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RTE admission scam: शिक्षा के अधिकार (RTE) अधिनियम के तहत गरीब और जरूरतमंद बच्चों को स्कूलों में दाखिला दिलाने की प्रक्रिया में गड़बड़ियों को लेकर दायर जनहित याचिका पर छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट में सुनवाई जारी है। सोमवार को हुई सुनवाई में राज्य सरकार ने अदालत को बताया कि साल 2025 में अब तक कुल 591 शिकायतें प्राप्त हुई हैं। इनमें से अधिकांश की जांच की जा चुकी है और शेष मामलों पर कार्यवाही जारी है। अब इस मामले पर हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से प्रगति रिपोर्ट मांगी है।
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क्या है मामला?
भिलाई के समाजसेवी सी.वी. भगवंत राव द्वारा दाखिल जनहित याचिका में आरोप लगाया गया है कि ईडब्ल्यूएस (आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग) और बीपीएल (गरीबी रेखा से नीचे) श्रेणी के बच्चों को जानबूझकर दाखिले से वंचित किया गया, जबकि दूसरी ओर फर्जी दस्तावेजों के आधार पर कई बच्चों को गलत तरीके से प्रवेश दे दिया गया।
दुर्ग जिले में गंभीर आरोप
याचिकाकर्ता के वकील ने कोर्ट में दावा किया कि केवल दुर्ग जिले में ही 74 बच्चों के एडमिशन में गड़बड़ी हुई है। इनमें बीपीएल और अंत्योदय कार्ड के दुरुपयोग की बात सामने आई है। इसके अलावा, आरटीई की वेबसाइट को हैक किए जाने के भी आरोप लगाए गए हैं। इन 74 मामलों में से 4 बच्चों की ओर से अलग-अलग याचिकाएं भी दायर की गई हैं।
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राज्य सरकार का पक्ष
राज्य सरकार की ओर से पेश हुए अतिरिक्त महाधिवक्ता यशवंत सिंह ठाकुर ने कोर्ट को अवगत कराया कि 2024-25 शैक्षणिक सत्र की अब तक की 31 शिकायतों का निपटारा कर दिया गया है। वहीं, पूरे राज्य में 2025 में अब तक 1626 शिकायतें दर्ज हुईं, जिनमें से 1585 का निराकरण कर दिया गया है और 41 शिकायतें अभी लंबित हैं। इनमें से 751 शिकायतों को राज्य स्तरीय कार्यालय को भेजा गया था।
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कोर्ट का रुख और निर्देश
पिछली सुनवाई 6 मई को हुई थी, जिसमें हाईकोर्ट ने स्पष्ट निर्देश दिया था कि बच्चों के शैक्षिक अधिकारों की अनदेखी किसी कीमत पर नहीं होनी चाहिए, विशेषकर दुर्ग जिले में। अब सोमवार को हुई सुनवाई में कोर्ट ने यह भी कहा कि 11 जुलाई तक राज्य सरकार को समस्त प्रगति रिपोर्ट कोर्ट के समक्ष पेश करनी होगी। सरकार की ओर से स्कूल शिक्षा विभाग के सचिव ने व्यक्तिगत हलफनामा दाखिल कर शिकायतों का सारणीबद्ध विवरण भी कोर्ट को सौंपा।
हस्तक्षेप आवेदन भी दाखिल
इस सुनवाई के दौरान अधिवक्ता संदीप दुबे ने भी एक हस्तक्षेप आवेदन दाखिल किया, जिस पर कोर्ट ने अगली सुनवाई में राज्य सरकार को जवाब देने को कहा है।
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आगे की कार्रवाई
अब इस मामले की अगली सुनवाई 11 जुलाई 2025 को होगी। कोर्ट यह तय करेगा कि बच्चों के साथ किसी तरह का भेदभाव तो नहीं हो रहा है और आरटीई अधिनियम का पूर्ण रूप से पालन हो रहा है या नहीं।
इस केस से स्पष्ट है कि शिक्षा के क्षेत्र में पारदर्शिता और निष्पक्षता बनाए रखना अत्यंत आवश्यक है, खासकर उन बच्चों के लिए जो समाज के वंचित वर्गों से आते हैं। हाईकोर्ट की सख्ती से उम्मीद की जा रही है कि दोषियों पर कार्रवाई होगी और भविष्य में ऐसी गड़बड़ियों की पुनरावृत्ति रोकी जा सकेगी।
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