इंदौर जुपिटर अस्पताल को नगर निगम के संपत्तिकर वसूली में राहत नहीं, हाईकोर्ट से याचिका खारिज

इंदौर के जूपिटर अस्पताल को नगर निगम से संपत्तिकर में राहत नहीं मिली है। हाईकोर्ट ने अस्पताल निदेशक डॉ. राजेश कासलीवाल की याचिका खारिज कर दी है।

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Sanjay Gupta
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इंदौर के जुपिटर अस्पताल को नगर निगम के संपत्तिकर वसूली से कोई राहत नहीं मिलेगी। इस मामले में इंदौर हाईकोर्ट ने जुपिटर हॉस्पिटल प्रोजेक्टस प्रा.लि. डायरेक्टर राजेश कासलीवाल की याचिका खारिज कर दी। इसके लिए अस्पताल प्रबंधन ने इंदौर से लेकर भोपाल तक एप्रोच की थी। जब भोपाल से भी राहत नहीं मिल पाई तो फिर हाईकोर्ट गया और यहां भी खारिज हो गया। द सूत्र ने 16 मई को इस पूरे मामले का खुलासा किया था। 

हाईकोर्ट में अस्पताल और निगम के यह रहे तर्क

हाईकोर्ट में अस्पताल प्रबंधन ने कहा कि पहले 10 फरवरी 2023 को संपत्तिकर बकाया जीरो दिखाया गया लेकिन 25 मार्च 2023 को यह एक करोड़ एक लाख रुपए बताया गया। निगम की वेबसाइट से हमारे अस्पताल भवन के विस्तार का नक्शा पास नहीं हो रहा है, बताया जा रहा है कि बिना प्रॉपर्टी टैक्स भरे यह नहीं होगा।

हाईकोर्ट में निगम ने बताया कि इस संबंध में पहले ही निगम में प्रस्ताव पास है कि बिना टैक्स ड्यू क्लियर किए नक्शा पास नहीं होगा और इसी के तहत सॉफ्टवेयर में भी प्रावधान है। टैक्स पहले जो जीरो बताया था उसका कारण था कि उस दौरान पोर्टल में तकनीकी दिक्कत थी, बाद में बकाया निकला है। 

हाईकोर्ट ने यह दिया आदेश

जस्टिस सुबोध अभ्यंकर ने सभी पक्ष सुनने के बाद याचिका खारिज कर दी। साथ ही आदेश में लिखा कि पोर्टल में तकनीकी त्रुटि के कारण टैक्स जीरो बताया था जो बाद में दूर कर ली गई। याचिकाकर्ता को सब साफ है कि कितना टैक्स देय है, इसलिए याचिका खारिज की जाती है। हालांकि यदि याचिकाकर्ता कानून के तहत बकाया टैक्स राशि भरता है या अपील समिति के सामने अपील कर भुगतान करता है तो नगर निगम बिना देरी के भवन अनुज्ञा का आवेदन मंजूर करेगा और शीघ्रता से कार्रवाई करेगा।

13 करोड़ की वसूली में राहत का पूरा मामला

जुपिटर हास्पिटल पर एक करोड़ नहीं बल्कि नगर निगम ने 13 करोड़ 3 लाख 62 हजार रुपए का संपत्तिकर का बकाया निकाला हुआ है। इस पर जुपिटर हास्पिटल प्रोजेक्ट प्रालि इंदौर के एमडी डॉ. राजेश कासलीवाल को आपत्ति है और उन्होंने इसके लिए निगम में अपील की। कासलीवाल ने आवेदन लगाया कि उन्हें अस्पताल विस्तार के लिए दो मंजिला और बनाना है तो इसके लिए मंजूरी दी जाए।

मंजूरी की फाइल भी चल गई। लेकिन मप्र शासन के भवन अनुज्ञा साफ्टेवयर एपीबीएएस टू में प्रावधान है कि यदि किसी पर संपत्तिकर बकाया है तो इसकी प्रक्रिया आगे ही नहीं बढेगी, यानी उनके पास संपत्तिकर बकाया नहीं ऐसा सर्टिफिकेट लगाना होगा। अब यह हो नहीं सकता था ऐसे में निगम में एक नई अनूठी फाइल भी चली।

इस तरह फिर दौड़ी राहत की फाइल

डॉ. कासलीवाल ने निगम को आवेदन दिया और कहा कि वह उनकी अपील का निर्धारण होने पर जो निगमायुक्त के पास लंबित है, टैक्स भर देंगे, लेकिन इसमे समय लग रहा है तो फिर उन्हें इस दौरान भवन अनुज्ञा की मंजूरी दी जाए। डॉ. कासलीवाल की बात मानते हुए नगर निगम ने भोपाल विभाग के लिए एक फाइल चलाई। अपर आय़ुक्त इंदौर ने भोपाल को पत्र लिखा कि साफ्टेवयर में ऐसा प्रावधान किया जाए कि बिना एनओसी की भवन अनुज्ञा मंजूर हो जाए, इससे टैक्स डिमांड पर कोई असर नहीं होगा।

भोपाल के अधिकारी जागे और यह बोल दिया

इस फाइल के आते ही भोपाल में अधिकारियों के कान खड़े हो गए अभी तक ऐसी कोई फाइल नहीं आई थी। उन्होंने तत्काल इससे इंकार करते हुए कहा कि इस तरह की राहत देने का कोई प्रावधान नियमों में नहीं है और बेहतर होगा कि निगम जुपिटर हास्पिटल की टैक्स अपील पर फैसला दे और टैक्स भरवाएं। इसके बाद अपने आप ही भवन अनुज्ञा हो जाएगी। इस तरह इंदौर और भोपाल से कासलीवाल को कोई राहत नहीं मिली। अब हाईकोर्ट से भी मामला खारिज हो गया। 

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जुपिटर हॉस्पिटल के बोर्ड में यह लोग शामिल

जुपिटर हॉस्टिपल मूल रूप से मुंबई का ग्रुप है। डॉ. राजेश कासलीवाल ने इंदौर में पहले विशेष हॉस्टिपल बनाया था और फिर जुपिटर के साथ टाइअप हुआ। डॉ. राजेश कासलीवाल डायरेक्टर जुपिटर हास्पिटल प्रोजेक्टस प्रालि इंदौर के पद पर है। वहीं वेबसाइट के अनुसार जुपिटर के बोर्ड आफ डायरेक्टर्स में डॉ. अजय प्रताप ठक्कर चेयरमैन और एमडी है, वहीं सीईओ और एक्जीक्यूटिव डायरेक्टर में डॉ. अंकित अजय ठक्कर है। नान एक्जीक्यूटिव डायरेक्टर में वीएस राघवन के साथ ही डॉ. भास्कर पी शाह, डॉ. दर्शन हीरालाल वोरा, डॉ. जास्मीन हीरालाल वोरा, डॉ. जास्मीन अमित पटेल, सतीश आर उटेकर, उर्मी अश्विन पोपट व अन्य हैं।

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