इंदौर नगर निगम के 150 करोड़ रुपए के फर्जी बिल घोटाले में अब ईडी की जांच एक कदम और आगे बढ़ गई है। सभी आरोपियों के खिलाफ मनी लॉन्डरिंग का केस दर्ज करने और फिर छापे मारकर दस्तावेज जब्त करने के बाद अब ईडी ने आरोपियों से पूछताछ शुरू कर दी है।
जेल में जाकर राठौर से आठ घंटे तक पूछताछ
इस मामले में ईडी ने हाल ही में जेल में बंद इस घोटाले के प्रमुख आरोपी बताए जाने वाले इंजीनियर अभय राठौर के बयान लिए और लंबी पूछताछ की। यह पूछताछ छोटी-मोटी नहीं थी, यह सुबह 11 बजे करीब शुरू हुई तो शाम करीब 7 बजे खत्म हुई। पूरे आठ घंटे की पूछताछ राठौर से की गई।
यह सवाल पूछे गए, राठौर ने बड़ों के नाम लिए
इस घोटाले को लेकर ईडी ने राठौर से कई सवाल किए, खासकर घोटाले में उसकी संलिप्तता किस तरह से थी। उसे ठेकेदार किस तरह से उसका हिस्सा देते थे, यह राशि का वह किस तरह और कहां पर उपयोग करता था। इससे किस तरह की संपत्तियां खरीदी गईं। यह सांठगांठ कब से चल रही थी और इसमें साथ में कौन शामिल रहा है। वहीं, सूत्रों के अनुसार राठौर ने अपनी संलिप्पता से इनकार किया और नगर निगम के अन्य इंजीनियर, बड़े अधिकारियों को घेरा और उनका नाम लिया। कहा गया कि इन्होंने ही फाइल पर हस्ताक्षर करते हुए ठेकेदारों को भुगतान किया और भ्रष्टाचार किया। अब इसमें खुलासा होने पर मुझे फंसाया जा रहा है।
जेल में बंद अन्य आरोपियों से तीन-चार घंटे की पूछताछ
इसके साथ ही जेल में बंद अन्य आरोपियों से भी ईडी ने औसतन 3 से 4 घंटे तक की पूछताछ की है। हालांकि अधिकांश आरोपियों ने खुद को पाक साफ बताते हुए अन्य का नाम लिया। वहीं, ठेकेदारों ने माना कि यह काम वह इंजीनियर राठौर के कहने पर करते थे और उन्हें तो केवल कमीशन मिलता था बाकी राशि वह निकालकर उन्हें देते थे जिसे वह अन्य को देते थे।
नेता प्रतिपक्ष का दावा, 40 करोड़ का खेल रोका
उधर इंदौर नगर निगम में नेता प्रतिपक्ष चिंटू चौकसे ने दावा किया कि कांग्रेस ने 465 करोड़ रुपए के टेंडर में 40 करोड़ रुपए का खेल पकड़ा है। इसके बाद नगर निगम के द्वारा इस टैंडर को कैंसिल किया गया है। शहर के हित में ठेकेदारों की रिंग को तोड़ना जरूरी है। चौकसे ने कहा कि केंद्र सरकार के आर्थिक सहयोग से इंदौर में निर्मित होने वाली मास्टर प्लान की सड़कों में ठेकेदारों ने रिंग बनाकर खेल कर दिया है। नगर निगम के द्वारा इन सड़कों का निर्माण चार पैकेज में बनाकर करने का फैसला लिया गया था। निगम के द्वारा जब इसके टेंडर जारी किए गए तो ठेकेदारों ने आपस में एकता बनाकर टेंडर डाल दिए। हर पैकेज में मात्र दो टेंडर आए। चार पैकेज में कुल मिलाकर चार कंपनियों के टेंडर ही आए। ऐसे में नगर निगम के लिए यह मजबूरी हो गया था कि वह इन चारों कंपनियों को एक-एक पैकेज का काम सौंप दे।
इन ठेकेदारों के द्वारा एसओआर से 7 से 10% ज्यादा राशि में यह काम करने का प्रस्ताव दिया गया। इस तरह से नगर निगम के खजाने से 40 करोड़ रुपए से ज्यादा की राशि हासिल करने का खेल जमाया गया था। इस खेल में नगर निगम के अधिकारी और परिषद के पदाधिकारी भी शामिल थे। उन्होंने कहा कि निगम में 40 करोड़ रुपए का खेल मेरे द्वारा पकड़े जाने के कारण मजबूरी में कल इस टेंडर को कैंसिल किया गया है। अब नगर निगम के द्वारा री टेंडर किया जाएगा।
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