आरटीई के तहत निजी स्कूलों में एडमिशन की तीसरी लॉटरी, 6000 से ज्यादा सीटें है खाली
आरटीई अधिनियम के तहत निजी विद्यालयों की 25 प्रतिशत सीटें आर्थिक रूप से कमजोर और वंचित वर्ग के बच्चों के लिए आरक्षित हैं। राज्य में अभी भी कई सीटें खाली हैं, जिन्हें भरने के लिए तीसरी लॉटरी का आयोजन किया जा रहा है।
RTE admission 2025: छत्तीसगढ़ में निःशुल्क एवं अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार अधिनियम (RTE) के अंतर्गत निजी विद्यालयों की 25% सीटों पर प्रवेश के लिए तीसरी लॉटरी 19 अगस्त को निकाली जाएगी। इन सीटों पर आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (EWS) और वंचित वर्ग (DG) के बच्चों को दाखिला दिया जाता है।
लोक शिक्षण संचालनालय के मुताबिक, जिन बच्चों का चयन पहले के चरणों में हो चुका है, उनके नाम इस लॉटरी में शामिल नहीं होंगे। यह अवसर केवल उन आवेदकों को मिलेगा जो पहले के चरणों में चयनित नहीं हो सके थे।
नए आवेदन की आवश्यकता नहीं
अधिकारियों ने स्पष्ट किया है कि इस चरण में अभिभावकों या बच्चों को नए आवेदन करने की जरूरत नहीं होगी। पहले से पंजीकृत पात्र आवेदकों के बीच ही लॉटरी प्रक्रिया आयोजित की जाएगी।
राज्यभर के निजी स्कूलों में आरटीई के तहत लगभग 6,100 सीटें अभी भी रिक्त हैं। इन सीटों को भरने के लिए यह तीसरी लॉटरी आयोजित की जा रही है, ताकि अधिक से अधिक बच्चों को प्रवेश मिल सके।
मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा का अधिकार RTE अधिनियम के तहत भारत के हर बच्चे को 6 से 14 वर्ष की उम्र तक मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा का अधिकार प्राप्त है। यह कानून सभी बच्चों को स्कूल में पढ़ाई का हक देता है।
प्राइवेट स्कूलों में 25% आरक्षण अधिनियम के अनुसार, निजी स्कूलों को अपनी सीटों का 25 प्रतिशत हिस्सा आर्थिक रूप से कमजोर और सामाजिक रूप से पिछड़े वर्ग के बच्चों के लिए आरक्षित रखना होता है। इससे सबको गुणवत्तापूर्ण शिक्षा का समान अवसर मिलता है।
शिक्षा का समान अवसर सुनिश्चित करना RTE का उद्देश्य बच्चों को किसी भी भेदभाव के बिना शिक्षा उपलब्ध कराना है, चाहे उनकी जाति, धर्म, आर्थिक स्थिति या क्षेत्र कुछ भी हो। यह सामाजिक न्याय और समावेशी शिक्षा को बढ़ावा देता है।
शैक्षिक बुनियादी सुविधाओं का प्रावधान अधिनियम के तहत स्कूलों को उचित शिक्षक, पुस्तकें, कक्षा और बुनियादी सुविधाएं मुहैया कराने की जिम्मेदारी होती है ताकि बच्चे बेहतर तरीके से पढ़ाई कर सकें।
अधिकारों की रक्षा के लिए निगरानी और शिकायत प्रबंधन RTE में बच्चों और अभिभावकों के अधिकारों की रक्षा के लिए शिकायत निवारण तंत्र और निगरानी व्यवस्था भी बनाई गई है, जिससे किसी भी प्रकार की अनदेखी या भेदभाव पर कार्रवाई हो सके।
शिक्षा का अधिकार अधिनियम (2009) का मकसद है कि आर्थिक रूप से कमजोर और सामाजिक रूप से वंचित वर्ग के बच्चों को गुणवत्तापूर्ण निःशुल्क शिक्षा का समान अवसर दिया जा सके, जिससे वे भी निजी विद्यालयों में पढ़ाई कर अपने भविष्य को संवार सकें।
FAQ
शिक्षा का अधिकार अधिनियम (RTE) क्या है?
शिक्षा का अधिकार अधिनियम (RTE) भारत सरकार द्वारा लागू किया गया एक कानून है जो 6 से 14 वर्ष के सभी बच्चों को मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा का अधिकार देता है। इसका उद्देश्य सभी बच्चों को गुणवत्तापूर्ण और समावेशी शिक्षा उपलब्ध कराना है, खासकर आर्थिक और सामाजिक रूप से कमजोर वर्ग के लिए। अधिनियम के तहत निजी स्कूलों में 25% सीटें भी गरीब बच्चों के लिए आरक्षित की गई हैं।
RTE किस उम्र के बच्चों पर लागू होता है?
RTE अधिनियम 6 से 14 वर्ष के सभी बच्चों को मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा का अधिकार देता है। इस आयु सीमा के भीतर सभी बच्चे बिना किसी भेदभाव के स्कूल में दाखिला पा सकते हैं।
निजी स्कूलों में RTE के तहत कितनी सीटें आरक्षित होती हैं?
RTE अधिनियम के तहत निजी स्कूलों को अपनी कुल सीटों का 25 प्रतिशत हिस्सा आर्थिक रूप से कमजोर और सामाजिक रूप से पिछड़े वर्ग के बच्चों के लिए आरक्षित रखना होता है।