ESB की सुपरवाइजर भर्ती परीक्षा को लेकर हाईकोर्ट का आया अहम आदेश
इंदौर हाईकोर्ट ने महिला व बाल विकास विभाग की सुपरवाइजर भर्ती परीक्षा में हुए नियम बदलाव को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई की। कोर्ट ने भर्ती को अंतिम आदेश के अधीन रखा। याचिकाकर्ताओं को इस मामले में राहत दी गई है।
INDORE. कर्मचारी चयन मंडल (ईएसबी) द्वारा ली गई महिला व बाल विकास विभाग के सुपरवाइजर भर्ती परीक्षा को लेकर मामला हाईकोर्ट चला गया है। इंदौर हाईकोर्ट ने इस मामले में सुनवाई के बाद भर्ती को अंतिम आदेश के अधीन करते हुए याचिकाकर्ताओं को राहत दी है।
यह है मामला
कर्मचारी चयन मंडल भोपाल द्वारा पर्यवेक्षक के पद पर नियुक्ति हेतु विज्ञप्ति जारी कर परीक्षा आयोजित कराई गई थी। परीक्षा हेतु आवेदन करने की अंतिम तिथि बीत जाने के पश्चात कर्मचारी चयन मंडल द्वारा अपने विभागीय नियम में संशोधन कर चयन सूची जारी करने संबंधी नियमों में परिवर्तन कर दिया गया।
इससे जिन अभ्यर्थियों को ज्यादा अंक प्राप्त हुए हैं वह चयन सूची में अपना स्थान प्राप्त नहीं कर पाए थे तथा उनसे कम अंक प्राप्त करने वाले अभ्यर्थियों का नाम चयन सूची में आ गया। इसे लेकर चयनित नहीं होने वाले उम्मीदवारों ने अधिवक्ता जयेश गुरनानी के जरिए याचिका दायर की थी।
5 पॉइंट्स में समझें ESB सुपरवाइजर भर्ती परीक्षा से जुड़ी यह खबर...
👉 हाईकोर्ट में याचिका दायरः महिला व बाल विकास विभाग के सुपरवाइजर भर्ती परीक्षा में नियमों में बदलाव के खिलाफ याचिका दायर की गई। कर्मचारियों ने आरोप लगाया कि उन्हें अधिक अंक मिलने के बावजूद चयन सूची में जगह नहीं मिली और कम अंक प्राप्त करने वाले उम्मीदवारों का नाम आ गया।
👉 नियमों में बदलावः कर्मचारी चयन मंडल (ईएसबी) ने नियमों में संशोधन किया था, जिसके तहत 50% पद संविदा कर्मियों के लिए और 10% पद पुरुषों के लिए आरक्षित कर दिए गए थे। इस बदलाव का विरोध करते हुए याचिका दायर की गई थी।
👉 संविधानिक मुद्दे का उठाया गया सवालः याचिका में यह तर्क रखा गया कि संविदा कर्मियों के लिए आरक्षण देना गलत है क्योंकि वे पहले से नौकरी कर रहे हैं, और संविधान में पुरुषों के लिए आरक्षण का प्रावधान नहीं है।
👉 हाईकोर्ट की सुनवाईः हाईकोर्ट ने इस मामले की सुनवाई करते हुए सरकार और कर्मचारी चयन मंडल को नोटिस जारी किया। कोर्ट ने याचिका पर अंतरिम राहत दी है और पर्यवेक्षक के पदों पर नियुक्ति को रिट याचिका के अधीन रखा है।
👉 आगे की सुनवाईः इस मामले की आगे सुनवाई 28 जुलाई को की जाएगी, जिसमें यह तय किया जाएगा कि चयन प्रक्रिया के दौरान किए गए नियमों में बदलाव सही थे या नहीं।
यह किया था नियम में बदलाव
नए संशोधन से महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा 50% पर्यवेक्षक के पद संविदा कर्मी हेतु आरक्षित कर दिए गए थे तथा 10% पद पुरुष हेतु आरक्षित किए गए थे। परीक्षा प्रारंभ होने के पश्चात कर्मचारी चयन मंडल भोपाल द्वारा नियमों में किये गए संशोधन तथा संविदा कर्मी को दिए गए 50% आरक्षण एवं पुरुष को दिए गए 10% आरक्षण को चुनौती देते हुए याचिका दायर कर नए संशोधन और चयन सूची को चुनौती दी गई।
गुरनानी द्वारा याचिका में तर्क दिया गया कि आरक्षण कमजोर एवं पिछड़े वर्ग हेतु दिया जाता है परंतु संविदा कर्मी पहले से ही नौकरी कर रहे हैं जिसे समाज का कमजोर एवं पिछड़ा वर्ग नहीं कहा जा सकता । वहीं पुरुष हेतु संविधान में आरक्षण का कोई भी प्रावधान नहीं है इसीलिए उक्त नियम संविधान के विरुद्ध बनाए गए हैं। साथ ही विधि का सुस्थापित सिद्धांत है कि चयन प्रक्रिया शुरू होने के पश्चात नियमों में परिवर्तन नहीं किया जा सकता परंतु उक्त के पश्चात भी कर्मचारी चयन मंडल द्वारा परीक्षा के नियमों में बदलाव किया गया। इससे याचिकाकर्ता बाहर हो गए।
सभी पक्षकारों को नोटिस जारी
उक्त याचिका की सुनवाई हाईकोर्ट खंडपीठ इंदौर की डिवीजन बेंच द्वारा की गई तथा पैरवी अधिवक्ता जयेश गुरनानी द्वारा की गई। हाईकोर्ट ने आदेश पारित कर सरकार एवं कर्मचारी चयन मंडल को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है तथा यह अंतरिम राहत दी गई है कि पर्यवेक्षक के पदों पर नियुक्ति उक्त रिट याचिका के अधीन रहेगी।