इंदौर कांग्रेस में अब आर्ब्जवर पर विवाद, बिना नियुक्ति पत्र के ली बैठक की हुई शिकायत, शाह बोले- इंदौर में नेता रायता ढोलने में माहिर

मध्यप्रदेश में कांग्रेस नेताओं ने जब निमेश शाह की नियुक्ति की जानकारी मांगी तो पता चला कि आब्जर्वर बनाने का कोई पत्र नहीं आया। इसके बाद कुछ नेताओं द्वारा इस संबंध में उच्च स्तर तक शिकायत कर दी कि बिना नियुक्ति पत्र के शाह ने बैठक ले ली...

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Sanjay gupta
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INDORE. इंदौर की विधानसभा की सभी नौ सीट हार चुकी और लोकसभा में प्रत्याशी भागने और बीजेपी के देश में सबसे बड़ी जीत के बाद भी इंदौर कांग्रेस के हाल-बेहाल है। अब ताजा विवाद आब्जर्वर को लेकर आ गया है। दो दिन पहले ही इंदौर जिले के लिए आर्ब्जवर के तौर पर नीमेश शाह आए थे, लेकिन उन्हें लेकर प्रदेश स्तर पर शिकायत हो गई, क्योंकि उनके पास कोई नियुक्ति पत्र ही नहीं था। 

यह है पूरा विवाद

शनिवार को एक निजी होटल में कांग्रेस की आगे के आंदोलन की रूपरेखा के लिए बैठक हुई। इसमें इंदौर के प्रभारी रवि जोशी के साथ ही आर्ब्जवर के तौर पर शाह आए। उन्होंने बताया कि पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर इंदौर को लेकर काम करना है और 100 दिनी रणनीति बनाकर आंदोलन होंगे। संगठन को खड़ा करना है। लेकिन इसके बाद कांग्रेस के नेताओं ने जब उनकी नियुक्ति की जानकारी मांगी तो पता चला कि आब्जर्वर बनाने का कोई पत्र नहीं आया। इसके बाद कुछ नेताओं द्वारा इस संबंध में उच्च स्तर तक शिकायत कर दी कि बिना नियुक्ति पत्र के शाह द्वारा कांग्रेस में बैठक ली गई, जबकि वह इसके लिए पात्र ही नहीं थे। 

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विवाद के बाद शाह की बैठक रोकी गई

इस विवाद के बाद कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष जीतू पटवारी ने उन्हें फिलहाल बैठक लेने से रोक दिया है। इस संबंध में शाह को भी सूचित कर दिया गया है जब नियुक्ति पत्र निकल जाए फिर आप इंदौर जाना। उधर शहराध्यक्ष सुरजीत सिंह चड्‌ढा ने माना कि शाह की नियुक्ति के संबंध में एआईसीसी और पीसीसी से कोई ईमेल या पत्र प्राप्त नहीं हुआ है। बैठक हुई थी और कांग्रेस के आगे की रणनीति पर बात हुई थी।

शाह बोले, इंदौर के नेता विपक्ष में ही रहना चाहते हैं

वहीं शाह से जब 'द सूत्र' ने बात की तो कहा कि मैं तो गुजरात प्रदेश कांग्रेस में महामंत्री हुई और हरियाणा चुनाव से भी जुड़ा रहा हूं। मुझे पद का कोई लालच नहीं है। मुझे प्रदेशाध्यक्ष जीतू पटवारी ने कहा था इंदौर जाकर बैठक लीजिए, तो मैं आ गया। लेकिन इंदौर के कांग्रेस नेताओं को यह रास नहीं आया, वह रायता ढोलने में माहिर है और उन्हें विपक्ष में ही रहना है। ना एक विधानसभा सीट है, ना लोकसभा सीट है, ना अधिक पार्षद है, तो फिर कांग्रेस के नेताओं को इंदौर में सोचना चाहिए कि वहां कर क्या रहे हैं? यदि मैं वहां संगठन के लिए काम करना चाहता हूं तो इससे भला तो पार्टी का है, मेरा कोई निजी हित नहीं है। खैर जब नियुक्ति पत्र निकल जाएंगे तभी आएंगे, नहीं तो जहां प्रदेशाध्यक्ष पत्र निकाल देंगे वहां चले जाएंगे।

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