इंदौर के बीआरटीएस पर विज्ञापन का ठेका बढ़ाने पर HC को जवाब ही नहीं दे पा रहा AICTSL

इंदौर हाईकोर्ट में एनएस पब्लिसिटी का ठेका बढ़ाने के खिलाफ जनहित याचिका पूर्व पार्षद महेश गर्ग ने दायर की है। इसमें एनएस पब्लिसिटी, एआइसीटीएसएल सीईओ, नगर निगम आयुक्त और कलेक्टर को पक्षकार बनाया गया है।

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Vishwanath Singh
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Sourabh561
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इंदौर में विज्ञापन ठेकेदार एजेंसी एनएस पब्लिसिटी को लेकर एक बार फिर अटल इंदौर सिटी ट्रांसपोर्ट सर्विसेज लिमिटेड (एआइसीटीएसएल) और नगर निगम के अफसरों की मेहरबानी उजागर हो गई है। बीआरटीएस पर विज्ञापन लगाने का ठेका 31 मार्च 2026 तक बढ़ाने के मामले में सोमवार को हाईकोर्ट में एआइसीटीएसएल को जवाब पेश करना था, लेकिन न तो निगम और न ही एआइसीटीएसएल ने कोई स्पष्टीकरण दिया। एआइसीटीएसएल की ओर से पेश वकीलों ने समय मांगा, जिस पर कोर्ट ने सुनवाई चार सप्ताह बाद तय की। गौरतलब है कि एनएस का ठेका बढ़ाने को लेकर किए गए घोटोले की खबर द सूत्र ने प्रमुखता से प्रकाशित की थी। उसमें बताया था कि किस तरह से अफसरों ने किस तरह से बाले–बाले नियमाें को ताक पर रखकर आदेश जारी कर दिए और कंपनी ने भी करोड़ों रुपए की कमाई कर डाली थी।

पूर्व पार्षद ने दायर की जनहित याचिका

इंदौर हाईकोर्ट में एनएस पब्लिसिटी का ठेका बढ़ाने के खिलाफ जनहित याचिका पूर्व पार्षद महेश गर्ग ने दायर की है। इसमें एनएस पब्लिसिटी, एआइसीटीएसएल सीईओ, नगर निगम आयुक्त और कलेक्टर को पक्षकार बनाया गया है। याचिकाकर्ता के वकील मनीष यादव के मुताबिक, वर्ष 2019 में बीआरटीएस पर विज्ञापन लगाने का पांच साल का ठेका एनएस पब्लिसिटी को दिया गया था, जिसकी अवधि मार्च 2024 में समाप्त हो गई थी।

कांग्रेस नेता उमंग सिंघार भी लगा चुके हैं भ्रष्टाचार के आरोप

एनएस पब्लिसिटी पर अफसराें द्वारा मेहरबानी कर उसका ठेका बढ़ाए जाने को लेकर नेता प्रतिपक्ष चिंटू चौकसे ने प्रेस कॉन्फ्रेंस लेकर घोटाले के आरोप लगाए थे। उसके बाद कांग्रेस नेता उमंग सिंघार भी इसमें बड़े भ्रष्टाचार के आरोप लगा चुके हैं। वहीं, इस मामले में अब कई बड़े अफसर भी उलझते दिख रहे हैं। खास बात तो यह है कि एआईसीटीएसएल और नगर निगम के जिन अफसरों ने उस दौरान इस ठेके को आगे बड़ाने के आदेश दिए थे तो उनकी भूमिका पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं। 

अवधि समाप्त होने के बावजूद बड़ा दिया था ठेका

इसके बावजूद, नए टेंडर जारी करने के बजाय एआइसीटीएसएल और निगम ने कोविड-19 के दौरान विज्ञापन न लग पाने का हवाला देते हुए ठेका दो साल के लिए बढ़ा दिया। आरोप है कि इस फैसले से निगम को करीब 50 करोड़ रुपए और एआइसीटीएसएल को लगभग 20 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ है। याचिका में जिम्मेदार अफसरों के वेतन से वसूली की मांग की गई है।

बीआरटीएस तोड़ने में भी अड़चन

गौरतलब है कि मप्र हाईकोर्ट की मुख्यपीठ ने फरवरी 2024 में बीआरटीएस को तोड़ने के आदेश दिए थे, लेकिन छह महीने बाद भी इसे हटाया नहीं जा सका। सूत्रों का दावा है कि इसके पीछे भी विज्ञापन कंपनी का हाथ है, क्योंकि बीआरटीएस हटने पर उसे बड़े पैमाने पर नुकसान होगा। 

अफसर केवल समय निकाल रहे

कंपनी ने बीआरटीएस के बीच की रेलिंग और बस स्टैंड पर लगे विज्ञापन पूरे साल के लिए बुक कर रखे हैं। ऐसे में निगम अफसर हाईकोर्ट के आदेश पर कार्रवाई करने के बजाय टेंडर प्रक्रिया और तकनीकी कारणों में समय निकाल रहे हैं, जबकि निगम के पास निर्माण हटाने के लिए पर्याप्त संसाधन मौजूद हैं। 

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अफसर जवाब देने को तैयार नहीं

इसके संबंध में हमने जवाब के लिए कई बार एआईसीटीएसएल के सीईओ दिव्यांक सिंह को कई बार कॉल करके बात करने के प्रयास किए गए, लेकिन उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया। उनको मैसेज भी किया गया, लेकिन उसपर भी उनका जवाब आया कि मैं आपसे बाद में बात करता हूं। फिर बाद में कॉल किया तो उन्होंने उठाया ही नहीं। 

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इंदौर हाईकोर्ट सीईओ निगम टेंडर