INDORE. आर्थिक हालत को मजबूत करने में जुटी नगर निगम को इंदौर विकास प्राधिकरण (आईडीए) ने जोरदार झटका दे दिया है। नगर निगम ने आईडीए की विविध स्कीम पर 200 करोड़ से ज्यादा का संपत्ति कर का बकाया निकालकर आईडीए को पत्र भेजा था। इसके जवाब में आईडीए सीईओ आरपी अहिरवार ने संपदा शाखा को बोलकर पूरा हिसाब निकलवाया। इसके बाद आईडीए ने 13 दिसंबर को निगम को पत्र थमा दिया और सारा हिसाब बताते हुए 26.33 करोड़ रुपए वापस देने का पत्र थमा दिया। आईडीए का कहना है कि निगम का नहीं बल्कि आईडीए का निगम पर बकाया निकल रहा है।
इस तरह बताई अपनी लेनदारी
आईडीए सीईओ आरपी अहरिवार ने अपर आयुक्त राजस्व नगर निगम को पत्र लिखा। इसमें कहा गया कि आपके द्वारा 6 अप्रैल 2024 को 50.97 करोड़ रुपए की देनदारी का पत्र दिया था। इसमें 41.11 करोड़ रुपए आईडीए द्वारा जमा कराए जा चुका था और शेष 9.85 करोड़ रुपए का भुगतान 5 अप्रैल को ही किया जा चुका है। यह हिसाब से दिया था कि बाद में राशि का समायोजन होगा। लेकिन इसका समायोजन नहीं किया गया। वर्तमान वित्तीय साल 2024-25 देय संपत्ति कर राशि रुपए 14.78 करोड़ रुपए का समायोजन कर बाकी राशि 26.33 करोड़ रुपए आईडीए को उपलब्ध कराने का कष्ट करें।
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टीपीएस की जमीन अभी हमारे पास ही नहीं
आईडीए ने इसके साथ ही एक पत्र और दिया है। इसमें कहा गया है कि आईडीए की टीपीएस योजना 1,3,4,5,8,9,10 में शामिल सभी निजी, सरकारी और प्राधिकरण को मिलने वाली जमीन पर निर्मित भूखंड सभी को मिलाकर ही संपत्ति कर की गणना कर ली गई है जो उचित नहीं है। टीपीएस का विकास काम पूरा होने के बाद ही वास्तविक रूप से प्राधिकारी को प्राप्त होने वाली जमीन के एरिया का निर्धारण किया जा सकेगा। राज्य सरकार को भी शासकीय भूमि के बदले अंतिम भूखंड का आवंटन योजना में किया गया है। राज्य शासन को नगर पालिका एक्ट 1961 की धारा 136 के तहत संपत्ति कर से मुक्त रखा गया है। इस पर भी संपत्ति कर का निर्धारण किया गया जो सही नहीं है। योजनाओं को लेकर जमीन अभी नहीं मिली है और कई केस कोर्ट में भी प्रचलित है, और जमीन को मुक्त भी किया जा चुका है। ऐसे में इन आधार पर टीपीएस के पूर्ण विकास होने पर ही प्राप्त जमीन एरिया के आधार पर संपत्ति कर तय होना उचित होगा।
संपत्ति कर निकालने वाले पहले रह चुके आईडीए में
यह संपत्ति कर का हिसाब अपर आयुक्त राजस्व नरेंद्र पांडे द्वारा निकाल गया है। मजे की बात यह है यह पांडे लंबे समय तक आईडीए में पदस्थ रहे हैं और इस दौरान निगम द्वारा निकाली जाने वाली संपत्तिकर को उचित नहीं मानते थे और आईडीए के पक्ष में पत्र लिखा करते थे। अब नगर निगम पद संभालने के बाद वह निगम के हित में आईडीए से बकाया राशि की डिमांड निकाल रहे हैं।
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