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इंदौर आबकारी विभाग में 2017 में हुए 71 करोड़ रुपए के घोटाले में ईडी (ED) ने सोमवार को छापेमारी की। इंदौर में 18 टीम अलग-अलग जगह पर पहुंची है। वहीं भोपाल और जबलपुर में भी टीम गई है। इसमें ठेकेदार के साथ ही आबकारी अधिकारी निशाने पर हैं। इनके यहां टीम गई है। इस मामले में पहले सस्पेंड हुए सहायक आयुक्त आबकारी संजीव दुबे जो मार्च में ही जबलपुर में पदस्थ हुए उनके सहित आधा दर्जन अधिकारी मुश्किल में आ गए हैं। साथ ही 14 शराब ठेकेदार भी घिर गए हैं।
घोटाले की जांच में यह अधिकारी घिरे
घोटाला उजागर होने पर विभाग ने तत्कालीन उपायुक्त विनोद रघुवंशी को ट्रासंफर कर दिया था। साथ ही सहायक आबकारी आयुक्त संजीव दुबे, लसूड़िया आबकारी वेयरहाउस के प्रभारी डीएस सिसोदिया, महू वेयर हाउस के प्रभारी सुखनंदन पाठक,सब इंस्पेक्टर कौशल्या सबवानी, हेड क्लर्क धनराज सिंह परमार और अनमोल गुप्ता को सस्पेंड किया था।
इसके साथ ही इंदौर में 3 साल से अधिक समय से जमे 20 अधिकारियों और बाबुओं का ट्रांसफर कर दिया था। हालांकि सभी अधिकारी बहाल हो गए हैं और इन सभी की विभागीय जांच जारी है। इस जांच को रोकने के लिए दुबे हाईकोर्ट भी गए थे लेकिन हाईकोर्ट ने साफ आदेश दिए कि उनकी संलप्तिता से इंकार नहीं किया जा सकता है इसलिए जांच जारी रहेगी।
ईडी यह कर रही है
ईडी ने जून 2024 में यह जांच हाथ में लेने गे बाद जांच शुरू करते हुए सबसे पहले ग्वालियर आबकारी आयुक्त से केस से जुड़ी कई जानकारियां मांगी थी। रावजी बाजार पुलिस स्टेशन में केस नंबर 172/2017 के तहत 11 अगस्त 2017 को यह केस दर्ज हुआ है।
ईडी इनके यहां पहुंची
ईडी की टीम शराब ठेकेदार एमजी रोड समूह के अविनाश और विजय श्रीवास्तव, जीपीओ चौराहा ग्रुप के राकेश जायसवाल, तोपखाना समूह के योगेंद्र जायसवाल, बायपास चौराहा देवगुराड़िया समूह राहुल चौकसे, गवली पलासिया समूह सूर्यप्रकाश अरोरा, गोपाल शिवहरे, लवकुश और प्रदीप जायसवाल के ठिकानों पर पहुंची है।
ईडी ने मांगी थी ये जानकारी
- सभी ठेकेदारों की जानकारी जिनके कारण मप्र शासन को नुकसान हुआ
- अभी तक किस आरोपी से कितनी राशि रिकवर हुई इसकी जानकारी
- इन सभी ठेकेदारों के खातों की जानकारी
- अभी तक केस की स्थिति की अपडेट
- विभाग की आंतरिक जांच रिपोर्ट जो अधिकारियों को लेकर की गई है
केवल 22 करोड़ की राशि ही वसूल सका था विभाग
इस मामले में घोटाले सामने आने के बाद विभाग ने ठेकेदारों से वसूली की कार्रवाई शुरू की थी लेकिन आबकारी विभाग सब प्रयासों के बाद भी केवल 22 करोड़ के करीब ही राशि वसूल कर सका था। इसमें आरोप लगे थे कि विभाग के अधिकारियों ने मिलीभगत कर ठेकेदारों को इसमें लाभ पहुंचाया है। इसमें 14 शराब ठेकेदार भी आरोपी बने थे।
इस तरह किया गया खेल
इस खेल में चालानों में राशि का हेरफेर कर घोटाला किया गया। यह साल 2014 से 2017 के बीच हुआ। यदि चालान एक हजार का है तो इसे एक लाख बताकर दिखाया गया और शराब उठाई गई। इस तरह सैंकड़ों चालानों के जरिए यह फर्जीवाडा किया गया और नीचे से लेकर ऊपर तक आबकारी अधिकारियों ने कभी चालानों को चेक तक नहीं कि इंदौर में हुए 42 करोड़ के आबकारी घोटाले में विभाग ने करीब डेढ़ साल बाद यहां पदस्थ 11 सहायक आबकारी अधिकारी और आठ आबकारी उप निरीक्षक की विभागीय जांच शुरू की है। घोटाले के दौरान सभी अफसर इंदौर में पदस्थ थे। विभाग ने माना, इन लोगों की लापरवाही के कारण ही इतना बड़ा घोटाला हुआ, इसलिए इनकी भी विभागीय जांच होनी चाहिए।
6 अफसरों को सस्पेंड किया था
घोटाला उजागर होने पर छह अफसरों को सस्पेंड किया गया था, अब सभी बहाल हो चुके हैं। हालांंकि, विभाग काफी हाथ-पैर मारने के बाद भी अब तक 42 करोड़ में से सिर्फ 21.86 करोड़ ही वसूल पाया है। अगस्त 2017 में आबकारी विभाग में आबकारी घोटाला सामने आया था। सहायक आबकारी आयुक्त संजीव दुबे के कार्यकाल के दौरान फर्जी रसीदों के माध्यम से घोटाला हुआ था। पहले करीब 15-16 करोड़ का घोटाला सामने आया, जब उपायुक्त ने जांच की तो पता चला कि 3 साल में विभाग को 42 करोड़ का चूना लगा है। विभाग ने आनन-फानन में रावजीबाजार थाने में 14 लोगों के खिलाफ एफआइआर दर्ज कराई थी। इसमें से 12 शराब ठेकेदार व दो राजू दशवंत व अंश षड्यंत्रकारी माने गए थे।
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बहाल अफसरों की जांच आगे नहीं बढ़ी
घोटाला उजागर होने पर विभाग ने तत्कालीन सहायक आबकारी आयुक्त संजीव दुबे, सहायक आबकारी अधिकारी डीएस सिसोदिया, एसएन पाठक, उप निरीक्षक कौशल्या सबनानी, क्लर्क धनराजसिंह व अनमोल गुप्ते को सस्पेंड किया था। सभी बहाल हो चुके है।
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