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सीएम डॉ. मोहन यादव की घोषणा के अनुसार अब इंदौर बीआरटीएस हटाने पर हाईकोर्ट जबलपुर की भी मुहर लग गई है। हाईकोर्ट जबलपुर ने इस मामले में एक्सपर्ट कमेटी की रिपोर्ट मांगी थी, जो गुरुवार को एजी प्रशांत सिंह द्वारा पेश हुई। इस कमेटी की रिपोर्ट के आधार पर चीफ जस्टिस सुरेश कैत की बेंच ने बीआरटीएस हटाने का फैसला दिया।
कमेटी ने यह माना
सीनियर अधिवक्ता अमित अग्रवाल की चेयरमैन शिप में सितंबर 2023 को हाईकोर्ट इंदौर के फैसले के तहत बीआरटीएस इंदौर के अध्ययन के लिए और वर्तमान समय में यह प्रासंगिक है या नहीं इसकी रिपोर्च बनाने के आदेश हुए थे। इसमें आईआईटी, आईआईएम व ट्रैफिक एक्सपर्ट शामिल थे। पांच सदस्यीय कमेटी ने माना कि वर्तमान परिप्रेक्ष्य में बीआरटीएस के दोनों और ट्रैफिक की समस्या हो रही है और इसे लेकर नई प्लानिंग हो रही है। इसे देखते हुए अब इसकी जरूरत नहीं है और नई प्लानिंग से ट्रैफिक व्यवस्थित करना जरूरी हो गया है। बीते 12 सालों में इंदौर में बहुत अधिक परिवर्तन हुए हैं और ट्रैफिक बढ़ा है और शहर भी तेजी से फैला है। ऐसे में कॉरिडोर की अब जरूरत नहीं है।
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कमेटी की रिपोर्ट पर लगी मुहर
याचिकाकर्ता किशोर कोड़वानी द्वारा यह याचिकाएं दायर की गई थी। इनकी याचिकाएं बाद में हाईकोर्ट जबलपुर शिफ्ट हुई थी। हाईकोर्ट जबलपुर ने कमेटी की रिपोर्ट के आधार पर और शासन के शपथपत्र के आधार पर बीआरटीएस रिमूव के लिए कदम उठाने के लिए आदेश दे दिए।
भोपाल में पहले ही हट चुका
भोपाल में बीआरटीएस हटाने का फैसला पहले ही चुका है। लेकिन इंदौर का बीआरटीएस सबसे सफल बीआरटीएस माना जाता है। हर दिन 60 हजार से अधिक यात्री इसमें सफर करते हैं। लेकिन चौराहों पर आ रही समस्या के चलते अब यहां अलग-अलग जगह पर 6 से अधिक फ्लाईओवर ब्रिज प्रस्तावित किए जा रहे हैं, इसकी रिपोर्ट बन रही है। इसके चलते अब यह फैसला हुआ है।
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