ग्वालियर में मप्र लोक सेवा आयोग (पीएससी) की राज्य सेवा परीक्षा 2024 के परीक्षा केंद्रों पर पेपर का लिफाफा खुला मिलने का सामने आया है। ग्वालियर के कुछ परीक्षा केंद्रों पर इस तरह की घटना होने की जानकारी कुछ अभ्यर्थियों ने द सूत्र को दी है। साथ ही ग्वालियर के सर्वधर्म शिक्षा संस्थान बड़ागांव का वीडियो सामने आया है, जिसमें परीक्षा के बाद खुले लिफाफे की बात कही जा रही है। मामले ने जब तूल पकड़ा तो इंदौर के उम्मीदवारों ने भी द सूत्र से संपर्क किया और पेपर से जुड़ी गड़बड़ियों के बारे में बताया।
वहीं अब इस घटना से परीक्षा की गोपनीयता और पूरी व्यवस्था पर सवाल खड़े हो रहे हैं। उम्मीदवार सवाल उठाने लगे हैं कि किस तरह की ये व्यवस्था थी।
यह है शिकायत, इन केंद्रों पर
वायरल वीडियो ग्वालियर के सर्वधर्म संस्थान का है। कुछ अभ्यर्थियों का कहना है कि पेपर का लिफाफा आया था वह खुला हुआ था। हमसे इसी पर हस्ताक्षर करने के लिए कहा गया, जबकि लिफाफा पैक आता है। इस संस्थान के साथ ही पॉलीटेक्निक कॉलेज, कन्या विद्यालय में भी इस तरह की घटना होने की जानकारी कुछ छात्रों ने द सूत्र को दी है।
उम्मीदवारों ने द सूत्र से की शिकायत
एक उम्मीदवार ने बताया कि मेरा प्री का सेंटर ग्वालियर में महारानी लक्ष्मीबाई उत्कृष्ठ महाविद्यालय में था। मुझे पेपर खुले हुए मिले हैं, यानी मेरी क्लास में पेपर का पैकेट ओपन करने से पहले अभ्यर्थियों द्वारा सिग्नेचर कराने की प्रक्रिया नहीं की गई थी। वहीं दूसरे उम्मीदवार ने बताया कि 23 जून को हुई MPPSC परीक्षा में मेरा सेंटर "किडीज कॉर्नर स्कूल नया बाजार" में था। वहां हमें जो पेपर दिया गया, उसका पैकेट पहले से ही खुला हुआ था। घर आकर मैंने अपने और भी दोस्तों से बात की तो उनके सेंटर में भी ऐसा ही हुआ है। एक अन्य उम्मीदवार ने भी इसपर बात करते हुए बताया कि हमारे यहां प्रगति विद्यापीठ स्कूल ग्वालियर में दोनों पेपर के लिफाफे पहले से ही ओपन थे।
एक अन्य उम्मीदवार ने बताया कि मेरे सेंटर सराफा गर्ल्स स्कूल इंदौर कमरा नं. 7 पीआर में भी यही हुआ। जब मेडम पेपर लेकर आई थी, तब उन्होंने एक- एक पेपर की पॉलिथीन कट क्रके करके दी, लेकिन 7- 8 पेपर के बाद पेपर की पैकेट पहले से खुला था। साथ ही पेपर में सील भी नहीं थी, जिस स्टूडेंट को वो पेपर मिला उसने खड़े होकर विरोध भी किया, लेकिन मैम ने उसे बैठा दिया। समय की कमी होने की वजह से सब अपना- अपना काम करने लग गए, लेकिन वो पूरी तरह से संदिग्ध लग रहा था।
इंदौर में भवरकुआ के पास भी एक स्कूल में छात्र को मिले पेपर का लिफाफा खुला हुआ था। इसकी उन्होंने ऑब्जर्वर से आपत्ति ली थी, लेकिन उसे सुना नहीं गया।
गोरखी स्कूल ग्वालियर में भी पेपर लीफाफे में नहीं मिले थे। इन पेपरों पर किसी ने साइन भी नहीं करवाए थे, ऐसे ही पेपर दिए गए थे।
यह होता है नियम
सभी केंद्रों पर सीलपैक लिफाफे में पेपर होते हैं। एक लिफाफे में 24 पेपर होते हैं और हर एक पेपर भी लिफाफे में बंद होकर सीलपैक होकर इस बड़े लिफाफे में रहते हैं। यह बड़ा लिफाफा अभ्यर्थियों को दिखाकर खोला जाता है और इस पर कुछ उम्मीदवारों की गवाह के तौर पर साइन कराई जाती है।
इसके बाद हर पेपर का सील लिफाफा उम्मीदवार को दिया जाता है, जो वह खुद खोलता है। इस तरह पेपर की डबल सिक्योरिटी रहती है। हालांकि कहीं भी यह शिकायत नहीं है कि जिसमें उम्मीदवार का व्यक्तिगत पेपर होता, वह लिफाफा खुला हुआ हो। यानी इस बड़े लिफाफे के खुले होने से भी पेपर की सुरक्षा कमजोर नहीं होती है।
वहीं इंटरप्रेटर भारती ने बताया कि जब हमने कारण पूछा कि लिफाफा क्यों खुला हुआ है तो उन्होंने कहा कि इस कक्ष में 24 से कम बच्चे हैं दूसरी में ज्यादा थे तो वहां इसको खोल कर देना पड़ा।
आब्जर्वर बोले ऐसी कोई शिकायत नहीं आई
द सूत्र ने इस मामले में ग्वालियर जिले में परीक्षा आब्जर्वर सीबी सिंह से चर्चा की। उन्होंने कहा कि हमे पूरे जिले में कहीं से भी इस तरह की कोई शिकायत नहीं मिली है, जिस सेंटर की बात कर रहे हैं, वहां भी मैं व्यक्तिगत दो बार गया था और ऐसी कोई बात सामने नहीं आई। पेपर पूरी सुरक्षा में था और अभ्यर्थियों को किसी बात की चिंता करने की जरूरत नहीं है।
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