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इंदौर के एमजीएम मेडिकल कॉलेज के अधीन आई हॉस्पिटल में इलाज कराने पहुंची महिला को बंधक बनाने का मामला सामने आया है। इसकी शिकायत मंगलवार को जनसुनवाई में महिला ने खुद की है। उसने बताया कि वह अपनी आंख का इलाज कराने के लिए पिछले दिनों आई हॉस्पिटल गई थी। जहां पर ऑपरेशन बिगड़ने के बाद डॉक्टरों ने अपनी लापरवाही छिपाने के लिए उसे कई दिनाें तक बंधक बनाकर रखा और घर भी जाने नहीं दिया।
जनसुनवाई में पहुंची महिला
कलेक्टर आशीष सिंह की जनसुनवाई में 19 अगस्त 2025 को एक बड़ा मामला सामने आया है। इसमें सदरबाजार निवासी महिला रेशमा बी अपने बेटे रेहान के साथ पहुंची। यहां पर उसने जनसुनवाई में अपनी पीड़ा अफसराें के सामने बयां की। उसने बताया कि स्कूल ऑफ एक्सीलेंस फॉर आई के डॉक्टर ऋिषी गुप्ता ने मोतियाबिंद का ऑपरेशन किया था, जबकि उसे मोतियाबिंद था ही नहीं। ऑपरेशन के बाद जब महिला की आंख की रौशनी चली गई तो डॉक्टराें ने कई दिनाें तक उसे अस्पताल में ही जबरन भर्ती रखा। इस दौरान कई बार उसने घर जाने का भी कहा, लेकिन उन्होंने जाने ही नहीं दिया। इस पर वे अब इसकी शिकायत लेकर कलेक्टर कार्यालय में जनसुनवाई में पहुंचे थे।
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नासूर का करना था ऑपरेशन
सदरबाजार निवासी रेशमा बी के बेटे रेहान खान ने द सूत्र को बताया कि उसकी मां को आंख में नासूर हो गया था। जिसको आई हॉस्पिटल में दिखाया। इसके बाद 17 जुलाई 2025 की शाम को डॉ. गुप्ता ने ऑपरेशन किया था। अगले दिन शुक्रवार की सुबह उसकी मां को सिर में दर्द होने लगा और उल्टियां भी हो गईं। इस पर जब अस्पताल के डॉक्टरों को बताया तो उन्होंने एमवाय अस्पताल जाने का कह दिया। पीड़िता को एमवाय अस्पताल लेकर पहुंचे तो वहां पर उन्हें एक दवाई दी गई और फिर वापस आई हॉस्पिटल में आ गए। तब से अस्पताल के 207 नंबर प्राइवेट वॉर्ड में भर्ती करके रखा। उसके बाद से दो बार और ऑपरेशन कर दिए गए हैं, लेकिन अभी तक मां की आंख की रौशनी वापस नहीं लौटी है।
विशेषज्ञ बोले, आंख निकालना पड़ सकती है
नेत्र रोग विशेषज्ञों के मुताबिक, आंख के नासूर, जो कि आंख से आंसू निकलने वाली नली होती है (डीसीआर) उसका ऑपरेशन करने के बजाए अगर मोतियाबिंद का ऑपरेशन कर दिया है तो फिर उससे इन्फेक्शन होने की संभावना रहती है। ऐसी स्थिति में आंख की रौशनी जाने का खतरा बना रहता है। क्योंकि कई केस में देखने में आता है कि ऐसी स्थिति में कार्निया (कैलिटोप्लास्टी) भी नहीं लगा पाते हैं। वहीं, अगर आंख की रौशनी चली गई है तो फिर मजबूरन मरीज की आंख ही निकालनी पड़ती है। अगर ऐसा नहीं किया जाता तो फिर इन्फेक्शन के और ज्यादा फैलने का खतरा बना रहता है।
डॉ. श्रीवास्तव ने की सीएमएचओ को लिखित शिकायत
जिला अंधत्व निवारण समिति की अध्यक्ष डॉ. अनुभा श्रीवास्तव ने आई हॉस्पिटल के अधीक्षक डॉ. डीके शर्मा द्वारा की गई बदसलूकी की लिखित में शिकायत सीएमएचओ को की है। सूत्रों के मुताबिक वे इसकी शिकायत नारी उत्पीड़न से संबंधित संगठनों को भी करेंगी।
यह हुआ था अभी तक
डॉ. अनुभा श्रीवास्तव ने द सूत्र को बताया कि हमने नियमों का हवाला देते हुए कार्रवाई करने की बात कही तो डॉ. शर्मा ने हमसे बदसलूकी करनी शुरू कर दी। उन्होंने धमकाते हुए अपशब्दों का उपयोग करते हुए कहा कि ये मेरा अस्पताल है। आप होते कौन हो मेरे अस्पताल में घुसने वाले, निकलो यहां से। मैंने उन्हें शांति पूर्वक समझाने की कोशिश की और कहा भी कि हम लोग शासकी कार्य करने आए हैं। हमें अपना काम करने दीजिए, लेकिन वे नहीं माने। वे फिर भी नहीं माने और अपशब्दों का उपयोग करते हुए कहा कि मेरे अस्पताल से बाहर निकलो। मैं सबको देख लूंगा।