INDORE. देवी अहिल्या विश्वविद्यालय (DAVV) का रविवार को गुरुपूर्णिमा अवसर पर सीएम डॉ. मोहन यादव की उपस्थिति मे हुआ गरिमामय कार्यक्रम विवादो में आ गया है। इस कार्यक्रम के लिए यूनिवर्सिटी कुलगुरू डॉ. रेणु जैन और रजिस्ट्रार ने मिलकर सीएम के हाथों सम्मानित होने वाले गुरूओं को चुना, लेकिन इसमें अब आरोप लग रहे हैं कि यह लिस्ट केवल अपनों को उपकृत करने के लिए बनाई गई और कई दिग्गज प्रोफेसरों को इसमें छोड़ दिया गया।
सम्मानित होने वालों में यह शामिल
यूनिवर्सिटी ने सीएम के हाथों डॉ. पीवी सक्सेना, आशुतोष मिश्रा, पीएन मिश्रा, अशोक शर्मा, मंदिरा बैनर्जी, केएन गुरूप्रसाद, पीके गुप्ता, दीपक भटनागर, माया इंगले, सुमित्रा वास्कले, मानसिंह परमार, अनूप व्यास को सम्मानित कराया गया।
इन नामों पर आया विवाद
- इसमें कई नामों को लेकर विवाद आया है। प्रोफेसर अशोक शर्मा पूर्व रेक्टर रहे हैं और कुलगुरू डॉ. जैन के करीबी रहे हैं। रिटायरमेंट के बाद उन्हें फिर संविदा नियुक्ति दी गई। इसे लेकर भी राजभवन से लेकर मप्र शासन तक शिकायत हो चुकी है कि यह नियुक्ति नियमविरूद्ध हुई है।
- इसके साथ ही कई बड़े लोगों को छोड़कर पूर्व प्रभारी प्राचार्य अनूप व्यास को चुना जाना, जबकि कई स्थार्य प्राचार्य रहे हैं। इसी तरह माया इंगले जी प्रोफेसर नहीं होकर सिस्टम एनालिस्ट रही है।
इन बड़े दिग्गजों को क्यों छोड़ दिया
कुलगुरू ने ग्वालियर से बुलाकर अपने गाइड वीपी सक्सेना को भी सम्मानित कराया। सवाल यह नहीं है कि ग्वालियर के व्यक्ति को यहां बुलाकर सम्मानित किया गया। सीएम ने भी उन्हें सम्मानित करने पर बधाई दी। लेकिन इंदौर में ही रहने वाले कई दिग्गज प्रोफेसर को क्यों नहीं चुना गया, इस पर सवाल हैं।
इसमें पूर्व कुलपति डॉ. भरत छापरवाल, डॉ. उमराव सिंह चौधरी से लेकर अशर्फीलाल तक शामिल है। वहीं प्रोफेसर की बात करें तो इसमें डॉ. रमेश मंगल, डॉ. एसएल गर्ग, प्रोफेसर राम श्रीवास्तव, यूनिवर्सिटी के ही प्रोफेसर सुरेश चांद, पूर्व रेक्टर सुधाकर भारती जैसे कई दिग्गज मौजूद है। यूनिवर्सिटी के कई पूर्व एचओडी है जो इंदौर में ही रहते हैं, उन सभी को छोड़ दिया गया।
मंत्री के भाई को भी छोड़ दिया
होलकर कॉलेज के प्रिंसीपल डॉ. सुरेश (पप्पू) सिलावट जो मंत्री तुलसी सिलावट के भाई तो है ही लेकिन इससे बड़ी बात कि उनके कार्यकाल में होलकर को ए डबल प्लस ग्रेड मिली। उन्हें भी छोड़ दिया गया। ऐसे कई नामों की सूची है। इस पर सवाल हो रहे हैं कि आखिर यह सम्मानित होने वाली सूची किस आधार पर बनाई है और इसके क्या मानक तय थे। इसके चलते कई और दिग्गज इस सम्मान की सूची में आ सकते थे जिन्हें छोड़ दिया गया।
गुरुजनों के सम्मान के लिए मंच छोड़कर नीचे उतरे मुख्यमंत्री डॉक्टर मोहन यादव। पुष्प वर्षा कर किया सेवानिवृत्त प्रोफेसरों और गुरुजनों का अभिनंदन।
सीएम बोले यह महान पंरपरा, कुलगुरू नाम यहीं से आया
सीएम डॉ. मोहन यादव ने इस कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि भारत विश्वगुरू है, इसका विचार यही है कि हमने शिक्षा और मूल्यों को तवज्जो दी है। इसकी मंशा यह नहीं कि हम धन से मजबूत हो। देवी अहिल्या विश्वविद्यालय की परंपरा महान रही है और यहीं से ही हमे कुलपति का नाम कुलगुरू रखने का विचार आया था जब मैं उच्च शिक्षा मंत्री था। हमे भारतीय पंरपरा के त्योहार मनाने चाहिए। हर साल हम गुरू पूर्णिमा मनाएंगे। शिक्षक दिवस की महत्ता अपनी जगह है। मैंने एक बार पूछा कि दोनों में अंतर क्या है, तो बताया गय शिक्षक वह जो सिलेबस पढ़ाए और गुरू वह जिसका कोई ओर-छोर नहीं, वह सिलेबस के आगे-पीछे सभी जगह मौजूद है। सीएम ने सभी को गुरूपूर्णिमा की शुभकामनाएं दी।
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