इंदौर निगम बिल घोटाला : डिप्टी डायरेक्टर ऑडिट समरसिंह परमार और असिस्टेंट ऑडिटर रामेश्वर गिरफ्तार

मध्यप्रदेश के इंदौर नगर निगम में हुए फर्जी बिल घोटाले के मामले में वित्त विभाग ने ऑडिट शाखा के चार वरिष्ठ अफसरों को 14 मई को निलंबित कर दिया था। इसमें अनिल कुमार गर्ग, समर सिंह, रामेश्वर परमार के अलावा जेएस ओहरिया शामिल थे... 

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Jitendra Shrivastava
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संजय गुप्ता, INDORE. इंदौर निगम बिल घोटाला : नगर निगम इंदौर के 150 करोड़ के फर्जी बिल घोटाले में नगर निगम के दो और अधिकारी गिरफ्तार कर लिए गए हैं। यह है डिप्टी डायरेक्टर ऑडिट समरसिंह परमार और एक असिस्टेंट ऑडिटर रामेश्वर परमार है। इन सभी की इस घोटाले में फाइल को पास करने की बात सामने आई थी। 

मप्र शासन ने ऑडिट विभाग से 4 को किया था सस्पेंड

निगमायुक्त शिवम वर्मा द्वारा बनाई गई जांच कमेटी ने ऑडिट विभाग के अधिकारियों की भूमिका संदेहास्पद पाई थी। इसके बाद निगमायुक्त ने इन्हें सस्पेंड करने के लिए पत्र मप्र शासन को भेजा था। इसके आधार पर शासन के वित्त विभाग ने ऑडिट शाखा के चार वरिष्ठ अफसरों को 14 मई को निलंबित कर दिया था। इसमें लोकल फंड ऑडिट की ओर से इंदौर नगर निगम में पदस्थ संयुक्त संचालक अनिल कुमार गर्ग, डिप्टी डायरेक्टर समर सिंह, असिस्टेंट ऑडिटर रामेश्वर परमार के अलावा सीनियर ऑडिटर जेएस ओहरिया शामिल थे।  

अभी भी निगम के यह अधिकारी कार्रवाई से बचे हुए

जांच कमेटी ने इसके साथ ही सहायक ऑडिटर विक्रम वर्मा और कम्प्यूटर ऑपरेटर जगदीश चौकसे की भूमिका में लिखा था कि गंभीर लापरवाही सिद्ध होती है। इन पर अभी कोई बड़ी कार्रवाई नहीं हुई। वहीं निगम की जांच कमेटी ने नगर निगम के लेखा विभाग के सुनील भंवर के लिए कहा था कि लापरवाही सिद्ध होती है और भूपेंद्र पुरोहित के लिए कहा था कि संलिप्तता संदिग्ध है, इन्हें पहले ही हटाया जा चुका है। 

नगर निगम से 7 अधिकारी हो चुके गिरफ्तार

इस पूरे घोटाले में समरसिंह परमार और रामेश्वर परमार के पहले मास्टमाइंड माने जा रहे इंजीनियर अभय राठौर, उदय सिंह भदौरिया, चेतन भदौरिया, राजकुमार साल्वी, मुरलीधरन (जिसकी हाईकोर्ट से जमानत हो चुकी है) को भी गिरफ्तार किया गया। उधर ठेकेदारों में मोहम्मद सिदद्की, मोहम्मद जाकिर, मोहम्मद साजिद, राहुल वढेरा, रेणु वढेरा, इमरान, मौसम व्यास को भी गिरफ्तार किया जा चुका है, लेकिन एहतेमाश उर्फ काकू जो बेलदार असलम का भाई है और जिस पर कई फर्जी फर्म बनाकर काम लेने और भुगतान लेने का आरोप है गिरफ्तारी से बचा है। साथ ही कार से इन मूल फाइलों को चुराने का संदिग्ध आरोपी आशु भी फरार है, दोनों पर ईनाम घोषित हो चुका है।

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