लसूडिया TI सोनी के खिलाफ हुए FIR आदेश पर हाईकोर्ट का स्टे, DCP को भी मिलेगी राहत, शासन से विरोध मे नहीं आई बड़ी दलील

ड्रिंक एंड ड्राइव केस में फर्जी चालान पेश करने के मामले में उलझे लसूडिया थाना प्रभारी तारेश सोनी को बहुत बड़ी राहत मिल गई है। उनके खिलाफ जिला कोर्ट द्वार दिए गए एफआईआर दर्ज करने के आदेश पर हाईकोर्ट इंदौर ने स्टे दे दिया है,

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Sanjay gupta
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ड्रिंक एंड ड्राइव केस में फर्जी चालान पेश करने के मामले में उलझे लसूडिया थाना प्रभारी तारेश सोनी को बहुत बड़ी राहत मिल गई है। उनके खिलाफ जिला कोर्ट द्वार दिए गए एफआईआर दर्ज करने के आदेश पर हाईकोर्ट इंदौर ने स्टे दे दिया है, साथ ही नोटिस देकर जवाब मांगा गया है। कोर्ट के आदेश पर स्टे होने से डीसीपी अभिनव विश्वकर्मा के साथ ही एसआई व अन्य पुलिसकर्मियों को भी राहत मिल जाएगी। हालांकि अभी इनकी याचिका पर सुनवाई होना बाकी है। लेकिन जिला कोर्ट के आदेश पर स्टे होने से अब सभी को इसमें राहत मिलेगी। इस सुनवाई के दौरान शासन पक्ष की ओर से कोई बड़ी औऱ् लंबी दलील नहीं दी गई।

टीआई की ओर से यह रखी गई बात

अधिवक्ता विभोर खंडेलवाल ने इस मामले में टीआई सोनी की ओर से पक्ष रखा। उन्होंने चालान में गलती को लेकर इसे मानवीय त्रुटि और टाइप एरर बताया। तीन चालान में बताया कि इसमें संबंधित व्यक्ति ने ही पकड़े जाने पर गलता नाम बताया और जब वह थाने पर आया तो सही नाम बताया, इसलिए इसे ठीक किया गया।

वहीं एक अन्य मामले में बताया कि इसमें टाइप एरर से पिता का नाम गलत बता दिया गया। यह भी बात कही गई कि खुद कोर्ट के आर्डर में भी मानवीय गलती हुई है, जिसमें कुलदीप बुंदेला का जिक्र किया है, जबकि इस नाम का व्यक्ति किसी भी चालान में था ही नहीं, तो ऐसा ऑफिशियल ड्यूटी करते समय होता है, जब मानवीय गलती हो जाती है। 

राज्य शासन से मंजूरी के बिना केस नहीं हो सकता

अधिवक्ता खंडेलवाल ने नियम 197 का भी हवाला दिया औऱ् कहा कि इस मामले में अधिकारियों पर सीधे केस दर्ज करने के आदेश दिए गए, जबकि बिना राज्य शासन की मंजूरी के आदेश हो ही नहीं सकता है। कोर्ट ने अपने क्षेत्राधिकार के परे जाकर यह आर्डर किया है। वैसै भी इस मामले में टीआई की सीधे भूमिका नहीं है और टीआई व उच्च अधिकारी को केवल इस मामले में आरोपी बनाने के आदेश हुए क्योंकि वह जांच अधिकारी एसआई लसूडिया थाने के थे।

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हाईकोर्ट ने दिया स्टे-

इस पूरे मामले में शासकीय अधिवक्ता ने मात्र 30 सेकंड ही सरकार का पक्ष रखा। जिला कोर्ट के आदेश के डिफेंस में ऐसी कोई लंबी बहस शासकीय अधिवक्ता की ओर से नहीं हुई। टीआई के अधिवक्ता की बात और तर्क सुनने के बाद हाईकोर्ट ने स्टे दे दिया।

इन अधिकारियों पर इस धाराओं में केस दर्ज करने के थे आदेश

कोर्ट में गलत दस्तावेज पेश करने, न्याय को प्रभावित करने वाला अपराध करने, कूटरचित दस्तावेज बनाने और पेश करने के चलते न्यायाधीश जय कुमार जैन ने एमजी रोड थाना को आदेश दिया था। डीसीपी 2 (अभिनव विश्वकर्मा), संबंधित थाना प्रभारी टीआई (तारेश सोनी) के साथ ही एसआई राहुल डाबर, नरेंद्र जायसवाल महेंद्र मकाले, सहायक उपनिरीक्षक राजेश जैन, कैलाश मार्सकोले, आरक्षक बेनू धनगर पर केस दर्ज किया जाए। इसमें धारा 200, 203, 467, 468, 465, 471 औऱ् 34 धाराएं लगाई जाए। न्यायाधीश जय कुमार जैन ने इस केस में स्पष्टीकरण मांगने पर भी जवाब नहीं देने पर पुलिस आयुक्त (राकेश गुप्ता) पर भी नाराजगी जाहिर की थी। जांच के भी आदेश दिए और साथ ही एमजी रोड थाने को कहा था कि वह जल्द इस मामले में रिपोर्ट पेश करें और साथ ही एफआईआर दर्ज कर कोर्ट को जल्द सूचित करें।

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