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BHOPAL. मध्य प्रदेश के इंदौर जिले में एक डॉक्टर और अस्पताल को महिला मरीज के इलाज में की गई लापरवाही परजिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोषण आयोग के अध्यक्ष बलराज कुमार पालोदा और सदस्यों ने दोषी मानते हुए लाखों रुपए हर्जाना देने का निर्णय सुनाया है। डॉक्टर और अस्पताल को 3 लाख रुपए ब्याज सहित, क्षति स्वरूप एक लाख और परिवाद का व्यय 25 हजार रुपए मरीज को देने होंगे । इस निर्णय में स्पष्ट तौर पर डॉक्टर और अस्पताल को मेडिकल नेग्लिजेंस ( Medical Negligence) का दोषी माना है।
मरीज की जान से खिलवाड़
जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोषण आयोग इंदौर में 29 जनवरी 2014 को धनवंतरी नगर इंदौर निवासी गौरव महाशब्दे और उनकी पत्नी रितुजा ने डॉ. नलिनी झवेरी और अरिहंत हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर इंदौर के विरुद्ध परिवाद प्रस्तुत किया था। इस परिवाद में परिवादियों ने डॉक्टर और अस्पताल पर आरोप लगाया था कि इलाज में लापरवाही की गई। जिसकी वजह से रितुजा महाशब्दे की जान खतरे में पड़ गई। जीवन संकट में होने की वजह से रितुजा को 27 जून 2013 की दरम्यानी रात आनन-फानन में ग्रेटर कैलाश अस्पताल में भर्ती कराया गया। इस अस्पताल में 3 लाख रुपए अतिरिक्त व्यय हुआ। इसके अलावा अन्य खर्च हुए और मानसिक तनाव भी, इसलिए परिवादी को आर्थिक और मानसिक कष्ट के लिए 10 लाख रुपए, अतिरिक्त व्यय 3 लाख और परिवाद व्यय के 2 लाख रुपए सहायता स्वरूप दिया जाना चाहिए।
उपभोक्ता फोरम का निर्णय
उपभोक्ता फोरम ने दोनों पक्षों को सुना और साक्ष्यों के आधार पर डॉ. नलिनी झवेरी और अरिहंत हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर को मेडिकल नेग्लिजेंस दोषी माना। उपभोक्ता फोरम ने डॉ. झवेरी और अरिहंत हॉस्पिटल को परिवादी को 3 लाख रुपए डिस्चार्ज की तरीख 4 जुलाई 2013 से एक माह में 12 प्रतिशत वार्षिक दर से ब्याज सहित , इसके अलावा 1 लाख रुपए क्षति स्वरूप, परिवाद का व्यय 25 हजार रुपए एक माह में परिवादी को देने के आदेश दिए हैं। यह राशि अगर प्रतिवादी नहीं देता है तो 6 प्रतिशत वार्षिक दर से ब्याज सहित देना होगा।
पूरा मामला जान लीजिए....
धनवंतरी नगर इंदौर निवासी गौरव महाशब्दे ने अपनी पत्नी रितुजा के लिए डॉ. नलिनी झवेरी जवाहर मेन रोड राज मोहल्ला इंदौर से गर्भधान के समय चिकित्सा सेवा ली थी। गर्भधान के समय से लेकर सिजेरियन ऑपरेशन तक रितुजा का ट्रीटमेंट डॉक्टर नलिनी झवेरी और अरिहंत हॉस्पिटल से हआ। रितुजा को 25 जून 2013 को भर्ती कराया गया था, जहां अस्पताल में 25 हजार रुपए की राशि जमा कराई गई थी। सर्जरी से पहले पीपीएच जांच ( Postpartum Hemorrhage Test ) नहीं कराई गई। 26 जून 2013 को रितुजा का सिजेरियन ऑपरेशन किया गया। इस ऑपरेशन से रितुजा ने बच्ची को जन्म दिया। ऑपरेशन के बाद रितुजा को अस्पताल के प्राइवेट वार्ड में शिफ्ट कर दिया गया, लेकिन अस्पताल के बाद से ही उसको लगातार रक्त रिसाव होता रहा। इसकी सूचना डॉक्टर झवेरी और अस्पताल को देने के बाद भी इस ओर ध्यान नहीं दिया गया। आखिरकार रितुजा की हालत खराब होती गई और 27 जुलाई 2013 की दरम्यानी रात जब उसकी हालत बहुत खराब हो गई तो डॉक्टर झवेरी ने अन्य अस्पताल ले जाने को कह दिया। परिजनों ने उसी समय रितुजा को ग्रेटर अस्पताल में भर्ती कराया, जिसके बाद मरीज को 22 पैकेट रक्त प्लाज्मा दिया गया। अथक प्रयास के बाद मरीज की जान बचाई गई।
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