इंदौर हाई कोर्ट का अहम फैसला- पत्नी तलाक लेने के बाद केवल मेंटनेंस के भरोसे नहीं रह सकती, पढ़ी-लिखी है और काम करने में सक्षम तो काम करे

मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने कहा कि केवल भरण-पोषण राशि से जीवन यापन के भरोसे नहीं रहे पत्नी, यदि पढ़ी लिखी है, शादी के पहले काम करती थी और शादी के बाद भी काम करती थी और कर सकती है तो काम करना चाहिए...

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Sanjay gupta
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INDORE. इंदौर हाईकोर्ट ने तलाक के बाद पत्नी और पति के बीच भरण पोषण की राशि को लेकर होने वाले विवादों को लेकर अहम फैसला दिया है। हाईकोर्ट ने कहा है कि केवल भरण-पोषण राशि से जीवन यापन के भरोसे नहीं रहे पत्नी, यदि पढ़ी लिखी है, शादी के पहले काम करती थी और शादी के बाद भी काम करती थी और कर सकती है तो काम करना चाहिए। मेंटनेश राशि जीवनयापन का आधार नहीं हो सकता है। 

हाईकोर्ट ने मेंटनेंस राशि भी घटा दी

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साथ ही इस मामले में कुटुंब न्यायालय द्वारा तय की गई मेंटनेंस राशि 60 हजार रुपए प्रति माह को भी घटाकर 40 हजार रुपए कर दिया गया है। अधिवक्ता रजत रघुवंशी ने बताया कि यह मील का पत्थर बनेगा, इसमें सीआरपीसी की धारा 125 के तहत मेंटनेस राशि को लेकर काफी अहम बात माननीय कोर्ट ने कही है।

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यह है विवाद

विवादित केस में महिला और पुरुष के बीच 2003 में विवाह हुआ और फिर दोनों दुबई शिफ्ट हुए। यहां दोनों नौकरी करते थे. बाद में विवाद होने पर 2015 में महिला इंदौर लौट आई। बाद में 2019 में मेंटनेंस के लिए महिला ने केस लगाया जिसमें 60 हजार प्रतिमाह तय हुआ। लेकिन महिला इससे संतुष्ट नहीं हुई और हाईकोर्ट में रिवीजन याचिका लगाई। इसी तरह पुरूष भी हाईकोर्ट गया और इस राशि को अत्यधिक बताया। आखिर में दोनों की याचिकाओं को एक साथ सुना गया और इसमें यह फैसला दिया गया।

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