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लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी कांग्रेस को नए सिरे से सृजित करने के लिए सृजन अभियान चला रहे हैं। इंदौर शहराध्यक्ष के लिए 10 दावेदारों के फार्म सामने आए थे। ऑब्जर्वर अमृतसर के सांसद गुरजीत सिंह औजला ने सह-ऑब्जर्वर पूर्व मंत्री बाला बच्चन और पूर्व विधायक रवि जोशी के साथ इंटरव्यू लिए थे।
जानकारी के अनुसार इसमें से चार की छंटनी हो गई है और फार्म व अन्य जानकारियों के आधार पर 6 का पैनल बन गया है। ऑब्जर्वर द्वारा लिए गए इंटरव्यू में दावेदारों से पूछा गया कि वे पार्टी को खड़ा करने के लिए क्या करेंगे, अभी तक बीजेपी से लड़ाई किस तरह लड़ी है, बीजेपी नेताओं पर कितनी एफआईआर कराई है, कितने प्रदर्शन किए हैं।
फार्म में यह सब जानकारी मांगी
सभी दावेदारों से दो पन्नों का फार्म भरवाया गया है। इसमें व्यक्तिगत जानकारी के साथ यह भी पूछा गया है कि वे कांग्रेस में कब से हैं, कितने पदों पर रहे और कितने आंदोलन किए। साथ ही अभी तक की गई गतिविधियों, सामाजिक कामों की जानकारी, पहले किसी दल में रहे हैं या नहीं यह सब जानकारी मांगी गई है।
उम्र की 45 साल की सीमा अब नहीं है
उधर पार्टी ने साफ कर दिया है कि अब उम्र का बंधन नहीं है। योग्यता के आगे पद के लिए उम्र नहीं देखी जाएगी। पहले चर्चा थी कि शहराध्यक्ष, जिलाध्यक्ष के लिए 45 साल की अधिकतम उम्र होगी। यानी अब योग्यता और पार्टी के लिए काम करने वाले को ही तरजीह दी जाएगी।
इन नेताओं ने भरे थे शहराध्यक्ष के लिए फार्म
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सुरजीत सिंह चड्ढा
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राकेश यादव
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अमन बजाज
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दीपू यादव
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विनय बाकलीवाल
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राजू भदौरिया
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अरविंद बागड़ी
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देवेंद्र यादव
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सन्नी राजपाल
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गजेंद्र वर्मा
इसमें से यह चार नाम कटे
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार इस मामले में अब चार दावेदारों का पत्ता कट गया है। इसमें लंबे समय तक शहराध्यक्ष रह चुके विनय बाकलीवाल भी शामिल हैं, जो अब प्रदेश कमेटी में हैं। उनके साथ ही देवेंद्र यादव, गजेंद्र वर्मा और सन्नी राजपाल की दावेदारी भी दम तोड़ चुकी है।
इन नामों की भारी है दावेदारी
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सुरजीत सिंह चड्ढा: वर्तमान शहर कांग्रेस अध्यक्ष हैं। नाम चयनित 6 लोगों की सूची में इसलिए है क्योंकि उनका कार्यकाल दो साल का हुआ है। लेकिन बीजेपी सरकार के मंत्री कैलाश विजयवर्गीय का गांधी भवन में स्वागत करने और गुलाब जामुन खिलाने की वजह से दावा कमजोर पड़ा है। इसी कांड के चलते पहले भी वह पद से हटने से बच गए थे।
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राकेश सिंह यादव: कांग्रेस के पूर्व महासचिव हैं और उनकी दावेदारी मजबूत मानी जा रही है। हाल के समय में लगातार वह बीजेपी को घेरने वाले मुद्दे उठा रहे हैं। सोशल मीडिया पर सक्रिय हैं और कांग्रेस के सदस्यता अभियान के संभाग प्रभारी भी रह चुके हैं। फिलहाल किसी गुट में नहीं हैं। 2018 से 2025 तक बीजेपी नेताओं के खिलाफ 38 एफआईआर दर्ज कराई हैं।
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राजू भदौरिया: इनकी दावेदारी निगम नेता प्रतिपक्ष चिंटू चौकसे द्वारा की गई है। लेकिन भदौरिया केवल चौकसे के ही भरोसे हैं और अपने वार्ड व विधानसभा क्षेत्र तक ही सीमित हैं। ऐसे में पूरे शहर के प्रतिनिधित्व में कठिनाई है।
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अमन बजाज: युवा नेतृत्व के रूप में उभर रहे हैं और संगठन में इन्हें पसंद भी किया जा रहा है। हालांकि प्रदेशाध्यक्ष जीतू पटवारी इनके पक्ष में नहीं हैं। अनुभव की कमी इनकी दावेदारी को प्रभावित कर सकती है।
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दीपू यादव: जीतू पटवारी की पसंद माने जाते हैं, लेकिन गांधी भवन में मंत्री कैलाश विजयवर्गीय का झुककर स्वागत करने और उनकी पीठ पर हाथ रखवाने का मामला इनके खिलाफ चर्चा में है।
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अरविंद बागड़ी: एक और प्रमुख चेहरा हैं, लेकिन इनकी नेतागिरी पर "फूलछाप" की मुहर लग चुकी है। वे मंत्री कैलाश विजयवर्गीय के करीबी माने जाते हैं। पिछली बार एक दिन के लिए शहराध्यक्ष बनाए गए थे, लेकिन इसी छवि की वजह से हटाए भी गए थे।
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