पाकिस्तान गए लोगों की जमीन पर किसका हक?, हाईकोर्ट ने सुनाया बड़ा फैसला

पाकिस्तान गए लोगों की जमीन के मामले में हाईकोर्ट ने मध्‍य प्रदेश सरकार के उस आदेश को निरस्त कर दिया है जिसमें अक्टूबर 2009 में हुए जमीन आवंटन को विधि विरुद्ध बताया था। पूरा मामला विदिशा जिले का है।

author-image
Vikram Jain
New Update
mp-high-court-judgment-land-occupation-pakistan-people-rights
Listen to this article
0.75x 1x 1.5x
00:00 / 00:00

भारत और पाकिस्तान के बीच हुए बंटवारे के बाद पाकिस्तान गए लोगों की जमीन पर काबिज लोगों के मामले में ग्वालियर हाईकोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है। अदालत ने पाकिस्तान गए लोगों की जमीन पर दशकों से काबिज लोगों को ही जमीन का असली हकदार माना है। साथ ही अदालत ने विदिशा कलेक्टर को निर्देश दिए है कि कई सालों से जमीन पर काबिज किसानों को इस भूमि का असली हकदार मानें और राजस्व रिकॉर्ड में इन लोगों के नाम दर्ज करें। इस मामले में हाईकोर्ट ने मध्य प्रदेश सरकार के उस आदेश को निरस्त कर दिया है जिसमें अक्टूबर 2009 में हुए जमीन आवंटन को विधि विरुद्ध बताया था।

जानें पूरा मामला... 

यह मामला विदिशा जिले की गुलाबगंज तहसील के मुगादरा गांव से जुड़ा है। बंटवारे के समय जो लोग भारत छोड़कर पाकिस्तान चले गए थे, उनकी जमीन को मध्य प्रदेश सरकार ने 8 अक्टूबर 2009 को स्थानीय लोगों को आबंटित कर दी थी। यह बड़ा फैसला यह मानते हुए लिया गया था कि इन लोगों ने 50 साल से अधिक समय से उक्त भूमि पर काबिज थे। हालांकि, बाद में राज्य सरकार ने 25 मई 2012 को अपने ही 2009 के आदेश को पलटते हुए उसे रद्द कर दिया था।

सरकार के आदेश के खिलाफ याचिका

इस आदेश के खिलाफ शिवराज सिंह, रामचरण और अन्य याचिकाकर्ताओं ने ग्वालियर हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। याचिकाकर्ता के वकील पवन सिंह रघुवंशी ने कोर्ट को बताया कि मध्य प्रदेश सरकार ने 2012 में आवंटन निरस्त किया था, इसके पीछे तर्क दिया गया कि विस्थापित व्यक्ति प्रतिकर एवं पुनर्वास अधिनियम 1954 को 2005 में समाप्त कर दिया गया था, जबकि जमीन आवंटन का आदेश 2009 में जारी किया गया।

2005 से पहले की जा चुकी थी प्रक्रिया

वकील पवन सिंह रघुवंशी ने कोर्ट को बताया कि भूमि आवंटन की प्रक्रिया 2005 से पहले की जा चुकी थी और उस समय लागू कानून के तहत यह प्रक्रिया पूरी हुई थी। याचिका में जनरल क्लॉज एक्ट की धारा 6 का हवाला दिया गया, जिसके अनुसार यदि कोई कार्रवाई चल रही हो, तो उसे रद्द किए गए कानून से प्रभावित नहीं किया जा सकता।

हाईकोर्ट ने सुनाया फैसला

हाईकोर्ट ने सुनवाई के बाद पाकिस्तान गए लोगों की भूमि पर दशकों से काबिज किसानों को असली हकदार मानते हुए राज्य सरकार के आदेश को निरस्त कर दिया। ग्वालियर खण्डपीठ ने विदिशा कलेक्टर को निर्देशित किया कि वह स्थानीय किसानों को भूमि का असली मालिक मानते हुए उनके नाम राजस्व रिकॉर्ड में दर्ज करें। यह फैसला विदिशा जिले के एक मामले में हुआ, लेकिन इसका असर प्रदेश के अन्य लंबित मामलों पर भी पड़ेगा।

राजस्व रिकॉर्ड में दर्ज किए जाएं नाम

हाईकोर्ट ने याचिका स्वीकार करते हुए 2009 के भूमि आवंटन आदेश को बहाल कर दिया और राज्य सरकार को निर्देश दिया कि राजस्व रिकॉर्ड में याचिकाकर्ताओं के नाम दर्ज किए जाएं। कोर्ट ने यह निर्णय देते हुए यह स्पष्ट किया कि इन काबिज किसानों का हक बनता है, क्योंकि वे दशकों से इस भूमि पर काबिज हैं।

सरकार के फैसले को बताया गलत

हाईकोर्ट ने इस मामले में राज्य सरकार के फैसले को गलत ठहराते हुए यह कहा कि अगर एक कार्रवाई पहले से चल रही हो, तो उसे रद्द किए गए कानून के प्रभाव से बाहर रखा जा सकता है। इस फैसले से यह भी स्पष्ट हुआ कि बंटवारे के समय पाकिस्तान गए लोगों की जमीन पर काबिज लोगों का अधिकार है, जब तक कि उस पर वैध कानूनी कार्रवाई न की जाए।

thesootr links

द सूत्र की खबरें आपको कैसी लगती हैं? Google my Business पर हमें कमेंट के साथ रिव्यू दें। कमेंट करने के लिए इसी लिंक पर क्लिक करें

ग्वालियर हाईकोर्ट का फैसला ग्वालियर हाईकोर्ट विदिशा न्यूज pakistan कोर्ट का फैसला विदिशा जमीन मामला ग्वालियर न्यूज हिंदी जमीन Land Allocation पाकिस्तान गए लोगों की जमीन Gwalior High Court