इंदौर में किन्नरों के लिए व्यापारियों ने तय किया 200 रुपए नेग, विवाद बढ़ा तो व्यापारियों ने बैठक कर किया तय

इंदौर रिटेल गारमेंट्स एसोसिएशन के अध्यक्ष जैन ने बताया कि किन्नरों को नेग में 200 रुपए दिए जाने की पहल सबसे पहले हमारी एसोसिएशन द्वारा ही की गई थी।

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Vishwanath Singh
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Sourabh265
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 इंदौर में त्योहारों और मांगलिक आयोजनों के सीजन में किन्नरों द्वारा दुकानदारों और रहवासियों से मनमाने नेग की मांग को लेकर विवाद गहराता जा रहा है। शहर के व्यापारिक क्षेत्र रानीपुरा, नंदलालपुरा, राजवाड़ा, सराफा, कपड़ा मार्केट और कॉलोनियों में किन्नरों की मनमाना नेग वसूलने की घटनाएं सामने आई हैं। इसको देखते हुए नागरिकों और व्यापारियों ने नेग की राशि तय कर दी है।

200 रुपए फिक्स की राशि

राजवाड़ा, सराफा और रानीपुरा सहित कई क्षेत्रों के व्यापारियों ने हाल ही में इसको लेकर बैठक की थी। जिसमें  किन्नरों को 200 रुपए नेग देना तय किया है। वहीं, शहर के एक कॉलोनी हाई लिंक सिटी में रहवासियों ने 2100 रुपए की सीमा शादी या बच्चे के जन्म जैसे अवसरों पर तय की है। इसके लिए बाकायदा सूचना बोर्ड भी लगाए गए, लेकिन इसके बाद भी किन्नरों द्वारा कई जगहाें पर इन्होंने हंगामा किया, बोर्ड फाड़ दिए और महिलाओं से अभद्रता किए जाने के आरोप भी सामने आए हैं।

रेडिमेड गारमेंट्स एसोसिएशन ने की पहल

इंदौर रिटेल गारमेंट्स एसोसिएशन के अध्यक्ष अक्षय जैन ने बताया कि किन्नरों को नेग में 200 रुपए दिए जाने की पहल सबसे पहले हमारी एसोसिएशन द्वारा ही की गई थी। इसके बाद सुभाष चौक, जेल रोड़, मेहतानी मार्केट, रानीपुरा आदि क्षेत्र के व्यापारियों का भी हमें सहयोग मिला और वे भी हमारी इस मुहिम से जुड़ते चले गए। इसकी सूचना हमने संबंधित सराफा थाना को भी दे दी है। पिछले दिनों भी किन्नरों का एक गुट हमसे नेग मांगने आया था और काफी विवाद भी किया था। तब हमने उन्हें स्पष्ट शब्दों में कह दिया था कि आप लोग नेग ले रहे हो कोई टैक्स नहीं। यह नेग व्यापारी अपनी खुशी से आपको देता है इसको आप अपना अधिकार व टैक्स ना समझें। 

नकली किन्नरों से असली समुदाय भी परेशान

इस पूरे विवाद का एक अहम पहलू यह भी सामने आया है कि असली किन्नर समुदाय के कुछ सदस्य नकली किन्नरों की हरकतों से परेशान हैं। वे कहते हैं कि कुछ लोग किन्नर बनकर अवैध वसूली कर रहे हैं और समाज की छवि को खराब कर रहे हैं।

नेग को लेकर पहले भी हो चुके हैं विवाद

त्योहारों के दौरान विशेषकर होली, रक्षाबंधन और दिवाली में बाजारों में किन्नरों की टोलियां दुकानों पर पहुंचकर भारी-भरकम रकम की मांग करती हैं। जब दुकानदार तय राशि से ज्यादा देने से मना करते हैं तो विवाद की स्थिति बन जाती है। ऐसे ही मामलों से परेशान होकर रानीपुरा के व्यापारियों और मालगंज फुटवियर एसोसिएशन ने 200 रुपये प्रति दुकान नेग की सीमित राशि तय कर दी है।

हाई लिंक सिटी में पुलिस के सामने भी पहुंचा मामला

हाई लिंक सिटी में तो नेग की निर्धारित राशि की सूचना वाले बोर्ड लगाए जाने पर किन्नरों ने हंगामा कर दिया। बताया जा रहा है कि उन्होंने बोर्ड फाड़ दिया, एक रहवासी के ऊपर फूलदान फेंका और चेतावनी दी कि दोबारा ऐसा बोर्ड नहीं लगाएं। पुलिस को सूचना दी गई, लेकिन कोई सख्त कार्रवाई नहीं हुई।

महिलाओं से अभद्रता के आरोप

एक हालिया घटना में नंदलालपुरा के किन्नर एक शादी समारोह में पहुंचे और 51 हजार रुपए नेग की मांग की। परिवार द्वारा मना करने पर आरोप है कि उन्होंने शादी में मौजूद महिलाओं से दुर्व्यवहार किया। आखिरकार, परिजन को मनमानी रकम देनी पड़ी।

उत्तर प्रदेश सरकार का उदाहरण

उत्तर प्रदेश में सरकार ने इस तरह के विवादों से निपटने के लिए नियम बना दिए हैं। वहां शादी पर 1100 रुपए और बच्चा होने पर 500 रुपए नेग की सरकारी मान्यता प्राप्त राशि तय की गई है। साथ ही अधिक राशि मांगने या बदसलूकी करने पर 112 पर पुलिस में शिकायत करने का अधिकार भी नागरिकों को दिया गया है। 

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अब इंदौर में भी उठ रही है नियम की मांग

इन विवादों के बाद अब इंदौर में भी रहवासी और व्यापारी यह मांग कर रहे हैं कि राज्य सरकार उत्तर प्रदेश की तरह ही नेग की अधिकतम सीमा तय करे। ताकि त्योहारी अवसरों पर किन्नरों और आम लोगों के बीच कोई टकराव या विवाद न हो। कॉलोनियों में बोर्ड लगाने की प्रक्रिया भी अब धीरे-धीरे बढ़ रही है, जिससे लोग तयशुदा सीमा के अनुसार ही सहयोग करें।

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