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पूरी खबर को 5 पॉइंट में समझें...
गंदा पानी फैलने से मौतें: भागीरथपुरा में दूषित पानी से 8 मौतें, अब पूरे शहर में समस्या।
महापौर का क्षेत्र भी प्रभावित: महापौर के क्षेत्र में भी गंदे पानी की शिकायतें आईं।
50 शिकायतें 12 घंटे में: 12 घंटे में 50 से अधिक शिकायतें दर्ज हुईं।
स्वास्थ्य पर खतरा: दूषित पानी से बीमारियों का खतरा बढ़ा।
जवाबदेही की मांग: जल प्रदाय व्यवस्था की जांच और कार्रवाई की मांग।
इंदौर, जो देश का सबसे साफ शहर माना जाता था, अब अपने सबसे गंदे सच से सामना कर रहा है। नलों से जो पानी आ रहा है, वह बदबूदार, मटमैला और जानलेवा है। इसकी कीमत आम लोग अपनी सेहत और जान से चुका रहे हैं।
भागीरथपुरा में दूषित पानी पीने से 8 लोगों की मौत और सैकड़ों लोग बीमार हो गए। इस खतरे का असर अब पूरे शहर में फैल चुका है। यह हम नहीं कह रहे, बल्कि निगम का 311 एप साफ-साफ बताता है।
यह सिर्फ भागीरथपुरा की समस्या नहीं है, गंदा पानी अब पूरे इंदौर की पहचान बन चुका है। यहां तक कि महापौर पुष्यमित्र भार्गव का गृह क्षेत्र भी इससे बचा नहीं है।
12 घंटे में 50 शिकायतें: सिस्टम फेल
भागीरथपुरा में मौतों की खबर सामने आते ही जैसे शिकायतों का बांध टूट गया। 30 दिसंबर रात 11 बजे से 31 दिसंबर सुबह 11 बजे तक महज़ 12 घंटे में 311 एप पर 50 से अधिक शिकायतें सिर्फ गंदे पानी को लेकर दर्ज हुईं।
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यह आंकड़ा अपने आप में बताता है कि
• समस्या अचानक पैदा नहीं हुई
• दूषित जल लंबे समय से लोगों के घरों तक पहुंच रहा था
• शिकायतों को लगातार नजरअंदाज किया जा रहा था
मजबूरी में जहर पीते रहे लोग
भागीरथपुरा में जब एक के बाद एक लोग उल्टी-दस्त, बुखार और डिहाइड्रेशन का शिकार हुए, तब जाकर प्रशासन हरकत में आया। जांच में साफ हुआ कि सप्लाई किया जा रहा पानी पीने योग्य ही नहीं था।
इसके बावजूद
• न जल गुणवत्ता जांच समय पर हुई
• न सप्लाई रोकी गई
• न वैकल्पिक व्यवस्था की गई
लोगों को मजबूरी में वही पानी पीना पड़ा, जिसने बाद में उनकी जान ले ली।
विजय नगर से खजराना तक, हर इलाके में वही कहानी
भागीरथपुरा की घटना के बाद शहर के अलग-अलग हिस्सों से शिकायतें सामने आईं—
विजय नगर, लसूडिया, खजराना, बाणगंगा, परदेशीपुरा, द्वारकापुरी, आज़ाद नगर सहित कई इलाकों में लोगों ने बताया कि—
• कहीं पानी से तेज़ बदबू आ रही है
• कहीं रंग पीला या काला है
• कहीं नलों से गंदगी और कीड़े निकल रहे हैं
रहवासियों का आरोप है कि वे कई दिनों से 311 एप और जोन कार्यालयों में शिकायत कर रहे थे, लेकिन समाधान नहीं हुआ।
मौतों के बाद ही सिस्टम जागा।
जब महापौर का क्षेत्र भी सुरक्षित नहीं, तो आम जनता क्या करे?
सबसे चौंकाने वाली और शर्मनाक बात यह है कि महापौर पुष्यमित्र भार्गव का गृह क्षेत्र भी दूषित पानी से प्रभावित रहा। वहां से भी 311 एप पर शिकायतें दर्ज हुईं।
यह नगर निगम के दावों पर सीधा सवाल है-
अगर सत्ता के केंद्र में बैठे लोगों के इलाके सुरक्षित नहीं हैं, तो आम नागरिकों की हालत का अंदाज़ा लगाया जा सकता है?
अस्पतालों में अभी भी खतरा कायम
डॉक्टरों के मुताबिक दूषित पानी से
• डायरिया
• टाइफाइड
• पीलिया
• और अन्य संक्रामक बीमारियों का खतरा कई गुना बढ़ जाता है
भागीरथपुरा इसका जीता-जागता उदाहरण है। अस्पतालों में अब भी बड़ी संख्या में मरीज भर्ती हैं। स्वास्थ्य विभाग ने अलर्ट जारी किया है, लेकिन विशेषज्ञ साफ कहते हैं जब तक पानी पूरी तरह शुद्ध नहीं होगा, खतरा टलेगा नहीं।
सिर्फ जांच नहीं, जवाबदेही चाहिए
घटना के बाद विपक्षी दलों और सामाजिक संगठनों ने साफ मांग रखी है-
• जल प्रदाय व्यवस्था का तकनीकी ऑडिट हो
• लापरवाह अधिकारियों की सीधी जिम्मेदारी तय हो
• सिर्फ निलंबन नहीं, कड़ी कार्रवाई हो
लोगों का कहना है कि अस्थायी इंतज़ाम और जांच समितियों से जानें वापस नहीं आएंगी।
स्वच्छता की चमक के पीछे छिपा सड़ा सिस्टम
भागीरथपुरा की त्रासदी ने इंदौर की चमकती स्वच्छता रैंकिंग के पीछे छिपी जल प्रदाय व्यवस्था की गंभीर सड़ांध को उजागर कर दिया है।
अगर समय रहते इस सिस्टम को नहीं सुधारा गया तो अगली खबर सिर्फ़ बीमारियों की नहीं और मौतों की हो सकती है।
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