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इंदौरमें साइबर ठगों ने एक नई चाल चलते हुए फायनेंसर की पत्नी को ‘डिजिटल अरेस्ट’ कर लिया। ठगों ने खुद को ट्राई (TRAI) का अधिकारी और मुंबई पुलिस का अफसर बताकर महिला को करीब एक घंटे तक फोन और वीडियो कॉल पर रोके रखा। शुरुआत में महिला उन्हें असली पुलिस समझ बैठी, लेकिन पति की सतर्कता और एडिशनल डीसीपी राजेश दंडोतिया के हस्तक्षेप से पूरा मामला खुल गया। जैसे ही ठगों को पता चला कि मामला क्राइम ब्रांच तक पहुंच गया है, वे घबराकर कॉल काटकर भाग निकले।
इस तरह रचा गया पूरा जाल
बंगाली चौराहा स्थित आशीष नगर निवासी फायनेंसर सुदीप सिंह सूद की पत्नी मोनिका सूद को अचानक फोन आया। कॉल करने वाले ने खुद को ट्राई का अधिकारी बताया। ठग ने कहा कि उनकी सिम से अवैध गतिविधियां हो रही हैं। ठगों ने यह भी कहा कि मुंबई के कोलाबा थाने में इस मामले में 24 एफआईआर दर्ज हैं और कॉल को "पुलिस स्टेशन" ट्रांसफर करने का नाटक किया।
वीडियो कॉल पर पुलिसकर्मी बने ठग
ठगों ने महिला को वीडियो कॉल पर जोड़ा और खुद को पुलिस अफसर बताते हुए पूछताछ शुरू कर दी। इस दौरान वे बार-बार अपनी वर्दी को ठीक करने लगे। यह देखकर पति को शक हुआ। उन्होंने तुरंत अपने मित्र एडिशनल डीसीपी राजेश दंडोतिया से संपर्क किया और उन्हें कॉल पर जोड़ लिया।
एडिशनल डीसीपी जुड़ते ही भाग गए
जैसे ही ठगों ने सुना कि पति सीधे क्राइम ब्रांच के एडिशनल डीसीपी से बात कर रहे हैं, वे घबरा गए और कॉल तुरंत डिस्कनेक्ट कर दी। इसके बाद उन्हों दोबारा कॉल किया, लेकिन कॉल कनेक्ट नहीं हुई।
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करीब एक घंटे तक रखा ‘डिजिटल अरेस्ट’
एडिशनल डीसीपी दंडोतिया ने बताया कि ठगों ने महिला को करीब एक घंटे तक बातचीत में उलझाकर ‘डिजिटल अरेस्ट’ में रखा। जब महिला ने सिम के दुरुपयोग की बात मानने से इनकार किया तो ठगों ने आधार कार्ड के गलत इस्तेमाल की धमकी दी। वे लगातार तीन अलग-अलग नंबरों से कॉल कर रहे थे और वीडियो कॉल पर नकली पुलिसकर्मी बनकर दबाव बनाने की कोशिश कर रहे थे।