इंदौर में वकील ने SDM की कागज पर फर्जी कोर्ट बनाकर नोटशीट चला दी

इंदौर में एक वकील पर आरोप है कि उसने एक पीड़ित का केस लिया और उससे मोटी फीस ली। साथ ही, यह दिखाने के लिए कि उसका केस असल में कलेक्ट्रेट में एसडीएम के पास चल रहा है, उसने पूरी नोटशीट तैयार कर दी, बिल्कुल वैसे ही जैसे एसडीएम कोर्ट में होती है।

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Sanjay Gupta
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indore lawyer sdm paper fake court making note sheet

indore lawyer sdm paper fake court making note sheet Photograph: (the sootr)

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इंदौर में कलेक्टोरेट के नाम पर फर्जीवाड़ा का गजब का खेल सामने आया है। यहां पर एक वकील पर आरोप लगे हैं कि उन्होंने एक पीड़ित का केस लिया और उससे मोटी फीस ले ली। साथ ही यह बताने के लिए कि वाकई उसका केस कलेक्टोरेट में एसडीएम के पास चल रहा है, वैसे ही पूरी नोटशीट बनाई, जैसे एसडीएम कोर्ट में होती है। साथ ही एसडीएम के हस्ताक्षर और सील भी लगा मारी।

इन एसडीएम के नाम पर बनी फर्जी नोटशीट

यह कांड एसडीएम जूनी इंदौर घनश्याम धनगर के नाम पर हुआ है। नकली नोटशीट में एसडीएम के हस्ताक्षर भी फर्जी तरीके से हुए और सील भी कार्यालय भाड़ा नियंत्रक की लगी है। प्रकरण नंबर भी 40/2024 फर्जी तरीके से डाला गया है। पूरी नोटशीट ऐसे ही चली जैसे की एसडीएम कोर्ट में चलती है।

क्यों बनाई यह नोटशीट

दरअसल आवेदक शोभा शर्मा के पक्ष में उनका मकान खाली कराने को लेकर न्यायालय का फैसला आ गया था। आवेदक के बेटे गौरव शर्मा ने एसडीएम को बताया कि हमारे द्वारा वकील गिरीराज से बात की तो उन्होंने कहा कि इसके लिए एसडीएम कोर्ट में केस लगाना होगा तब वह मकान खाली होगा और आपको कब्जा मिलेगा। हमने उन्हें कर लिया। बाद में हम उन्हें और उनके सलाहकार सुधांशु नागर मिलकर पूछते रहे कि मेरे केस में क्या हो रहा है। वकील टालते रहे और कहते रहे कि कभी एसडीएम नहीं मिले, कभी सुनवाई जारी है। इस पर हमने वकील साहब से केस नंबर और अन्य जानकारी मांगी तो उन्होंने यह नोटशीट भेज दी। जिसमें बकायदा सुनवाई दिखाई गई और एसडीएम कोर्ट की साइन, सील थी। इस नोटशीट के साथ उनका वकालत नामा भी लगा हुआ है।

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कैसे खुली पोल

इसके बाद गौरव ने यह नोटशीट लेकर और केस नंबर लेकर कलेक्टोरेट में सभी जगह पूछताछ की और वह दो दिन पहले एसडीएम धनगर के रीडर से मिले तो उन्होंने कहा कि ऐसा कोई केस ही हमारे यहां नहीं है क्योंकि केस नंबर की यह सीरिज ही नहीं है। इसके बाद वह एसडीएम से मिले और यह नोटशीट दिखाई। इससे पूरा फर्जीवाड़ा खुल गया।

वकील बोले ऐसा कुछ नहीं हुआ

इसके बाद एसडीएम धनगर ने सहायक सुधांशु और आवेदक शर्मा सभी के बयान लिए। उधर वकील ने द सूत्र से चर्चा में कहा कि इस तरह का कोई केस मेरे द्वारा नहीं हुआ है। मेंरे पास कलेक्टोरेट से फोन आया था, तो मैं मिलने भी गया था लेकिन अधिकारी नहीं मिले और ना ही उन्होंने मेरे फोन उठाया। यह पूरी तरह से निराधार बात है। वकील ने ये  भी कहा कि मैंने कैस लिया था लेकिन आवेदक चाहते थे मैं बार-बार कोर्ट में पेश हूं जो मेरे लिए संभव नहीं था तो मैंने इनको मना कर दिया था। मेरे दस्तावेज का मिसयूज हुआ है मेरा इस मामले से कोई लेना-देना नहीं है।

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