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Photograph: (The Sootr)
INDORE. मध्यप्रदेश की आर्थिक राजधानी इंदौर में मास्टर प्लान का तमाशा जारी है। यह अब शहर के विकास की रफ्तार पर ब्रेक बन चुका है। यह ऐसा सरकारी खेल है, जिसमें नीतियों की शिथिलता, राजनीतिक मूकता और अदृश्य स्वार्थों की मिलीभगत झलकती है।
इसी ब्रेक के बावजूद धारा 16 के सहारे शहर से सटे 79 गांवों में 100 हेक्टेयर से ज्यादा जमीन पर टाउनशिप योजनाओं की बहार जारी है। सवाल उठता है कि जब मास्टर प्लान रुका है तो यह अप्रत्याशित विकास कैसे हो रहा है? इसके मूल में है धारा-16, जो अब 'बायपास टू मास्टर प्लान' बन चुकी है।
मास्टर प्लान में लगातार देरी
इंदौर का पिछला मास्टर प्लान 31 दिसंबर 2021 को खत्म हो गया। नियमानुसार नया मास्टर प्लान 1 जनवरी 2022 को लागू हो जाना चाहिए था। आज चार साल बाद भी यह केवल फाइलों में कैद है। वजह? कोई साफ नहीं है। न तो प्रशासन के पास जवाब है, न ही मंत्री की घोषणाओं के आगे कार्रवाई नजर आती है।
ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट से लेकर विधानसभा सत्र तक हर मंच पर यह कहा गया कि बहुत जल्द मास्टर प्लान का प्रारूप जारी होगा, लेकिन नतीजा वही ढाक के तीन पात है।
धारा 16: रास्ता बंद तो 'बैकडोर' से विकास चालू
जब आधिकारिक मास्टर प्लान अटका है और टीएंडसीपी के जरिए नक्शे पास नहीं हो पा रहे, तब बिल्डर लॉबी को संजीवनी मिल रही है धारा 16 से।
यह मध्यप्रदेश टाउन एंड कंट्री प्लानिंग एक्ट की वह विशेष धारा है, जिसके तहत कम से कम 10 एकड़ जमीन पर विकास के लिए भोपाल से विशेष अनुमति लेकर नक्शा पास किया जा सकता है।
इस प्रक्रिया में हाईलेवल कमेटी देखती है कि टाउनशिप से संबंधित योजना किसी भी स्थानीय भूमि उपयोग (लैंडयूज), सड़क, सीवरेज या अन्य इंफ्रास्ट्रक्चर पर नकारात्मक असर नहीं डाले।
एक तरह से यह मास्टर प्लान की अनुपस्थिति में वैकल्पिक बायपास रूट है। अब यहां सवाल यह उठता है कि जब पूरे जिले में नियोजित विकास की रूपरेखा (मास्टर प्लान) ही तय नहीं है तो क्या यह धारा 16 चुनिंदा बिल्डरों के लिए वीआईपी पास बन चुकी है? आंकड़े देखकर तो ऐसा ही लगता है।
इंदौर में इन्हें मिली विकास की मंजूरी
1- मेसर्स लाभ रियलटी पार्टनर सत्यनारायण मंत्री- अम्बामोलिया, खुड़ैल
2- एलटी डेवलपर्स तर्फे नितेश जैन- बाल्याखेड़ा, कनाडिया
3- द्रुशिका रियल एस्टेट शुभम ठाकुर- पुवार्डा जुनार्दा, हातोद
4- बिल्डराइट कंसट्रक्शन नीरज चावला- बेगमखेड़ी, कनाडिया
5- सिदार्थ कपाडिया- झलारिया कनाडिया
6- जसविंदर सिंह ओबराय- झलारिया, कनाडिया
7- प्रकृति डेवलपर्सस प्रदीप नायक-बाल्याखेड़ा, कनाडिया
8- विशाल रिसोर्ट एंड होटल्स- ऋषभ महाजन, झलारिया कनाडिया
9- मेसर्स निश्चित इन्फ्राटेक प्रालि दीपक सोनी- हिंगोनिया कनाडिया
10- एक्सीलेंट इन्फ्रा बिल्ड विवेक चुघ- झलारिया, कनाडिया
11- मोहरा इन्फ्राटेक, मेसर्स सचम हाईवे अनूप अग्रवाल- तिल्लौरखुर्द, भिचौली हप्सी
12- मेसर्स सचम हाईवे रियल एस्सेट प्रालि अनूप अग्रवाल- हिंगोनिया कनाड़िया
13- सिल्वर वुड केशव ऐरन- हिंगोनिया, कनाडिया
14- हाईवे एंड टंडन टोलवेज अंकित टंडन- हिंगोनिया कनाडिया
15- मेसर्स मालवा डेवलपर्स विकास चौधरी- हिंगोनिया कनाडिया
16- सार्थक विनायक रियल बिल्ट राधेश्याम गुप्ता- ढाबली सांवेर
17- स्वर्ण डेवलपर्स केशव ऐरन- हिंगोनिया कनाडिया
18– मधुर रिसोर्ट प्रकाश रामाना- बड़ोतिया ऐमा, सांवेर
19- बालाजी रियल एस्टेट रोहित मेहता- हिंगोनिया कनाडिया
20- हनी इंडिया व बालाजी रियल एस्टेट रोहित मेहता- हिंगोनिया कनाड़िया
इन्होंने भी ली विकास मंजूरी
वहीं साल 2021 में इन 79 गांवों में टीएंडसीपी जारी करा चुके बिल्डर्स ने भी विकास मंजूरी हासिल की हैं। इसमें 10 स्वीकृति मुराबादपुरा सांवेर में, पालिया हैदर, हातोद, हिंगोनिया, कनाडिया, बाल्याखेड़ा कनाडिया में हुई थीं। यह स्वीकृति स्काय अर्थ डेवलपर्स डायरेक्टर सागर चावलास मेसर्स ऋषभ डेवलपर्स ऋषभ कटारिया, मेसर्स दिव्य वसुदा बिल्डकान तर्फे राकेश रत्नपारखे, जगराज बिल्डकान तर्फे प्रवीण छाजेड़, बाला साहेब भास्कर राव देवमाने ने ली है।
दो बार मंत्री कह चुके आने वाला है मास्टर प्लान
इधर, मास्टर प्लान के लिए लगातार कवायद जारी है। कई बार बैठकें हो चुकी हैं। ग्लोबल समिट के दौरान मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने कहा था कि जल्द प्रारूप जारी करेंगे, पर यह फिर अटक गया। इसके बाद विधानसभा के बजट सत्र में नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने भी मास्टर प्लान को लेकर सवाल उठाया था, इसके जवाब में भी कहा गया कि जल्द ही जारी किया जाएगा, लेकिन ऐसा नहीं हुआ।
प्रशासन मौन, माफिया एक्टिव
सरकार कहती है कि मेट्रोपोलिटन एरिया डिक्लेरेशन के बाद मास्टर प्लान लागू किया जाएगा, लेकिन तब तक बिल्डर लॉबी धारा 16 में अपनी मंजूरियां लेकर रियल एस्टेट साम्राज्य खड़ा कर रही है, जिसकी कोई समेकित योजना नहीं है। इसे विकास नहीं, अव्यवस्थित अतिक्रमण कहा जाए तो गलत नहीं होगा।
ये हैं सुलगते सवाल...
1. जब मास्टर प्लान नहीं है तो 100 हेक्टेयर से ज्यादा जमीन कैसे टाउनशिप में बदल दी गई?
2. क्या धारा 16 को चुनिंदा बिल्डरों के लिए छुपा हुआ लूपहोल बनाकर इस्तेमाल किया जा रहा है?
3. क्या इस स्थिति से इंदौर का नियोजित विकास पटरी से नहीं उतर रहा?
4. क्या लोगों को भविष्य में ट्रैफिक, सीवरेज, वॉटर लॉजिक जैसी समस्याओं से नहीं जूझना होगा?
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