफ्तारी नहीं ली है।

एफआईआर में यह लिखा

परिवादी गौरव अहलावत व उसकी कंपनी को हानि पहुंचाने की नियत से कूटरचित लोन एग्रीमेंट तैयार कर 30 सितंबर 2023 को फर्जी प्रस्ताव पास कर जीआरवी कंपनी के 21.76 करो के शेयर्स खुद की कंपनियों के नाम कराकर धोखाधड़ी की।

एफआईआर के पीछे एंबेसी, डीजीपी और कोर्ट

दरअसल इस मामले में पुलिस ने तीन महीने तक गौरव की नहीं सुनी। उलटे उनके खिलाफ जरूर फर्जी जानकारी पर जैसवानी और राजनीतिक दबाव के बाद दो करोड़ की धोखाधड़ी का केस दर्ज कर लिया, साथ ही मां को भी आरोप बना दिया। अहलावत ने कोर्ट में परिवाद लगाया जिसमें 6 दिसंबर को आदेश हो गए कि जैसवानी व अन्य पर केस हो। लेकिन फिर भी पुलिस टालमटोली करती रही। लेकिन इसी दौरान रश्यिन एंबेसी से सीएम डॉ. मोहन यादव के नाम पर पत्र आ गया जिसमें अहलावत के हितों का ध्यान रखने की बात कही गई। इसके बाद अहलावत ने डीजीपी कैलाश मकवाना से बात की और पूरी घटना बताई। ईमानदार मकवाना ने इस मामले में सीपी संतोष सिंह को फोन कर एक्शन के लिए कहा। इसके बाद एफआईआर हुई।

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