मध्यप्रदेश में कुपोषण का कलंक : कौन डकार गया 480 करोड़ का पोषण आहार

मध्य प्रदेश में कुपोषण के खिलाफ योजनाओं में करोड़ों का घोटाला सामने आया है। CAG की रिपोर्ट के मुताबिक 2018-2021 के बीच 'टेक होम राशन योजना' में 428 करोड़ रुपए का गबन किया गया।

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Sanjay gupta
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MP Malnutrition BJP Nirmala Bhuria CAG Central Institution

MP Malnutrition BJP Nirmala Bhuria CAG Central Institution Photograph: (the sootr)

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BHOPAL : मध्य प्रदेश की धरती से अब भी कुपोषण का कलंक मिटने का नाम नहीं ले रहा। यह स्थिति तब है जबकि केंद्र और प्रदेश की सरकार इसे मिटाने के लिए करोड़ों रुपए का बजट खर्च कर रही हैं। फिर क्या कारण है कुपोषण के खिलाफ जंग में सरकार हर बार पिछड़ जाती हैं। आखिर कुपोषित, गरीब और आदिवासी वर्ग के हिस्से का बजट किसकी जेबें भर रहा है। कुपोषण से लड़ाई के लिए जारी होने वाले करोड़ों रुपए की लूट आखिर कैसे हो रही है इसका खुलासा कैग की रिपोर्ट ने किया है। केंद्रीय नियंत्रण एवं महालेखाकार यानी CAG की रिपोर्ट बताती है 2018 से 2021 के बीच `टेक होम राशन योजना` के 428 करोड़ रुपए कैसे हड़पे गए।

कुपोषण के मुद्दे पर विपक्ष के सवाल को नकारा

CAG केंद्रीय संस्था है लेकिन प्रदेश सरकार अपनी नाकामी को उजागर करने वाली इस रिपोर्ट को नकारने में जुट गई है। शीतकालीन सत्र के दौरान प्रदेश की महिला एवं बाल विकास मंत्री ने कुपोषण के मुद्दे पर विपक्ष के सवाल को नकार दिया। वे सरकारी आंकड़ों के सहारे विपक्ष के आरोपों से बचने का प्रयास करती रहीं। लेकिन इसी बीच आई कैग की रिपोर्ट सरकारी आंकड़ों की कलई खोल रही है। प्रदेश में जरूरतमंद महिलाओं और बच्चों तक पोषण आहार पहुंचाने वाली योजना `टेक होम राशन` पर आई कैग की रिपोर्ट सरकार के सारे लूप होल सामने ले आई है।

बच्चों के हक पर डाका डाला

Nutritional Diet वितरण की कारगुजारियों की परतें खोलने वाली CAG की रिपोर्ट ने सरकार की निगरानी पर भी सवाल खड़े किए हैं। रिपोर्ट बताती है कैसे महिलाओं और बच्चों के हक पर डाका डाला जा रहा है। साल 2018 से 2021 के बीच तीन साल तक "टेक होम राशन" (THR) योजना में 428 करोड़ का Nutritional Diet डकार लिया गया। रिपोर्ट सीधे तौर पर सरकारी सिस्टम के जिम्मेदारों से लेकर योजना की निगरानी करने वाले अधिकारी और मैदानी अमले और ठेकेदारों की मिलीभगत की ओर इशारा कर रही है। द सूत्र कैग की रिपोर्ट के अध्ययन के आधार पर आपको सरकार की योजना की लूट की परतें आपके सामने खोल रहा है। इससे आप भी इस खेल के खिलाड़ियों का अंजादा लगा पाएंगे। 

1.टेक होम योजना के तहत सबसे पहले सरकार पोषण आहार की खरीदी कराती है। सरकार की एजेंसियों ने गरीब तबके के जरूरतमंद बच्चों और महिलाओं के पोषण आहार के लिए जिस खाद्यान्न का भंडारण किया उसमें गुणवत्ता की अनदेखी की गई। 

2. सरकार द्वारा प्रदेश में 96 हजार मीट्रिक टन राशन का स्टोरेज कराया गया था। ये अनाज टेक होम योजना के तहत आंगनबाड़ी केंद्रों तक पहुंचना था लेकिन 10 हजार मीट्रिक टन बीच में ही गायब हो गया। इतना अनाज गायब हो गया और किसी को पता तक नहीं चला।  

3. राशन दुकानों तक पहुंचे Nutritional Diet को आंगनबाड़ी से हितग्राहियों के घरों के लिए रवाना किया गया। आंगनबाड़ी से चंद मीटर दूर हितग्राही के घर तक ये पहुंचा ही नहीं। करीब 63 करोड़ रुपए का पोषण आहार रास्ते में गायब हो गया।  

4.Nutritional Diet के नाम पर कुपोषित महिलाओं और बच्चों को जो खाद्यान्न उपलब्ध कराया गया उसके सैंपल गुणवत्ता जांच में अमानक पाए गए। ऐसे गुणवत्ताहीन खाद्यान्न की कीमत 237 करोड़ से ज्यादा है।  

5. टेक होम राशन, नाम से ही  साफ है हितग्राहियों के घर तक पोषण आहार पहुंचाने वाली योजना। महिला एवं बाल विकास विभाग के अधिकारी कागज पर ही निगरानी करते रहे। कब किस वाहन से कितना पोषण आहार भेजा मौके पर किसी ने देखा ही नहीं। 

6. टेक होम राशन योजना के तहत जिन वाहनों से पोषण आहार का परिवहन करने की जानकारी रिकॉर्ड में दर्ज की गई उसमें भारी फर्जीवाड़ा मिला है। वाहनों के रूप में टैंकर-डंपर वाहनों के नंबर भी दर्ज हैं, जिससे पोषण आहार परिवहन संभव नहीं। 

7. योजना अंतर्गत पोषण आहार की पात्रता रखने वाली किशोरियों की संख्या 90 हजार थी लेकिन इसे 36 लाख दर्शाया गया। इस आंकड़े के आधार पर 110 करोड़ से ज्यादा का गोलमाल राशन वितरण में हुआ है।

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आंगनबाड़ी केंद्रों में 40 फीसदी बच्चों में कुपोषण

केंद्र सरकार की रिपोर्ट के अनुसार जून 2024 में पोषण ट्रैकर के आधार पर मध्यप्रदेश में कुपोषण की हालात अब भी चिंताजनक है। प्रदेश की आंगनबाड़ियों में दर्ज संख्या से 40 फीसदी बच्चे कुपोषण का शिकार हैं। मुख्यमंत्री बाल स्वास्थ्य संवर्धन कार्यक्रम में 1.36 लाख बच्चे कुपोषित थे। इनमें से 29 हजार बच्चों में गंभीर जबकि एक लाख बच्चों में मध्यम स्तर का कुपोषण मिला है।

पोषण आहार के परिवहन में हुआ गड़बड़झाला

टेक होम राशन योजना के तहत आंगनबाड़ी केंद्रों खाद्यान्न पहुंचाने में भी भारी गड़बड़ी की गई। आठ जिलों के आंगनबाड़ी केंद्रों के लिए 96,541.5 मीट्रिक टन खाद्यान्न रवाना किया गया था लेकिन 10,144 मीट्रिक टन रास्ते में ही गायब हो गया। केंद्रों को केवल 86,397.2 मीट्रिक टन ही मिल सका। परिवहन के दौरान खाद्यान्न की इतनी भारी खेप कहां गायब हो गई इस पर किसी ने ध्यान ही नहीं दिया। करीब 63 करोड़ के पोषण आहार की हेराफेरी  को अफसर छिपाए रहे।

मंत्री देखती रहीं आंकड़ों की बाजीगरी

प्रदेश में बच्चों और महिलाओं के कुपोषण की स्थिति को लेकर शिवपुरी जिले के कांग्रेस विधायक कैलाश कुशवाहा ने शीतकालीन सत्र में प्रश्न उठाया था। उनका कहना है प्रदेश के कुपोषण बढ़ रहा है। आदिवासी अंचल के बच्चों और महिलाओं की स्थिति पर भी उन्होंने सरकार से जानकारी चाहिए थी। जिसके जवाब में महिला एवं बाल विकास विभाग की  मंत्री निर्मला भूरिया ने विभागीय प्रतिवेदन पढ़कर सुना दिया। उन्होंने विधायक के कुपोषण बढ़ने के सवाल को गलत ठहराते हुए विभाग के आंकड़े को सही बताया था। अब केंद्रीय एजेंसी CAG की रिपोर्ट सामने आने के बाद कांग्रेस सरकार के आंकड़ों को गलत बता रही है। कांग्रेस विधायक सचिन यादव और जयवर्धन सिंह  ने भी सरकार से कुपोषण की स्थिति और टेक होम राशन गड़बड़झाले पर जवाब मांगा  है।

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