इंदौर में भगवान श्री कृष्ण पर संवाद में सीएम मोहन यादव ने उनके जीवन से जुड़ी 7 सीख छात्रों को दी

रेनेसां यूनिवर्सिटी के कुलाधिपति स्वप्निल काेठारी ने इस मौके पर सीएम यादव से संवाद करते हुए कहा कि 18 से 21 वर्ष के बच्चों से श्रीकृष्ण पर बात आज करनी इसलिए जरूरी है क्योंकि, जो आंखों को देखकर मन के भाव समझ ले, उनसे बड़ा साक्लॉजिस्ट कोई नहीं है।

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Vishwanath Singh
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इंदौर की रेनेसां यूनिवर्सिटी में बुधवार रात सीएम डॉ. मोहन यादव द्वारा ‘कृष्ण तत्व’ विषय पर छात्रों के साथ संवाद कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इसमें भगवान श्रीकृष्ण के जीवन, दर्शन और उपदेशों पर आज के संदर्भ में संवाद हुआ। कार्यक्रम का उद्देश्य छात्रों को भगवान श्रीकृष्ण के जीवन से प्रेरणा लेकर भारतीय संस्कृति और मूल्यों से जोड़ना था। यहां सीएम ने श्रीकृष्ण के जीवन पर आधारित 7 बड़ी सीख भी छात्रों को दी। यहां सीएम ने छात्रों से कहा कि वे केवल किताबी ज्ञान ना लें, बल्कि वे अपनी स्किल को भी डेवलप करें। इसके लिए मप्र सरकार कई योजनाएं चला रही हैं।

कृष्ण से बड़ा साक्लोजिस्ट और आर्किटेक्ट कोई नहीं

रेनेसां यूनिवर्सिटी के कुलाधिपति स्वप्निल काेठारी ने इस मौके पर सीएम यादव से संवाद करते हुए कहा कि 18 से 21 वर्ष के बच्चों से श्रीकृष्ण पर बात आज करनी इसलिए जरूरी है क्योंकि। जो आंखों को देखकर मन के भाव समझ ले, उनसे बड़ा साक्लॉजिस्ट कोई नहीं है। द्वारका बनाने की बात आई तो उसमें अद्भुत कला का प्रदर्शन किया, जिससे पता चलता है कि उनसे बड़ा आर्किटेक्ट कोई नहीं है। अनलिमिटेड फिजिक्स की स्पीड वाले सुदर्शन चक्र को चलाना जानने वाले सबसे बड़े काईनैटिक इंजीनियर भी वही थे। अपनी मुरली की धुन पर मानव के साथ पशु–पक्षी और पेड़–पौधों को भी मंत्रमुग्ध कर दे, ऐसे म्यूजीशियन भी श्रीकृष्ण ही थे।

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कार्यक्रम में बड़ी संख्या में शहर के प्रबुद्धजन और छात्र पहुंचे

 

सीएम ने सवालों के जवाब भी दिए

thesootr के एडिटर इन चीफ आनंद पांडे ने सीएम मोहन यादव से पूछा कि- 

जब हम श्रीकृष्ण की बात करते हैं तो भगवत गीता का उल्लेख आता ही है। उसमें से एक निष्काम कर्म और दूसरी अकर्ता भाव की। क्योंकि आप मप्र के सफल राजनेता और मुख्यमंत्री भी हैं। मैं आपसे समझना चाहता हूं कि आज की जो राजनीति चल रही है। उसमें निष्काम कर्म कहीं पर भी दिखाई नहीं देता है। जो अभी नीति दिखाई दे रही है वह यह है कि सिर्फ सत्ता होना चाहिए और सत्ता के सिवाए कोई वाद नहीं है। सिर्फ अवसरवाद हमारे सामने है। वहीं, अकर्ता का भाव जैसे कि भगवान ने स्वयं कहा है कि अहंकार नहीं होना चाहिए। हम उसके केवल निमित्त मात्र हैं, ईश्वर हमसे वह काम करवा रहा है। वहीं, आज की राजनीति में तो सिर्फ मैं, मेरी वजह से ऐसा हुआ, मैंने ऐसा कर दिया, यह देखने को मिलता है। ऐसे में आपको क्या लगता है कि क्या यह दोनों चीजें आज की राजनीति से बहुत इतर हैं?

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इस पर सीएम मोहन यादव ने कहा कि... मैं आपकी बात का जवाब राष्ट्रीय परिदृश्य में देना चाहता हूं। गीता का एक श्लोक है – "परित्राणाय साधूनाम् विनाशाय च दुष्कृताम्। धर्मसंस्थापनार्थाय सम्भवामि युगे युगे" । हमारे जीवन में आज के संदर्भ में प्रधानमंत्री के नेतृत्व में जो राजनीति चल रही है– कि सज्जनों के लिए सज्जन और दुर्जनों के लिए पाकिस्तान के साथ क्या किया यह सभी को पता है, जैसे को तैसा। कर्म और अकर्म भी भगवान श्रीकृष्ण ने बताया है। भगवत गीता को लेकर कई बार लोग कहते हैं कि मैं कर्म करूं और उसका फल ना लूं, ऐसा कैसे हो सकता है। इसको कुछ ऐसे समझ सकते हैं कि जिसका भी जन्म हुआ है तो वो जो कुछ भी क्रिया कर रहा है वह सब कर्म ही तो है। कर्म से अकर्म की बात करें तो मैं कर्म करके उसका फल नहीं ले रहा हूं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जो भी कर्म कर रहे हैं तो उससे उन्हें स्वयं के जीवन में क्या मिल रहा है। यह बात तो श्रीकृष्ण ने भी अपने जीवन में साबित की है। 

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सीएम मोहन यादव ने भगवान श्री कृष्ण के जीवन से छात्रों को ये 7 सीख दीं

1.बड़ा बनने के लिए किसी भी काम में शर्म ना करें: सीएम यादव ने श्रीकृष्ण के जीवन के सबसे खास पहलू के बारे में बताया कि जिस तरह से भगवान ने किसी भी काम को करने में कोई शर्म नहीं की। उसी तरह हमें भी छोटे से छोटे काम को करने में शर्म नहीं करनी चाहिए। भगवान श्रीकृष्ण ने गोकुल में गाय चराईं, जरूरत पड़ी तो वे महाभारत का युद्ध टालने के लिए पांडवों के लिए दूत बनकर भी गए। फिर जब बात नहीं बनी तो युद्ध के मैदान में वे अजुर्न के सारथी भी बने।

2.मित्रता की क्या परिभाषा है: भगवान श्रीकृष्ण के जीवन प्रसंग को याद करते हुए सीएम ने कहा कि आज कल मैं देखता हूं कि अंग्रेजी संस्कारों के कारण लोग मैं और मेरा परिवार की परिभाषा पर चल रहे हैं, जबकि हमारे जीवन में मित्रता भी काफी जरूरी है। अपने मित्रों को जरूर याद रखो, जब भी जरूरत हो उसकी मदद के लिए सदैव खड़े रहो। उन्होंने मित्रता निभाने के लिए भी भगवान श्रीकृष्ण के जीवन से सीखने का कहा। सीएम ने कहा कि भगवान से सुदामा की मित्रता स्कूल के समय हुई। मित्र को जीवनभर याद रख पाना कठिन है, लेकिन जब सुदामा मुट्‌ठीभर चावल लेकर उनके द्वार पा आया तो वे तुरंत समझ गए और अपने मित्र से मिलने के लिए दौड़ पड़े। यहां सीएम ने जोर देकर कहा कि– भगवान ने सुदामा को कई महीने अपने महल में रखा और अच्छे से खातिरदारी की। जब वह जाने लगा तो उसे गले लगाकर विदा किया, लेकिन उसके पीठ पीछे सुदामा के जीवनभर रहने और खाने का प्रबंध भी कर दिया। इस प्रसंग से उन्होंने यह सीख दी कि मित्र की मदद उसकी पीठ के पीछे करो। ताकि उसकी इज्जत कभी कम ना हो। 

3. अधिकारों का हनन ना हो: सीएम ने कहा कि यमुना नदी के जल पर सभी गोकुल वासियों का हक था, लेकिन कालिया नाग ने उस पर कब्जा कर रखा था। भगवान ने उस कालिया नाग से युद्ध किया और जल को सभी के लिए सुलभ करवाया। इसी तरह हमने भी 25 साल से मप्र और राजस्थान के बीच नदियों के जल को लेकर झगड़ा चल रहा था। उसे समाप्त किया और उत्तर प्रदेश के साथ केन–बेतवा लिंक परियोजना को लेकर भी बात करके उसका उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से करवाया। 

4. त्याग में परिवारवाद न हो: सीएम यादव ने कहा कि त्याग को भी हमें भगवान श्रीकृष्ण के जीवन से सीखना चाहिए। उन्होंने बताया कि भगवान ने अपने जीवनकाल में कई युद्ध किए। जिसमें सबसे पहला युद्ध कंस से किया। उसके बाद वे राजगद्दी पर नहीं बैठे, बल्कि शिक्षा प्राप्त करने के लिए उज्जैन के सांदीपनि आश्रम चले गए। वहीं, जब वे द्वारका से जा रहे थे तब भी परिवारवाद को बढ़ावा नहीं दिया और उन्होंने अपने पुत्र को गद्दी नहीं दी। 

5. अपनी संस्कृति से प्यार: सीएम मोहन यादव ने छात्रों से सवाल किया कि बताएं भगवान श्रीकृष्ण ने सिर पर मोर मुकुट क्यों लगाया था? इसके जवाब में उन्होंने ही विस्तार से बताया कि मयूर पंख के माध्यम से वे हमेशा ही अपनी मिट्‌टी और संस्कृति से जुड़े रहना चाहते थे। उस मोर मुकुट की वजह से उन्हें कभी भी गोकुल और वृंदावन से दूरी का अहसास नहीं हुआ और उन्होंने अपने गांव की संस्कृत को सदैव ही अपने सिर माथे पर सजाए रखा। 

6. शिक्षा मतलब कागज की डिग्री नहीं: भगवान श्री कृष्ण ने शिक्षा उज्जैन के सांदीपनी आश्रम से ग्रहण की। इस पर सीएम यादव बोले कि शिक्षा मतलब सिर्फ मैकाले की कागज की डिग्री नहीं होना चाहिए। जिस तरह से भगवान 14 विद्या और 64 कलाओं के ज्ञाता थे तो उसी तरह आज के युवा को स्किल में महारत होना चाहिए। इसके लिए मप्र सरकार स्किल डेवलपमेंट पर काफी जोर दे रही है। 

7. श्रीकृष्ण को माखनचोर नहीं कहें: सीएम यादव ने कहा कि भगवान का जन्म जेल में हुआ था। बचपन से ही पूतना जैसे कई राक्षसों को उन्होंने मारा था। जब कभी वे यशोदा मां से पूछते थे कि उन्हें कौन मारना चाहता है तो मां बतातीं थी कि कंस उन्हें मारना चाहता है। इसके बावजूद पूरे गांव का माखन कंस के लिए जाता था। तो वे बचपन में उस कंस से प्रतिशोध लेने के लिए माखन की मटकी को फोड़ देते थे और उसमें से कुछ माखन खा भी लेते थे, लेकिन उसके पीछे उनका उद्देश्य यह रहता था कि कंस को माखन ना पहुंचाया जाए। इसके लिए उन्होंने कई बार अपने बाल सखाओं के साथ मिलकर विद्रोह भी किया था। इस प्रसंग से उन्होंने संदेश दिया कि– इसलिए भगवान श्रीकृष्ण को माखन चोर कहकर संबोधित नहीं करना चाहिए। 

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कार्यक्रम में ये विशेष अतिथि रहे मौजूद

कार्यक्रम में रेनेसां यूनिवर्सिटी के डाॅ. दिव्यादित्य कोठारी का विधि संकाय में पीएचडी करने पर सम्मान भी सीएम ने किया। इस अवसर पर यूनिवर्सिटी के रजिस्ट्रार अमित कुमार हसीजा और वाइस चांसलर डॉ. राजेश दीक्षित भी मौजूद थे। कार्यक्रम में विशेष रूप से मंत्री तुलसी सिलावट, सांसद शंकर लालवानी, विधायक मनोज पटेल, गोलू शुक्ला, दीपक जैन टीनू, पूर्व जिलाध्यक्ष चिंटू वर्मा, नगर अध्यक्ष सुमित मिश्रा सहित बड़ी संख्या में छात्र–छात्राएं मौजूद थे। 

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इंदौर कृष्ण सीएम छात्र रेनेसां यूनिवर्सिटी