इंदौर के एमजीएम मेडिकल कॉलेज (MGM Medical College) में रैगिंग कांड की बात सामने आने के बाद कलेक्टर आशीष सिंह ने तत्काल इसकी जांच बैठा दी। एसडीएम निधि वर्मा और तहसीलदार मौके पर पहुंचे और इसकी जांच की। लेकिन सूत्रों के मुताबिक इसमें जूनियर्स ने रैगिंग होने से इनकार कर दिया है।
54 छात्रों से निकाली जानकारी
जानकारी के अनुसार, एसडीएम और तहसीलदार मेडिकल कॉलेज और होस्टल दोनों जगह गए। जूनियर बैच के 54 छात्रों में उपलब्ध सभी 50 छात्रों से पूछताछ की गई लेकिन सभी ने रैगिंग (ragging) होने से इनकार कर दिया। लेकिन सोशल मीडिया पर रैगिंग के संबंध में आई एक फोटो, होस्टल के रूम नंबर एक और दो के बीच की है, यह स्पॉट और फोटो में दिख रहे बच्चे दोनों ही चिन्हित हो गए हैं। लेकिन फोटो में दिखने वाले बच्चों ने ही घटना से इंकार कर दिया।
रैगिंग हो रही है, ऐसे फोन भी आए
उधर, हॉस्टल वार्डन के पास कुछ दिन पहले पालकों के नाम से फोन आए थे कि होस्टल में रैगिंग हो रही है, और मेरा बच्चा परेशान है। वहीं जब जांच हो रही थी, तब भी एक फोन आया और पालक ने हॉस्टल वार्डन से कहा कि रैगिंग की जा रही है। हालांकि बाद में जांच अधिकारियों ने कॉल किया तो फोन नहीं उठाया गया।
ना सीसीटीवी, ना चौकीदार
जांच के दौरान यह भी सामने आया कि वहां किसी तरह कि निगरानी व्यवस्था नहीं है। कोई सीसीटीवी नहीं है और ना ही कोई चौकीदार है। साथ ही रजिस्टर में भी कोई इंट्री नहीं होती है कि कब कौन आया और कौन गया। होस्टल में कई सारी खामियां मिली है। जिसे लेकर कॉलेज प्रबंधन से नाराजगी जताई गई है।
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इसके पहले यह आया था मामला
जूनियर छात्रों की ओर से सोशल मीडिया पर रैगिंग के गंभीर आरोप लगाए और साफ कहा है कि यदि कहीं पर रावण की लंका है तो वह मेडिकल कॉलेज का ब्वॉयज हॉस्टल है। बताया गया कि साल 2024 बैच के जूनियर छात्रों ने यह संदेश डाले हैं।
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यह सोशल मीडिया पर बताई आपबीती
एक मैसेज डाला गया है कि यह बात केवल सुबह 9 से 4 बजे तक कॉलेज की नहीं है, शाम चार से रात 10 बजे तक हमें फील्ड पर खड़ा रखा जाता है। फिर रात 10 बजे खाने की छूट मिलती है और फिर साढ़े दस बजे हमे रूफटॉप पर जाना होता है। जहां सीनियर नशा उतरने तक सुबह पांच-छह बजे तक हमें सिर पर जहां इच्छा होती है मारते हैं। मुझे मेरे मम्मी-पापा ने भी इतना हाथ नहीं लगाया। फिर दो-तीन घंटे सोकर हम कॉलेज जाते हैं।
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