इंदौर में बिल्डर संजय दासौद पर धोखाधड़ी का केस दर्ज, क्रेडाई चेयरमैन गोपाल गोयल भी बने आरोपी, बंधक प्लाट बेच डाले

साकर फर्म के मालिक संजय दासौद और उनके पाटर्नर व क्रेडाई के चेयरमैन गोपाल गोयल ने प्रोजेक्ट में कलेक्टर इंदौर के पास बंधक रखे प्लॉट को ही बेच डाला। कलेक्टर आशीष सिंह ने दोनों पर सख्त कार्रवाई की है।

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Sanjay gupta
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INDORE : इंदौर में जिला प्रशासन ने दो बड़े बिल्डर पर सख्त कार्रवाई की है। साकर फर्म के मालिक संजय दासौद और उनके पाटर्नर व क्रेडाई के चेयरमैन गोपाल गोयल ने प्रोजेक्ट में कलेक्टर इंदौर के पास बंधक रखे प्लॉट को ही बेच डाला और इसके बाद कार्य पूर्णता का आवेदन लगा दिया। कलेक्टर आशीष सिंह ने दोनों पर सख्त कार्रवाई करते हुए धोखाधड़ी सहित कई चार गंभीर धाराओं में केस दर्ज करा दिया है।

इन धाराओं में दर्ज हुआ केस

बिल्डर संजय दासौद पिता देवेंद्र दासौद और गोपालदास गोयल पिता प्रेमचंद गोयल पर बीएनएस की धारा धारा 318, 61(2), 316(2) औऱ् 3 (5) में केस दर्ज किया है। (पूर्व में यह धाराएं आईपीसी 420 सेक्शन की होती थी)।

क्या किया दोनों बिल्डर ने

इंदौर कलेक्टर आशीष सिंह के पास लगातार दासौद की कॉलोनियों को लेकर शिकायतें आ रही थी। हाल ही में इनके साकार कॉरिडोर ब़ड़ा बांगदड़ा, साकार हिल्स ग्राम जैतपुरा, सिद्धी विहार ग्राम जैतपुरा, साकार कारिडोर प्राइम में बंधक प्लॉट बेचे जाने की शिकायत मिली, जबकि इनकी कार्यपूर्णता हुई ही नहीं थी। इस पर कलेक्टर ने इनकी पंजीयन विभाग से जांच कराई। इसमें पाया गया कि दातोद तहीसल महू सर्वे नंबर 2681/1 के 6.807 हेक्टेयर पर दोनों की कंपनी द्वारा साकार रियल लाइफ कलोनी की विकास मंजूरी कलेक्टर से ली गई थी। इसमें 79 भूखंड़ बंधक प्लाट के रूप में कलेक्टर के पास रखे गए थे। लेकिन जांच में आया कि इसमें से 57 प्लाट इनके द्वारा बेच दिए गए।

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कलेक्टर ने दिया नोटिस तो इसमें माना बेच दिए

कलेक्टर ने जांच के पास बिल्डर को नोटिस जारी किया। इसमें दासौद ने कलेक्टर को जवाब में माना कि बंधक प्लाट बेचे हैं, लेकिन वहां अन्य प्लाट है जिन्हें इसमें समायोजित कर सकते हैं। लेकिन कार्यपूर्णता के बिना बंधक प्लाट बेचना अवैधानिक है। वहीं साल 2021 में भी कंपनी को नोटिस था कि छह माह में काम पूरा करें लेकिन इसका भी इन्होंने उल्लंघन किया और हाल ही में इन्होंने काम पूर्णता प्राप्त करने के लिए कलेक्टोरेट में फाइल लगाई। लेकिन यह इसके बंधक प्लाट तो साल 2022 में ही बेच चुके हैं, जो कॉलोनी विकास मंजूरी की शर्तों का खुला उल्लंखन है। यह बंधक प्लाट इसलिए होते हैं कि किसी कारण से कॉलोनाइजर विकास काम पूरा नहीं करें तो यह बेचकर प्रशासन विकास काम करा सके। यह बेचकर प्रशासन के साथ धोखाधड़ी की गई है।

जांच के बाद पुलिस में हुई FIR

जांच के बाद कलेक्टर सिंह ने सख्ती दिखाते हुए सिमरोल तहसीलदार को एफआईआर कराने के लिए आदेशित किया। इसके बाद तहसीलदार यशदीप रावत ने जांच प्रतिवेदन के आधार पर सिमरोल थाने में शिकायत की और इसके बाद दोनों बिल्डर पर केस दर्ज कर लिया गया है।

लगातार शिकायतें आ रही थी दासौद की

संजय दासौद की लगातार शिकायतें आ रही थी। दासौद ने रसीदों पर भी बिना विकास मंजूरी और रेरा के ही जमकर प्लॉट बेचे हैं। इसमें भी शिकायतें पहुंची थी लेकिन इसके बाद शिकायतकर्ता और बिल्डर के बीच समझौता होने के चलते इसमें कार्रवाई नहीं हो सकी। सांवेर रोड पर शिवनगरी में व अन्य जगह भी दासौद द्वारा काटी जा रही कॉलोनियों में भूखंड रसीदों पर ही बिक चुके हैं। बीच में दासौद औऱ् किसानों के बीच एग्रीमेंट को लेकर भी विवाद सामने आए थे। लेकिन हर बार दासौद ने शिकायतकर्ताओं से सेटलमेंट कर लिए या फिर रसूख दिखाकर मामला दबा दिया। लेकिन इस बार कलेक्टर आशीष सिंह द्वारा कराई गई जांच में दोनों की धोखाधडी साबित हुई, जिसके बाद उन पर केस दर्ज करा दिया गया।

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