इंदौर ईडी में बैंगलुरू के एक रसूखदार का केस बना गले की हड्डी, 144 करोड़ के मामले में चौतरफा दबाव

इंदौर ईडी के लिए 144 करोड़ के मनी लॉन्ड्रिंग केस में कर्नाटक के कारोबारी आसिफ थारा की गिरफ्तारी से हड़कंप मच गया है। जमानत याचिका खारिज होने के बाद मामला हाईकोर्ट इंदौर में पहुंच गया है।

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Sanjay gupta
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इंदौर ईडी (प्रवर्तन निदेशालय ED) के लिए एक हाईप्रोफाइल केस गले की हड्डी बन गया है। यह मामला 144 करोड़ के मनी लॉंड्रिंग केस का है। इसमें ईडी से लेकर हर संस्था, एजेंसी पर इस बात के लिए दबाव आ रहा है कि आरोपी की जमानत की जाए। आरोपी दिल्ली में बड़े स्तर पर संबंध रखने वाला बताया जाता है। 

मजे की बात यह है कि इसकी गिरफ्तारी इंदौर ईडी ने नहीं बल्कि दिल्ली एसटीएफ ने की है और इसे इंदौर ईडी के हवाले कर दिया। इस रसूखदार की गिरफ्तारी से बैंगलुरू से लेकर दिल्ली तक बड़े सत्ता गलियारों में हड़कंप मच गया है। इसकी आंच सीधे-सीधे इंदौर ईडी को लग रही है। रसूखदार की जमानत ईडी कोर्ट से खारिज हो चुकी है, अब नजरें हाईकोर्ट इंदौर पर है। जमानत होगी या नहीं दोनों ही मामलों में कई बड़े लोगों की सांसे अटकी हुई है।

कौन है रसूखदार

यह रसूखदार है कर्नाटक बैंगलुरू के बड़े मसाला कारोबारी आसिफ पिता हनीफ थारा। इनकी कंपनी का नाम यूनिक ट्रेडर्स है। इन्हें 3 अक्टूबर को दिल्ली एसटीएफ ने गिरफ्तार किया और फिर इसे ईडी इंदौर के हवाले कर दिया। कारण है कि इस पर केस ग्वालियर जिले के मुरार थाने में धोखाधड़ी का केस दर्ज हुआ है और क्षेत्र ईडी इंदौर के दायरे में आता है। इसे जेल भेज दिया गया है। इसकी जमानत याचिका ईडी स्पेशल कोर्ट इंदौर में लगी थी, जिसे खारिज कर दिया गया है। अब मामला हाईकोर्ट इंदौर में अपील के लिए जाएगा। 

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क्या है पूरा केस, ग्वालियर कहां से आया

आसिफ पर आरोप है कि उसने अपने ही कंपनी के कर्मचारियों के नाम पर नौ बोगस संस्थाएं, कंपनी बनाई और तुर्की व चाइना से तय मानकों से अधिक खसखस (पॉपी सीड्स) का आयात किया। इसके जरिए उसने 144 करोड़ का अवैध रूप से मुनाफा कमाया। आयात के लिए बोगस कंपनियों ने लाइसेंस सेंट्रल ब्यूरो नारकोटिक्स (सीबीएन) ग्वालियर से लिया था। इसके चलते ग्वालियर के मुरार थाने में साल 2023 में केस दर्ज हुआ। इसमें दिल्ली एसटीएफ जांच कर रही है। इसी एफआईआर के आधार पर उस पर मनी लाण्ड्रिंग एक्ट में केस दर्ज किया गया है। 

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जमानत के लिए केजरीवाल, सिसौदिया का दिया उदाहरण

आसिफ थारा ने अपनी जमानत के लिए इंदौर की ईडी कोर्ट में तर्क के तौर पर दिल्ली के पूर्व सीएम अरविंद केजरीवाल और पूर्व डिप्टी सीएम मनीष सिसौदिया के केस का उदाहरण दिया। इसमें कहा गया कि उन्हें भी जमानत मिल गई है। मैं भी जमानत का हकदार हूं। लेकिन कोर्ट ने यह कहते हुए जमानत खारिज कर दी कि मामला 144 करोड़ रुपए का है और दो दिन पहले ही तीन अक्टूबर को वह गिरफ्तार हुआ है, जांच जारी है, इसलिए जमानत आवेदन निरस्त किया जाता है। 

अक्टूबर 2022 में हो चुका है छापा

इस मामले में एसटीएफ नई दिल्ली लंबे समय से जांच कर रही है। एक अक्टूबर 2022 को उसके यहां छापा भी हुआ था। बैंगलुरू से लेकर दिल्ली तक उसका एक केस उसी दौरान दोहा जाने का भी चर्चित हुआ था। वह अपने बेटे आदिल के साथ दोहा फुटबाल वर्ल्ड कप देखने जा रहा था। उसे बैंगलुरू एयरपोर्ट पर रोका गया था, फिर उसे सशर्त जाने की मंजूरी कर्नाटक हाईकोर्ट से मिली। लेकिन फिर उसने शर्तों का पालन नहीं किया और मामला सुप्रीम कोर्ट तक गया था। अब उसकी गिरफ्तारी हुई है तो फिर बैंगलुरू से लेकर दिल्ली तक हड़कंप मच गया है और आंच इंदौर तक आ रही है।

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