इंदौर के थानों की ट्रांसफर सूची से विवाद, पुराने पुलिसकर्मियों को हटाने की जगह नए हटा दिए

स्पेशल डीजी (प्रशासन) आदर्श कटियार ने 10 जून को सभी यूनिटों को पत्र लिखकर पांच वर्षों से एक ही थाने में तैनात आरक्षक, प्रधान आरक्षक, एएसआई और एसआई को स्थानांतरित करने का स्पष्ट आदेश दिया था।

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Vishwanath Singh
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इंदौर पुलिस की नगरीय सीमा के अंतर्गत आने वाले थाने के 1059 पुलिसकर्मियों के ट्रांसफर सूची को लेकर बवाल हो गया है। सूची जारी होते ही पुलिसकर्मियों ने इसका विरोध करना भी शुरू कर दिया है। विरोध का कारण बताया जा रहा है कि– जो सूची जारी की गई उसमें थानों के कुछ बाबू और हेडकांस्टेबल ने सांठगांठ कर ली। जो लोग लंबे समय से थाने में जमे हुए थे उनके नाम सूची में से हटा दिए गए और जो हालही में ट्रांसफर होकर गए थे उनके नाम लिस्ट में शामिल कर दिए गए। उधर, बाणगंगा थाने के पुलिसकर्मी तो इस ट्रांसफर लिस्ट के साथ आपस में भिड़ भी लिए।

स्पेशल डीजी ने यह दिए थे ट्रांसफर को लेकर आदेश

स्पेशल डीजी (प्रशासन) आदर्श कटियार ने 10 जून को सभी यूनिटों को पत्र लिखकर पांच वर्षों से एक ही थाने में तैनात आरक्षक, प्रधान आरक्षक, एएसआई और एसआई को स्थानांतरित करने का स्पष्ट आदेश दिया था। इसके बावजूद, स्थापना शाखा ने ऐसे कर्मचारियों के नाम ही मुख्यालय को नहीं भेजे जो वर्षों से वहीं जमे हुए थे।

1059 पुलिसकर्मियों की सूची में यह हो गया विवाद

पुलिस कमिश्नर संतोष कुमार सिंह के निर्देश पर मंगलवार देर रात 1059 पुलिसकर्मियों के तबादले किए। इससे पहले संबंधित डीसीपी प्रकाश परिहार से रिपोर्ट मांगी गई थी, लेकिन आरोप है कि HCM और बाबुओं ने मिलकर फर्जी रिपोर्ट भेजी। पुराने कर्मचारियों को बचा लिया गया और कुछ ऐसे पुलिसकर्मी जो एक महीने पहले ही तैनात हुए थे। उनका नाम इस ट्रांसफर लिस्ट में डाल दिया गया।

मुख्यमंत्री और डीजीपी को हुई शिकायत

थोकबंद पुलिस तबादलों में भारी अनियमितताओं का मामला सामने आया है। सूत्रों के अनुसार इस घपले की शिकायत स्पेशल डीजी, डीजीपी और मुख्यमंत्री तक पहुंचा दी गई है। इस सूची से नाराज पुलिसकर्मियों ने अब खुलकर विरोध जताना भी शुरू कर दिया है।

विरोध में उतरे पुलिसकर्मी

बुधवार सुबह जैसे ही तबादला सूची प्रसारित हुई थानों में हड़कंप मच गया। सूत्रों के मुताबिक विजय नगर टीआई सीके पटेल ने  तो तबादलों का खुलकर विरोध किया। उनके थाने के 51 में से कई पुलिसकर्मी हाल ही में आए थे, फिर भी उनका नाम तबादला सूची में शामिल कर दिया गया। लसूड़िया थाने में भी यही स्थिति रही जहां वर्षों से पदस्थ पुलिसकर्मियों को बचा लिया गया।

बाणगंगा थाना सबसे ज्यादा विवादों में

बाणगंगा थाने में सबसे अधिक गड़बड़ी सामने आई। बताया गया कि यहां के वर्षों से जमे पुलिसकर्मियों के नाम स्थापना शाखा में ही नहीं भेजे गए। फर्जी तैनातियां दिखाकर उन्हें बचा लिया गया। कुछ पुलिसकर्मी तो चौथी बार उसी थाने में लौट आए हैं। इसके उलट हाल ही में आए कर्मचारियों को ट्रांसफर कर दिया गया।

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अपराध शाखा में तैनात दागियों पर भी कार्रवाई नहीं

स्पेशल डीजी ने एक अन्य पत्र में साफ निर्देश दिए हैं कि जिन पुलिसकर्मियों पर विभागीय या आपराधिक जांच चल रही है, उन्हें भी हटाया जाए। लेकिन सबसे ज्यादा ऐसे दागी कर्मचारी अब भी अपराध शाखा में पदस्थ हैं, जिन पर लोकायुक्त और विभागीय जांच चल रही है।

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सूची फाइनल होने के बाद भी डिलीट की गई

सूत्रों के अनुसार, पुलिस आयुक्त ने दो दिन पूर्व तबादला सूची को अंतिम रूप दे दिया था। एडीसीपी मनोज श्रीवास्तव और उपायुक्त प्रकाश परिहार को पारदर्शिता के साथ सूची तैयार करने की जिम्मेदारी सौंपी गई थी, लेकिन बाबुओं ने वह सूची डिलीट कर दी और मनमर्जी से नई सूची तैयार कर दी। बताया जा रहा है कि यह सूची अब दोबारा संशोधित करके जारी की जाएगी। 

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सोशल मीडिया पर भिड़े बाणगंगा थाने के पुलिसकर्मी

पुलिस विभाग में जारी बड़े पैमाने पर तबादलों के बीच बाणगंगा थाने का मामला गरमा गया है। मंगलवार रात जारी हुई ट्रांसफर लिस्ट के बाद बुधवार सुबह थाने के अनौपचारिक वाट्सऐप ग्रुप में पुलिसकर्मियों के बीच जमकर बहस हो गई। इस बहस की चिंगारी तब भड़की जब थाने में पदस्थ आरक्षक निलेश पाल ने ट्रांसफर हुए पुलिसकर्मियों को लेकर अभद्र और अपमानजनक टिप्पणी कर दी। ग्रुप में की गई टिप्पणी में निलेश पाल ने ट्रांसफर हुए साथियों पर तंज कसते हुए लिखा – "ये ऐसे ही चले जाएंगे या फिर लात-जूते खाकर जाएंगे।"  इसके साथ ही उसने जूते और पैर के इमोजी का इस्तेमाल कर माहौल और भड़का दिया।इस पर ट्रांसफर हुए पुलिसकर्मियों ने नाराजगी जाहिर की और इस व्यवहार को अपमानजनक व असंवेदनशील बताया। कुछ सदस्यों ने स्क्रीनशॉट लेकर यह मामला वरिष्ठ अफसरों तक पहुंचाने की बात भी कही है।

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इंदौर पुलिस ट्रांसफर बाणगंगा लिस्ट