इंदौर लोकसभा चुनाव में अक्षय बम के बीजेपी में जाने पर ऑन रिकॉर्ड सबसे बड़ा खुलासा

इंदौर लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के नेता "बम" के फुस्स होने को लेकर काफी चर्चाएं हुईं। चुनाव के दौरान, बम ने कांग्रेस छोड़ने के बाद 5 मई को बीजेपी दफ्तर में प्रेस कॉन्फ्रेंस की थी। अब, thesootr ने इसका असली कारण का खुलासा किया है।

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Sanjay Gupta
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इंदौर लोकसभा चुनाव में अब तक के सबसे चर्चित राजनीतिक घटनाक्रम में कांग्रेस का बम आखिर क्यों फुस्स हुआ था? इसे लेकर कई तरह की बातें और दावे चलते रहे हैं। हालांकि चुनाव के दौरान खुद बम ने भी कांग्रेस छोड़ने के बाद 5 मई को बीजेपी दफ्तर में प्रेस कान्फ्रेंस कर इसके कारण गिनाए थे, लेकिन यह सब जमा खर्च था। ऑन रिकार्ड इसका सबसे बड़ा कारण क्या था, इसका खुलासा आज thesootr कर रहा है।

ऑन रिकॉर्ड खुलासा क्यों

ऑन रिकॉर्ड खुलासा इसलिए, क्योंकि कांग्रेस से बीजेपी में जाने का कारण खुद अक्षय कांति लाल बम ने हाईकोर्ट इंदौर को बताया है। जी हां! बम ने सबकुछ इंदौर हाईकोर्ट को कागजों पर बताया है। यह शपथपत्र है, कि हाईकोर्ट में झूठ नहीं कहा गया है। 

कहां पर आया ऑन रिकॉर्ड बीजेपी में जाने का कारण

जिला कोर्ट ने 24 अप्रैल 2024 को युनूस पटेल के आवेदन पर अक्षय कांति बम और उनके पिता कांतिलाल बम ऊपर धारा 307 (हत्या के प्रयास) लगाने के आदेश दिए थे। इस आदेश के खिलाफ इसे क्वैश कराने के लिए उन्होंने हाईकोर्ट इंदौर में रिट पिटीशन 43350/2024 दायर की। इस पर 20 मार्च 2025 को हाईकोर्ट का आदेश आया और उनके आवेदन को खारिज कर दिया गया। वहीं जिला कोर्ट ने उन पर धारा 307 सहित अन्य धाराओं में आरोप तय कर ट्रायल शुरू करने की तारीख तय कर दी। इसी याचिका में अक्षय कांति बम ने अपने आप को बेकसूर बताते हुए केस के फैक्ट और यह धारा 307 लगाने के आदेश को खारिज करने का 12 पन्नों का आवेदन हाईकोर्ट में दिया। इन पन्नों में ही यह ऑन रिकार्ड कारण लिखा है।

अक्षय बम के हाईकोर्ट में दिए आवेदन का पेज 10 सबसे खास- पेज 10 में प्वाइंट E में लिखा है कि-

The fact that the allegations of exhortation and firing are false is further established by the fact that even though the supposed incident has taken place on 04.10.2007, no effort was made by respondent No.2 till 2024 to convert the offence into Section 307, IPC. (यानी कि- यह तथ्य कि उकसाने और गोलीबारी के आरोप झूठे हैं, इस तथ्य से और भी पुष्ट होता है कि भले ही कथित घटना 04.10.2007 को हुई हो, लेकिन प्रतिवादी नंबर 2 यानी युनूस पटेल द्वारा 2024 तक अपराध को धारा 307, आईपीसी में बदलने का कोई प्रयास नहीं किया गया)

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Photograph: (the sootr)

 

पेज 10 के प्वाइंट F में बताया बीजेपी में जाने का कारण

That, the say of the petitioners is that as petitioner No.1 had been declared as the official candidate of the Congress (1) party for the elections, he has been prevailed upon by the BJP to file the application for converting the offence under Section 307, IPC against the petitioners. It may kindly be noted that the BJP party succeeded in this maneuver as the petitioner No.1 withdrew from the elections. (यानी कि- याचिकाकर्ताओं का कहना है कि चूंकि याचिकाकर्ता नंबर 1 को चुनाव के लिए कांग्रेस (आई) पार्टी का आधिकारिक उम्मीदवार घोषित किया गया था, इसलिए BJP ने याचिकाकर्ताओं के खिलाफ धारा 307, आईपीसी के तहत अपराध को बदलने के लिए आवेदन दायर करने के लिए उन पर दबाव डाला है। कृपया ध्यान दें कि BJP पार्टी इस चाल में सफल रही, क्योंकि याचिकाकर्ता संख्या 1 ने चुनाव से अपना नाम वापस ले लिया।)

सरल शब्दों में कहा जाए तो बम ने आवेदन में कहा है कि बीजेपी ने याचिकाकर्ताओं यानी युनूस पटेल पर दबाव डाला था कि अक्षय बम पर अपराध को धारा 307 में बदला जाए, क्योंकि वह चुनाव के लिए कांग्रेस के उम्मीदवार घोषित हो चुके थे। बम के आवेदन में जोर देकर लिखा है कि कृपया ध्यान दें (नोटिस करें) कि बीजेपी पार्टी इस चाल में सफल रही और याचिकाकर्ता नंबर वन यानी अक्षय बम ने चुनाव से नाम वापस ले लिया।

कैलाश विजयवर्गीय और रमेश मेंदोला के साथ अक्षय बम

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बम ने बीजेपी में आने के बाद उसी पर लगाए सीधे आरोप

बम ने यह आवेदन जब दिया था, जब वह कांग्रेस को औपचारिक तौर पर छोड़कर बीजेपी में आ चुके थे। इसमें साफ तौर पर लिखा है कि धारा 307 उन पर लगाने के लिए याचिकाकर्ताओं को बीजेपी ने ही उकसाया और इस चाल में बीजेपी सफल रही और उन्होंने चुनाव ले नाम वापस ले लिया। वह साफ तौर पर कह रहे हैं कि यह बीजेपी की चाल थी और इसके कारण वह चुनाव से हटे।

चुनाव में कब क्या हुआ घटनाक्रम देखिए

  • अक्षय बम नवंबर 2023 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस से टिकट चाहते थे, लेकिन वह राजा मंधवानी को मिल गया। बाद में 16 मार्च 2024 को देश में लोकसभा चुनाव घोषित हुए। बीजेपी से शंकर लालवानी प्रत्याशी बने। वहीं बम को 24 मार्च को कांग्रेस ने इंदौर लोकसभा सीट के प्रत्याशी घोषित कर दिया।
  • बम ने 25 अप्रैल को शहराध्यक्ष सुरजीत सिंह चड्ढा, जिलाध्यक्ष सदाशिव यादव, प्रमोद टंडन आदि के साथ जाकर नामांकन दाखिल कर दिया। उनकी संपत्ति 75 करोड़ से ज्यादा है और लाखों की रॉलेक्स घड़ी पहनते हैं।
  • इंदौर लोकसभा चुनाव, कांग्रेस के उम्मीदवार डॉ. अक्षय कांति बम (जैन), 29 अप्रैल को सुबह कांग्रेस नेता, कार्यकर्ताओं के साथ सुबह नौ बजे तक चोइथराम मंडी में प्रचार करते हैं और फिर घर नहाने जाने का बोलकर रवाना होते हैं। फिर सुबह 11 बजे अचानक कलेक्टोरेट में जिला निर्वाचन अधिकारी यानी कलेक्टर आशीष सिंह के दफ्तर में हलचल होती है। बम बीजेपी के विधायक रमेश मेंदोला व अन्य नेताओं के साथ वहां पहुंचते हैं। दो मिनट में चुनाव से अपना नाम वापस लेने के आवेदन पर हस्ताक्षर करते हैं और दो मिनट में ही रवाना हो जाते हैं।
  • कुछ देर में एक सेल्फी सामने आती है, नगरीय प्रशासन मंत्री कैलाश विजयवर्गीय की इसमे वह कार में आगे हैं और उनके पीछे बम और रमेश मेंदोला बैठे हुए हैं।
  • इसी दिन 29 अप्रैल की शाम को बम बीजेपी दफ्तर में जाते हैं और सीएम डॉ. मोहन यादव की उपस्थिति में बीजेपी ज्वाइन कर लेते हैं। 

यूनुस पटेल क्या बोलते हैं इन आरोपों पर

पटेल ने द सूत्र को बताया कि “बम और उनके पिता ने मुझे पर गोली चलवाई और जमीन पर कब्जे की कोशिश की। बाद में अपनी पहुंच के कारण मुझ पर ही केस कर दिया। इससे बचने और निपटने में ही मुझे सालों लग गए। फिर मैंने जिला कोर्ट में आवेदन दिया, इसके बाद तारीखें लगती रही और 24 अप्रैल 2024 को जिला कोर्ट ने मेरे आवेदन को सही पाते हुए धारा 307 लगाने का आदेश दिया।”  वहीं बम ने अपने आवेदन में लिखा है कि युनूस पटेल ने उन्हें फंसाने के लिए 2024 तक कोई प्रयास नहीं किए, लेकिन बाद में जब मैं कांग्रेस का उम्मीदवार बना तो धारा 307 के लिए पांच अप्रैल 2024 को कोर्ट में आवेदन दिया जिसमें 24 अप्रैल को आदेश हुए। बम ने नामांकन 25 अप्रैल को भरा और नाम वापसी 29 अप्रैल को की। 

अक्षय बम और पिता कांतिलाल बम की HC में नहीं चली चालाकी, 307 धारा का केस चलेगा

बम ने बीजेपी में जाने का कारण यह बताया था

बम ने कांग्रेस से बीजेपी में जाने पर सबसे पहले कहा था कि राष्ट्रहित और सनातन सर्वोपरि। उल्लेखनीय है कि उस दौरान राम मंदिर प्रतिष्ठा में कांग्रेस नहीं गई थी और इस दौरान कई नेताओं ने इसी बात का हवाला देकर कांग्रेस छोड़ी थी। इनमें संजय शुक्ला, विशाल पटेल जैसे इंदौर के पूर्व विधायक भी शामिल थे। बाद में 5 मई को उन्होंने प्रेस कान्फ्रेंस बीजेपी में दफ्तर में की थी जिसमें कैलाश विजयवर्गीय व अन्य नेता उपस्थित थे। इस दौरान उन्होंने कांग्रेस पर आरोप लगाते हुए कहा कि- मैंने जीतू पटवारी से तीन बार बात करते हुए असहयोग का मुद्दा उठाया था, मेरे चुनाव कार्यक्रम स्थगित कर दिए गए। दो घंटे तक बड़े नेता एयरपोर्ट लाउंज में रहे लेकिन मेरा प्रचार नहीं किया। उनसे जब पूछा गया कि क्या हत्या के प्रयास की धारा के कारण वह बीजेपी में गए तो इस पर कहा था कि कांग्रेस का उम्मीदवार घोषित होने के बाद इस तरह के मामले जानबूझकर लाए गए।

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