लोकायुक्त कार्रवाई की 8 साल बाद खुली पोल, कैसे रफा-दफा किया था केस

लोकायुक्त इंदौर की रिश्वतखोर को पकड़ने की छापा मार कार्रवाई की एक पोल करीब आठ साल बाद खुली है। फरियादी ने डिप्टी डायरेक्टर की शिकायत की थी और लोकायुक्त ने बाबू को पकड़ लिया था।

Advertisment
author-image
Rahul Garhwal
New Update
lokayukta action two

डिप्टी डायरेक्टर अनिता कुरोठे और बाबू तेजराम कंडेरे

Listen to this article
0.75x 1x 1.5x
00:00 / 00:00

संजय गुप्ता, INDORE. देश में लोकायुक्त एक निष्पक्ष संस्था मानी जाती है, लेकिन आज वो भी जांच के घेरे में है। दरअसल, लोकायुक्त इंदौर ने एक रिश्वतखोर को पकड़ने के लिए छापामार कार्रवाई की थी, जिसकी करीब 8 साल बाद पोल खुल गई है। फरियादी ने डिप्टी डायरेक्टर की शिकायत की थी, लेकिन लोकायुक्त ने बाबू को पकड़कर मामला रफा-दफा कर दिया था।

फरियादी ने उजागर किया लोकायुक्त का खेल

लोकायुक्त इंदौर द्वारा रंगे हाथ पकड़े गए टाउन एंड कंट्री प्लानिंग इंदौर के बाबू (तत्कालीन शोध सहायक टीएंडसीपी) तेजराम कंडेरे (Tejram Kandere) का केस कोर्ट में चला और इसका फैसला हुआ। इसमें खुद रिश्वत की शिकायत करने वाले फरियादी ने ही लोकायुक्त की टीम का पूरा खेल उजागर कर दिया। हालांकि वहीं मैडम डिप्टी डायरेक्टर अनिता कुरोठे जब देवास में ट्रांसफर गई तो सितंबर 2017 में उनके यहां उज्जैन लोकायुक्त ने छापा मारा और आय से अधिक कमाई का केस दर्ज कर लिया।

पकड़ना था डिप्टी डायरेक्टर मैडम को और उलझा दिया बाबू को

मुंबई निवासी राजेश शर्मा इसमें फरियादी थे। उन्होंने कोर्ट में बताया कि जो डेढ़ लाख का रिश्वत का मामला लोकायुक्त इंदौर ने कंडेरे खिलाफ बनाया है, दरअसल वो केस ही गलत बना है। उसने कभी कंडेरे की शिकायत ही नहीं की, उसने तो डिप्टी डायरेक्टर अनिता कुरोठे (Deputy Director Anita Kurothe) की शिकायत की थी और रिश्वत उन्होंने मांगी थी। फरियादी ने यहां तक कोर्ट में कहा कि जब लोकायुक्त ने मेरी शिकायत पर 1 अप्रैल 2016 को टीएंडसीपी के दफ्तर पर छापा मारा तो मैंने तब भी चिल्लाकर कहा कि इस पर कार्रवाई क्यों कर रहे हो, मैडम पर कार्रवाई करो, लेकिन किसी ने नहीं सुनी।

कोर्ट ने आरोपी को मुक्त किया, फरियादी पर केस का दिया आदेश

विशेष न्यायाधीश संजय गुप्ता ने इस मामले में सभी पक्षों को सुनने के बाद अब फैसला जारी किया है, जिसमें आरोपी कंडेरे को आरोपों से मुक्त करने के साथ ही फरियादी पर गवाही से पलटने संबंधी धारा-344 के तहत केस के निर्देश भी दिए हैं।

कंडेरे ने रिश्वत मांगी ही नहीं थी

कंडेरे के अधिवक्ता रविंद्र पाठक ने द सूत्र को बताया कि इस मामले में लोकायुक्त ने चालान में बताया था कि रायकान इम्पेक्ट प्रालि मुंबई के सीईओ राजेश शर्मा से कंडेरे ने उनकी महू की 2.117 हेक्टेयर जमीन के डायवर्सन केस में एसडीएम से आई फाइल पर अभिमत देने के बदले में प्रति एकड़ 40 हजार और कुल 2 लाख रुपए की रिश्वत की मांग की थी। कुल डेढ़ लाख की रिश्वत लेते हुए कंडेरे को पकड़ा गया और इस दौरान जब कंडेरे के हाथ धुलाए गए तो उनके हाथ रंगीन हुए थे।

ये खबर भी पढ़िए..

महापौर बोले- लाड़ली बहना योजना के कारण समय पर और पूरी नहीं मिली राशि

स्टेट बैंक ऑफ इंडिया ने 131 पदों पर निकाली भर्ती, कितनी मिलेगी सैलरी ?

सुनवाई में भृत्य ने भी खोल दी मैडम की पोल

सुनवाई के दौरान खुद फरियादी ने कहा कि उनसे मैडम डिप्टी डायरेक्टर कुरोठे ने फीस मांगी थी। कंडेरे से उनकी इस मामले में कोई बात नहीं हुई। कार्रवाई के दौरान मैंने कंडेरे को पकड़ने का विरोध किया था। वहीं ऑफिस के भृत्य बालकिशन ने पूरी पोल खोल दी। कोर्ट को बताया कि घटना वाले दिन दोपहर डेढ़ से 2 बजे के बीच में मैडम कुरोठे ने उन्हें अजीत एंड अजय रिसार्ट लिखी हुई फाइल दी और कहा कि इसे कंडेरे को दे देना। मैडम ऐसा बोलकर ऑफिस से चली गई। मैं कंडेरे के पास गया और फाइल देकर चला गया जब जा रहा था तब देखा कि एक व्यक्ति आया उसके हाथ में एक लिफाफा था। उनसे कंडेरे को नमस्ते कहते हुए हाथ मिलाया और कहा कि कुरोठे मैडम ने ये दस्तावेज का लिफाफा आपको देने के लिए कहा है। वे लंच पर गई हैं, आपसे आकर ले लेंगी। कंडेरे ने लिफाफा टेबल पर रखवाया और तभी कुछ लोग तेजी से कक्ष में आए और कंडेरे को पकड़ लिया।

Indore Lokayukta action exposed Deputy Director Anita Kurothe Babu Tejram Kandere Deputy Director complaint