इंदौर श्री गुरुसिंघ सभा में प्रधान मोनू भाटिया के काम से बिगड़ा माहौल, पैनल दो फाड़, सतबीर का इस्तीफा

इंदौर श्री गुरुसिंघ सभा में हाल ही में प्रधान मोनू भाटिया की कार्यशैली पर विवाद उठे हैं। उनके नेतृत्व में कमेटी के अंदर घमासान मचा हुआ है। क्या है पूरा मामला...चलिए बताते हैं

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Sanjay Gupta
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Indore Guru Singh Sabha Internal Disputes and Resignation Monu Bhatia Leadership Under
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इंदौर श्री गुरुसिंघ सभा की नई कमेटी बने हुए 10 माह ही हुए हैं और खालसा पैनल में दो फाड़ होने लगी है। कमेटी के प्रधान यानी अध्यक्ष हरपाल उर्फ मोनू सिंह भाटिया के एकला चलो की नीति और मनमर्जी के फैसलों से पहले ही अंदरूनी खटास पैदा हो गई थी। इसमें आग में घी का काम किया उनके द्वारा सभा की एक जमीन बेचने का प्रस्ताव पास करने का। इससे समाज में भारी गुस्सा है।

उधर उनके और सचिव प्रितपाल उर्फ बंटी सिंह भाटिया के बीच में भी पटरी नहीं बैठ रही है। हालत यह है कि उन्होंने सचिव को ही पत्र लिख दिया और उन्हें उनके अधिकार गिना दिए। इधर पैनल के गठजोड़ और जीत में अहम भूमिका निभाने वाले बॉबी छाबड़ा के भाई सतबीर सिंह छाबड़ा ने भी दो पन्नों का पत्र लिखकर मोनू भाटिया की पोल खोल दी और इस्तीफा दे दिया।

मोनू ने सचिव भाटिया के नाम यह लिखा पत्र

मोनू ने सुदामानगर और संतनगर की गुरुद्वारा समिति का गठन किया था, जो उन्होंने अपने हिसाब से किया और इसमें किसी से कोई बात नहीं की। इसके बाद सचिव भाटिया ने इसमें कुछ नाम जोड़ने का पत्र लिख दिया। इसी से नाराज होकर मोनू ने दो सितंबर को सचिव को गुस्से में एक पत्र लिख दिया। इसमें बाईलाज के 12 नियमों की जानकारी देते हुए सचिव को कहा कि समितियों में संशोधन करने का अधिकार उनके पास नहीं है। यह अधिकार प्रधान के पास है। इसलिए आपका संशोधन पत्र निरस्त किया जाता है। साथ ही प्रबंध समिति के प्रधानों को स्पष्ट निर्देश दिए जाते हैं कि वह मौजूदा समिति में किसी भी नए नाम को जोड़ने की मंजूरी नहीं दी जाएगी। भविष्य में अध्यक्ष की सहमति के बिना सचिव द्वारा इस तरह के पत्र जारी नहीं किए जाएं।

सतबीर सिंह छाबड़ा ने यह लिखा

उधर बॉबी छाबड़ा के भाई ने प्रधान मोनू भाटिया, सचिव प्रितपाल सिंह भाटिया के साथ ही खालसा पैनल की कोर कमेटी के नाम दो सितंबर को एक पत्र लिखा। इसमें अपने सभी दायित्वों से इस्तीफा देने की बात कही गई। वह अभी कमेटी मेंबर है। इसमें कहा गया है कि- समाज ने जिस उद्देश्य से चुना था और गुरुघर की सेवा के लिए भेजा था, लेकिन आपसी सामंजस्य नहीं बैठने का खामियाजा श्रीगुरुसिंघ सभा के हर सदस्य को भुगतना पड़ रहा है। समाज का हर व्यक्ति ठगा हुआ महसूस कर रहा है। प्रधान और सचिव के बीच में तालमेल बैठाने की जरूरत है। सभा का साख के साथ खिलवाड़ हो रहा है। इसके लिए 17 सदस्य भी दोषी हैं। इसके लिए मैंने 12 मार्च को भी पत्र लिखा था। अब बदनामी बर्दाश्त नहीं कर सकते हैं और ऐसे माहौल में काम करना संभव नहीं है। मैं गुरुघर और संगत को अपमानित होते नहीं देख सकता हूं। मुझे माफी दें, सभी एक-दूसरे को नीचा दिखाने में लगे हैं।

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जिसके समर्थन से जीते, उन्हें किया दूर

मोनू भाटिया ने चुनाव के पहले रिंकू भाटिया और बॉबी छाबड़ा दोनों के पास जा-कर अपने साथ मिलकर चुनाव लड़ने और खुद को प्रधान का उम्मीदवार घोषित कराने की गुहार लगाई थी। आखिरकार बॉबी की खालसा पैनल ने मोनू को प्रधान पद के लिए हरी झंडी दी और खुद को पीछे किया। उनके पैनल की समाज में खासी पकड़ है इसका सीधा फायदा मोनू को मिला और एकतरफा पैनल जीतकर आई।

चुनाव के समय भी जमकर उनकी उम्मीदवारी पर ही संकट था तब भी जमकर मदद हुई और वह उम्मीदवारी बच गई। लेकिन कुछ ही समय बाद मोनू ने पैनल को छोड़कर खुद की राह पकड़ना शुरू कर दिया और प्रधान होने के नाते अकेले फैसले शुरू कर दिए। इससे पैनल के बीच में जमकर घमासान शुरू हो गया और हालत यह है कि समाज के बेहतरी के लिए काम होने ही बंद हो गए हैं। समिति गठन में भी वह अपनी मनमर्जी चला रहे हैं। इसके चलते अब पैनल से इस्तीफे भी शुरू हो गए हैं।

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