INDORE. मध्यप्रदेश के इंदौर की 80 साल की महिला डिजिटल ठगी से बच गई। ठगों ने उसे एक करोड़ रुपए जमा करने के लिए दबाव बनाया। महिला बैंक गई जहां अधिकारी ने संदिग्ध लेनदेन पर रोक लगा दी। पुलिस को सूचना दी गई। पुलिस ने महिला के घर जाकर स्थिति की जांच की। मोबाइल बंद कराकर ठगों से बचाव किया गया। साइबर टीम मामले की जांच कर रही है। पुलिस ने बताया कि डिजिटल अरेस्ट कोई वास्तविक खतरा नहीं है। इंदौर पुलिस द्वारा लगातार डिजिटल अरेस्ट और सायबर क्राइम के प्रति जागरूकता के लिए चलाई जा रही मुहिम का असर अब दिखा है।
इस तरह धमकाया था महिला को
इंदौर तुकोगंज में रहने वाली सेन्ट्रल स्कूल की रिटायर्ड प्रिंसिपल नंदनी चिपलूणकर को एक कॉल आया। कॉल महिला का था, उसने कहा कि वह ट्राई की अधिकारी है और सिम बंद की जा रही है। कारण पूछा तो कोलाबा स्टेशन फोन ट्रांसफर किया और यहां किसी डीसीपी अनंत कुमार के नाम से बात की गई और कहा कि आपका जेट एयरवेट के नरेश गोयल से पहचान है और इससे आपके खाते में राशि का लेन-देन हुआ। उन्हें धमकाया गया और वीडियो कॉल पर लेते हुए कमरे से बाहर जाने से मना कर दिया।
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एक करोड़ जमा करने का बनाया दबाव
नंदनी डर गई और खुद को कमरे में बंद कर लिया। ठगों ने उनसे बचने के लिए 1 करोड़ खाते में डालने के लिए कहा। उन्होंने दबाव में अकाउंट में जमा 52 लाख और 50 लाख की एफडी तुड़वा कर रुपए ट्रांसफर करने की बात कही। वह एफडी तुड़वाने एसबीआई बैंक पहुंची। यहां मैनेजर गीतांजलि गुप्ता ने इतनी बड़ी राशि अचानक ट्रांसफर करने की बात पर शंका होने से सर्वर डाउन होने की बात करते हुए नंदनी को टाल दिया। इसके बाद एडिशनल डीसीपी राजेश दंडोतिया को फोन कर दिया।
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क्राइम ब्रांच पहुंची घर
इसके बाद एडिशनल डीसीपी दंडोतिया महिला के घऱ पहुंचे और उनसे बात कर पूरी जानकारी ली। फिर उनका मोबाइल स्विच आफ करा दिया। जैसे ही आन किया तो रविवार को फिर काल आने लगे। एडिशनल डीसीपी रविवार को उनके घर पहुंचे ओर उन्हें समझाया कि डिजिटल अरेस्ट जैसी कोई चीज नहीं होती। दंपती की उम्र को देखते हुए घर से ही अज्ञात पर एफआईआर दर्ज की गई। क्राइम ब्रांच की साइबर टीम अब उन नंबरों की जानकारी निकाल रही है, जिनसे बुजुर्ग महिला को कॉल आए थे।
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