INDORE. पढ़ाई को दिलचस्प और भविष्य के अनुकूल बनाने की दिशा में इंदौर डेली कॉलेज ने दो बड़ी और अनोखी पहल की है। स्कूल ने अपने जूनियर सेक्शन के बच्चों के लिए टॉय ट्रेन शुरू की है। सीनियर क्लासेस में रोबोट टीचर को पढ़ाने के काम में शामिल किया है। यह दोनों पहल देश में शिक्षा के नए युग की शुरुआत मानी जा रही हैं।
मध्यप्रदेश इंदौर के डेली कॉलेज की प्राचार्य डॉ.गुनमीत बिंद्रा ने कहा, हम मानते हैं कि शिक्षा सिर्फ किताबों तक सीमित नहीं होनी चाहिए। यह एक ऐसी यात्रा होनी चाहिए जिसमें आनंद, कल्पनाशक्ति और भविष्य की तैयारी तीनों शामिल हों। जूनियर स्कूल के लिए शुरू की गई टॉय ट्रेन पहली नजर में तो बच्चों के खेलने की चीज लगती है, लेकिन इसके पीछे सोच है बच्चों की पूरी मानसिक और सामाजिक वृद्धि की।
ट्रेन के सफर के दौरान बच्चे न सिर्फ चलना-फिरना सीखते हैं, बल्कि शब्दों, दिशाओं, और घटनाओं को भी समझते हैं। इसके जरिए बच्चे नई-नई भूमिकाएं निभाते हैं, कोई ड्राइवर बनता है, कोई कंडक्टर, कोई यात्री।
टॉय ट्रेन के फायदे...
- बौद्धिक विकास: दिशा, अनुक्रम और कारण-परिणाम की समझ।
- भाषा विकास: रोजमर्रा के शब्दों का व्यवहारिक प्रयोग।
- शारीरिक गतिविधि: संतुलन और चढ़ने-उतरने की क्रिया।
- सामाजिक स्किल्स: समूह में काम करने की आदत।
- कल्पनाशीलता: कहानी और अनुभव बनाना।
डॉ. बिंद्रा ने बताया कि हम चाहते हैं कि बच्चे स्कूल को लेकर हर सुबह उत्साहित हों। यह ट्रेन सिर्फ सवारी नहीं, बचपन की यादों का हिस्सा है। यह ट्रेन अलग-अलग थीम पर भी चलेगी। जैसे त्योहार, मौसम या देशों की यात्रा, जिससे बच्चे खेल-खेल में बहुत कुछ सीख सकें।
भविष्य की क्लास आज की हकीकत
डेली कॉलेज सीनियर क्लासेस में ऐसा रोबोट टीचर लेकर आया है, जो आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) से चलता है। यह इंसानों जैसा दिखता है, बोलता है, समझता है और बच्चों के सवालों के जवाब देता है। हालांकि ये रोबोट, इंसान टीचर्स की जगह नहीं लेता, बल्कि उन्हें सहयोग करता है।
कैसे बच्चों की मदद करता है रोबोट...
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- हर बच्चे के हिसाब से स्पीड और समझ के साथ पढ़ाना।
- इंटरेक्टिव क्लास, जैसे क्विज, वीडियो और एक्टिव बातचीत।
- बच्चों से सीधे संवाद और फीडबैक। खास बच्चों के लिए ऑडियो-वीडियो टूल्स।
- शर्मीले बच्चों को खुलकर बोलने में मदद।
डॉ. बिंद्रा ने कहा, ये सिर्फ टेक्नोलॉजी की बात नहीं है। ये बच्चों को उस दुनिया के लिए तैयार करने की बात है, जहां AI हर दिन का हिस्सा है। आपको बता दें कि 1882 में स्थापित डेली कॉलेज का नाम उसकी परंपरा और गुणवत्ता के लिए जाना जाता है। लेकिन इन पहलों से यह भी साबित होता है कि यह स्कूल सिर्फ अतीत पर नहीं, बल्कि भविष्य पर भी फोकस करता है। डॉ. बिंद्रा कहती हैं, रोबोट हमारे टीचर्स के लिए सहायक है। इससे टीचर बच्चों को ज्यादा समय दे पाते हैं प्रेरणा देने और चर्चा करने के लिए।MP
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