DGP से हुई कन्फेक्शनरी कारोबारी संजय जैसवानी की शिकायत, इंदौर पुलिस मंत्री के दबाव में, जांच में कर रही ढुलमुल रवैया

गौरव अहलावत ने मंत्री के करीबी संजय जैसवानी के खिलाफ डीजीपी से शिकायत की, लेकिन इंदौर पुलिस ने अभी तक कोई कार्रवाई नहीं की। डीजीपी ने जांच का आश्वासन दिया, लेकिन पुलिस मंत्री के दबाव में झिझक रही है।

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Sanjay gupta
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गौरव अहलावत
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मंत्री के करीबी कन्फेक्शनरी काराबोरी संजय जैसवानी ( Sanjay Jaiswani ) के खिलाफ अब शिकायत सीधे डीजीपी सुधीर सक्सेना को हुई है। रश्यिन नागरिक पीड़ित गौरव अहलावत ने भोपाल जाकर सीधे डीजीपी से मुलाकात की और उन्हें अपने साथ हुई पूरी घटना से अवगत कराया। घटना के बाद से ही पीड़ित इंदौर पुलिस के चक्कर लगा रहा है, लेकिन अभी तक इसमें पुलिस जैसवानी पर केस दर्ज करने से बच रही है। 

डीजीपी से यह रखी बात

अहलावत ने करीब दस मिनट तक डीजीपी से बंद कमरे में बात की। उन्होंने सारे वीडियो फुटेज, घटना की जानकारी दी और जैसवानी किस तरह से सभी को परेशान करता है इसकी जानकारी दी। यह भी बताया कि पहले उद्योगपतियों के साथ जाकर थाने में आवेदन दिया, फिर पुलिस कमिशनर राकेश गुप्ता को जानकारी दी। इसके बाद एसीपी, डीसीपी सभी से मुलाकात हुई। एसीपी ने जांच भी की लेकिन, रिजल्ट अभी तक कुछ नहीं आया। वह अपनी जीआरवी बिस्किट फैक्टरी में भी नहीं घुस पा रहे हैं और ना ही लूट, डकैती के मामले में पुलिस ने जैसवानी पर अभी तक कोई केस किया।

डीजीपी गंभीर, कहा जांच होगी

इस मामले में डीजीपी ने अहलावत को आश्वस्त किया है कि इस मामले में गंभीरता से जांच होगी। इसके बाद उन्होंने कुछ फोन किए और अधिकारियों को निर्देश दिए और फाइल भी चलाई। 

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मंत्री के दबाव के चलते पुलिस झिझक रही

लसूडिया थाना मंत्री तुलसीराम सिलावट की विधानसभा सांवेर में आता है। वहां टीआई तारेश सोनी उन्हीं की पसंद से बने हुए हैं। जांच उसी थाना क्षेत्र में होना है। पहले तो थाने पर पीड़ित अहलावत का आवेदन तक नहीं लिया गया। इसके बाद एसोसिएशन ऑफ इंडस्ट्री मप्र उनकी मदद के लिए आगे आया और इसके बाद आवेदन लिया, लेकिन कुछ नहीं किया। फिर पुलिस कमिशनर राकेश गुप्ता से मुलाकात की, उन्होंने आईपीएस एसीपी कृष्ण लालचंदानी को जांच दी।

उन्होंने सभी सीसीटीवी देखे, जांच की लेकिन किसी फैसले पर नहीं पहुंचे और बात वहां आ गई कि यह कैसे पता करेंगे कि फैक्टरी पहले जीआरवी बिस्किट अहलावत की थी और अब जैसवानी की हो गई। इसे साबित करने के लिए कोई दस्तावेज नहीं है। वहीं अहलावत का कहना है कि 11 सितंबर को कंपनी में 99 फीसदी शेयर होल्डिंग उनकी थी और सौ करोड़ से ज्यादा टर्नओवर वाली कंपनी रातोंरात 12 सितंबर तक जैसवानी गुट की हो गई, उनकी होल्डिंग 76 फीसदी हो गई और मेरी 23 फीसदी पर आ गई। 

जैसवानी से लैपटॉप, मोबाइल लेने को तैयार नहीं पुलिस

अहलावत का आरोप है कि जैसवानी के लोगों ने घर और फैक्टरी में डकैती डाली और मोबाइल लैपटाप सभी ले गए, इसी में कंपनी के सभी डाक्यूमेंट थे। पुलिस मुझे वह वापस दिला दे तो कंपनी की सारी जानकारी उन्हें मिल जाएगी। लेकिन यह नहीं दिलाया जा रहा है और ना ही लूट, डकैती में जैसवानी पर केस हो रहा है। ऐसे में सही जांच कैसे होगी? उधर, अब डीजीपी के आदेश के पास अहलावत को उम्मीद जागी है। 

मंत्री का क्यों दबाव आने की आशंका

दरअसल मंत्री सिलावट और जैसवानी के करीबी कारोबारी संबंध है। सिलावट का बेटा नीतीश सिलावट जैसवानी गुट की ही एक कंपनी सिविल सप्लाई में डायरेक्टर रह चुका है। इसमें देश का वांटेड सटोरिया अमित सोनी उर्फ सांवेर भी डायरेक्टर था। वहीं मंत्री के करीबी नौशाद के रिश्तेदार ही इस गुट की एक अन्य कंपनी सकाना भारत का कामकाज देखते हैं। इस कारण से दोनों के करीबी संबंध कागजों पर भी जगजाहिर है।

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