सरकारी स्कूल कोटे में MBBS सीट की मांग वाली याचिका पर हाईकोर्ट ने की यह टिप्पणी

मध्‍य प्रदेश हाईकोर्ट की इंदौर बेंच ने सरकारी स्कूल कोटे में MBBS सीट के लिए उम्मीदवार की याचिका खारिज कर दी है। कोर्ट ने कहा याचिकाकर्ता ने यूआर-जीएस श्रेणी के खिलाफ प्रवेश का दावा करने के लिए पहले अदालत का दरवाजा नहीं खटखटाया।

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Vikram Jain
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Indore High Court rejects the petition of the candidate for MBBS seat
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इंदौर हाईकोर्ट ने सरकारी स्कूल कोटे से MBBS सीट की मांग वाली मेडिकल उम्मीदवार की याचिका को खारिज कर दिया है। कोर्ट ने कहा कि उम्मीदवार ने याचिका देर से दाखिल की है। याचिकाकर्ता ने यूआर-जीएस श्रेणी के खिलाफ प्रवेश का दावा करने के लिए जल्द से जल्द अदालत का दरवाजा नहीं खटखटाया गया, समय पर संपर्क करने वाले 7 उम्मीदवारों को विस्थापित नहीं कर सकते है। इन उम्मीदवारों की सीटें सुप्रीम कोर्ट ने सुरक्षित की है। 

सरकारी स्कूल कोटा से मांगी थी MBBS सीट

मेडिकल उम्मीदवार ने याचिका दायर करते हुए वर्तमान शैक्षणिक सत्र में 5 प्रतिशत सरकारी स्कूल कोटा के तहत MBBS में सीट देने की मांग की गई थी, उम्मीदवार ने दावा किया था कि उसके NEET-UG 2023 स्कोर ने उसे आगामी शैक्षणिक सत्र में सीट का हकदार बनाया है। उम्मीदवार का दावा था कि वह समान कोटा के तहत एडमिशन पाने वाले 7 अन्य उम्मीदवारों की तुलना में अधिक मेधावी हैं।  

समय पर नहीं किया अदालत से संपर्क

जस्टिस विवेक रुसिया और जस्टिस विनोद कुमार द्विवेदी की बेंच ने याचिका खारिज करते हुए कहा कि याचिका दायर करने वाले उम्मीदवार ने NEET-UG एग्जाम 2023 में भाग लिया और OBC श्रेणी में 720 में से 359 अंक हासिल किए, हालांकि उसने सरकारी स्कूल कोटा के खिलाफ UR-GS (अनारक्षित श्रेणी के सरकारी स्कूल) सीटों में प्रवेश का दावा करने के लिए हाईकोर्ट या सुप्रीम कोर्ट से संपर्क नहीं किया। ऐसे में समय पर संपर्क करने वाले उम्मीदवारों को विस्थापित नहीं किया जा सकता।

सात उम्मीदवारों के पक्ष किया सुप्रीम कोर्ट ने फैसला

अदालत ने कहा कि केवल 7 उम्मीदवारों ने याचिका दायर की थी, अंतरिम राहत देने से इनकार के के बाद विशेष अनुमति याचिका में सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। जहां कोर्ट ने 12 अगस्त को अंतरिम आदेश पारित कर निर्देश दिया कि एसएलपी में अपील करने वाले सात उम्मीदवारों के सफल होने पर सीटें खाली रखी जाएं। इसके बाद शीर्ष अदालत ने 20 अगस्त को एसएलपी (रामनरेश @ रिंकू कुशवाह और अन्य बनाम एमपी राज्य और अन्य 2024) को निर्देश देते हुए अनुमति दी कि उम्मीदवारों को अगले शैक्षणिक सत्र 2024-25 में MBBS के लिए UR-GS श्रेणी के लिए आरक्षित सीटों के खिलाफ प्रवेश दिया जाए।

निर्देश देते है तो किसी एक को नहीं मिलेगी सीट

हाईकोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता ने साल 2023 में अदालत का दरवाजा नहीं खटखटाया। इसके बाद शैक्षणिक सत्र 2024-25 के लिए नीट परीक्षा पूरी हो गई है। 7 उम्मीदवारों ने समय पर हाईकोर्ट फिर सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया और उनके लिए अगले सत्र 2024-25 में सात सीटें खाली रखकर अंतरिम सुरक्षा प्रदान की गई। अगर याचिकाकर्ता को अगले शैक्षणिक सत्र में उन 7 उम्मीदवारों के साथ एडमिशन के निर्देश देते है तो सात में से किसी एक को सीट नहीं मिलेगी। विचाराधीन सात सीटें पहले से ही उम्मीदवारों द्वारा सुरक्षित की गई थीं। 

अदालत ने कहा कि वर्तमान याचिकाकर्ता के पक्ष में इस तरह के किसी भी निर्देश या अंतरिम राहत के अभाव में, याचिकाकर्ता के दावे पर इस देर से विचार नहीं किया जा सकता है। प्रतिवादियों को उन 07 उम्मीदवारों के साथ समानता में याचिकाकर्ता के दावे पर विचार करने के लिए कोई निर्देश जारी नहीं किया जा सकता है। जिनके लिए अंतरिम आदेश के माध्यम से शीर्ष अदालत ने 7 सीटों को खाली रखने का निर्देश दिया था।

दरअसल, ओबीसी नॉन-क्रीमी लेयर श्रेणी से संबंधित धारा सिंह ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर दावा था कि उसने सातों उम्मीदवारों से ज्यादा अंक हासिल किए हैं इसलिए वह MBBS पाठ्यक्रम में शैक्षणिक सत्र 2024-25 में प्रवेश का हकदार है। सरकारी स्कूल से अपनी स्कूली शिक्षा पूरी की थी। वह नीट-यूजी 2023 परीक्षा के लिए उपस्थित हुआ था। जिसमें 720 में से 359 अंक हासिल किए थे। वह ओबीसी श्रेणी या सरकारी स्कूल कोटा के तहत प्रवेश सुरक्षित नहीं कर सका। दावा किया था कि वह समान कोटा के तहत प्रवेश पाने वाले सात अन्य उम्मीदवारों की तुलना में अधिक मेधावी हैं। उम्मीदवार ने याचिका दायर कर शैक्षणिक सत्र 2024-25 में MBBS पाठ्यक्रम में एडमिशन पाने के लिए निर्देश देने की मांग की थी।

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