मंत्री के करीबी संजय जैसवानी पर कोर्ट की फटकार के बाद डकैती, अपहरण जैसी 10 धाराएं और लगी

कन्फेक्शनरी कारोबारी संजय जैसवानी के खिलाफ कोर्ट के आदेश, रश्यिन एंबेसी के पत्र और डीजीपी के फ़ॉलोअप लेने के बाद सोमवार देर रात एफआईआर हुई। लसूडिया पुलिस ने इस मामले में भी खेल कर दिया था।

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Sanjay gupta
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INDORE : बीजेपी सरकार के मंत्री के करीबी कन्फेक्शनरी कारोबारी संजय जैसवानी के खिलाफ कोर्ट के आदेश, रश्यिन एंबेसी के पत्र और डीजीपी के फ़ॉलोअप लेने के बाद सोमवार देर रात एफआईआर हुई। लेकिन लसूडिया पुलिस ने इस मामले में भी खेल कर दिया था और कोर्ट के आदेश के बाद भी केवल पांच धाराओं जो धोखाधड़ी से जुड़ी थी इसी में केस दर्ज किया और इसमें भी कुछ नाम हटा दिए थे। इसकी पोल जिला कोर्ट में मंगलवार को हुई सुनवाई में खुल गई थी। कोर्ट की फटकार के बाद अब इसमें संजय जैसवानी व अन्य के खिलाफ एक-दो नहीं बल्कि दस गंभीर धाराएं और बढ़ गई है।

लूट, डकैती, अपरहण जैसी गंभीर धाराएं और लगी

रश्यिन नागिरक गौरव अहलावत के अधिवक्ता अजय मिश्रा ने बताया था कि न्यायाधीश द्वारा हमारी आपत्ति के बाद जांच अधिकारी से बुधवार को रिपोर्ट पेश करने के लिए कहा था। इस रिपोर्ट में पुलिस ने कोर्ट के आदेशानुसार धाराएं बढ़ा दी है और नाम भी। अब इसमें डकैती, अपहरण, घर में घुसकर मारपीट जैसी दस धाराएं और लगा दी गई है। जिसमें 115(2), 126(2), 127(2), 331(6), 351(3),140 (3), 310(2), 316(2), 316(5) और 3(5) और जोड़ी गई है। इसके पहले इन पर  लसूडिया पुलिस ने बीएनएस धारा 318(4), 338, 336(3), 340(2) और 61(2) में ही केस दर्ज किया था। अब नई धाराओं में आजीवन तक की सजा के प्रावधान है। यानी पुलिस को जैसवानी व अन्य आरोपियों की गिरफ्तारी लेना ही होगी।

इनके नाम और बढ़ाए गए

इसके साथ ही आरोपियों में अभी तक संजय जैसवानी, विजय जैसवानी, संजय कलवानी, दिनेश मनवानी, नितिन जीवनानी और कंचन जीवनानी के नाम थे। अब इसमें जैसवानी के बॉडीगार्ड जय माथे, सदीप कल्याणे, नदीम शेख के भी नाम जोड़े गए हैं। कुल आरोपी 9 हो चुके है। इन सभी पर एकसमान यह धाराएं लगी है।

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कोर्ट में इस तरह खुली थी पोल

कोर्ट में रश्यिन नागरिक गौरव अहलावत के अधिवक्ता अजय मिश्रा ने पक्ष रखते हुए मंगलवार को कहा था कि कि माननीय कोर्ट ने जो परिवाद में आदेश दिए थे उसका पालन ही पुलिस ने नहीं किया। इसमे पूरे तथ्यों को नहीं लिया गया, मुख्य आरोपी संजय जैसवानी किस तरह इस पूरे कांड में शामिल था और उसे क्या लाभ मिलना था, यह एफआईआर में नहीं है। पुलिस ने आरोपी भी कम करते हुए केवल 6 के खिलाफ ही नामजद केस किया, अहलावत तो रश्यिन की जगह भारत का नागरिक बताया। अधिवक्ता ने साफ कहा कि पूरे दबाव-प्रभाव में आऱोपियों के एजेंट के रूप में पुलिस काम कर रही है और तथ्यों को परे कर दिया गया। साथ ही एफआईआर में केवल धोखाधड़ी वाली धाराएं लगी, इसमें लूट, मारपीट, अपहरण की गंभीर धाराओं को तो जोड़ा ही नहीं गया।

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कोर्ट ने इस तरह लगाई थी फटकार

इस पर न्यायाधीश ने जांच अधिकारी एसआई संजय विशनोई से पूछ लिया था कि क्या आपने पहले ही आरोपियों को बाहर कर दिया है। इस तरह का पहली बार देखा जा रहा है कि परिवाद में आए तथ्यों को अलग किया गया और अपने हिसाब से एफआईआर लिखी गई। यह कैसे संभव है। न्यायाधीश ने साफ आदेश दिए कि 11 दिसंबर को सुबह 11 बजे इस संबंध में प्रतिवेदन दिया जाए और जो परिवाद में तथ्य, नाम है वह सभी अक्षरक्ष इसमें जोड़े जाएं, नहीं तो कोर्ट की अवमानना के लिए केस रैफर कर दिया जाएगा।

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